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25 सितंबर 2015

भारत माँ के सपूतो के साथ आरक्षण के नाम पर पक्षपात,,,,,,,,,,,,,,,,,,

भारत माँ के सपूतो के साथ आरक्षण के नाम पर पक्षपात करते हुए ना इंसाफी के खिलाफ आज आरक्षित वर्ग के खिलाफ अनारक्षित वर्ग ने कोटा में ललकार प्रदर्शन के साथ कोटा अंटाघर सर्किल शहीद स्मारक पर हज़ारो लोगों के साथ हुंकार भरी है ,,,इस हुंकार के प्रणेता पत्रकार अनिल तिवारी ,,,समाजसेवक विजय पालीवाल सहित कई साथी है जिन्होंने समता आंदोलन से जुड़े लोगों को भी अपने साथ जोड़ा है ,,,,,,,,,,,,,पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत इस धरने में कोटा शहर के सभी प्रबुद्ध लोग शामिल थे जिन्होंने हाथ उठाकर भारत की धरती से आरक्षण के इस कोढ़ इस खाज को जड़ से खत्म करने की शपथ ली ,,,आरक्षण के इस धरने में अपने आक्रामक तेवर दिखाते हुए अनिल तिवारी ने कहा बस बहुत हो गया ,,अब हमे इंसाफ चाहिए ,,आरक्षण के नाम पर पक्षपात नहीं चलेगा ,,कोटा की यह हुंकार पुरे देश में उठेगी और देश से अब आरक्षण को जाना ही होगा ,,,,,,,,,,,, आरक्षण के खिलाफ धरना स्थल पर सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में कवि नरेंद्र बंजारा ने भी अपनी कविताये सूना कर समा बांधा लेकिन विषय से भटकता देख उन्हें आयोजको ने अपनी कविता जल्द ही खत्म करने को कहा ,,,,,,,,,,आरक्षण के बारे में समता आंदोलन के प्रदेश संयोजक ने सभी लोगों को आरक्षण के नुकसान और आरक्षण से प्रतिभाओ के साथ हो रहे अन्याय के बारे में बताया ,,,,,आरक्षण के खिलाफ अनारक्षित लोगों की इस जंग की शुरुआत कोटा की धरती पर से हुई जिसमे अनिल तिवारी के प्रस्ताव को सभी ने मंजूरी देते हुए हर माह की पच्चीस तारीख को ,,,आरक्षण के खिलाफ काला दिवस बनाने का प्रस्ताव स्वीकार किया ,,,,धरना स्थल पर कुछ आक्रामक लोग रैली के साथ आये थे उनका कहना था बहुत हुआ अब धरनो से कुछ नहीं होगा ,,सरकार को सबक सिखाना ही होगा ,,सड़को पर उतरना ही होगा ,,,आरक्षण के खिलाफ अनारक्षित लोगों की इस कामयाब जंग की शुरआत के लिए ,,आरक्षण भारत छोडो आंदोलन के प्रणेता अनिल तिवारी ,,,विजय पालीवाल और साथियो को मुबारकबाद बधाई ,,धरने में राकेश सोरल ,,आर्यसमाज के ऐ डी चड्डा ,,गुजराती समाज के अध्यक्ष पटेल ,,पर्यावरणविद लक्ष्मी कान्त दाधीच ,,,एडवोकेट अख्तर खान अकेला ,,सत्यप्रकाश मिश्रा ,सहित हज़ारो हज़ार लोग मौजूद थे ,,,लेकिन इस प्रथम प्रदर्शन में कुछ खामियां ,,कुछ सद्भाविक गलतियां भी रही है ,,अगर भविष्य में इन गलतियों को सुधारा गया तो यह आंदोलन टार्गेटिव होकर कामयाब हर हाल में होगा ,,,,विरोध प्रदर्शन आरक्षण के खिलाफ है और इस प्रदर्शन में भी आरक्षण की बात अगर हो तो जमती नहीं है ,,आर्थिक आरक्षण ,,पिछड़ा आरक्षण इसकी हम बात क्यों करे ,,कोई आरक्षण नहीं सिर्फ पिछड़े ,,दलित और गरीबो को शिक्षा और आर्थिक उत्थान में मुह मांगी आर्थिक मदद दी जाए लेकिन जब प्रतिभा की प्रतिस्पर्धा हो तो उसमे कोई आरक्षण नहीं सिर्फ प्रतिभा ही चयन और प्रमोशन का मापदंड होना चाहिए ,,,प्रदर्शन के दौरान आरक्षण समूह नज़र आ रहे थे ,,एक मंच पर बैठे आरक्षित लोग ,, दूसरे कुर्सी पर बैठे आरक्षित लोग ,,तीसरे बैरिकेट्स के अंदर प्रथम घेरे में बैठे लोग ,,चौथे आम लोग ,,,इस व्यवस्था को बदलना होगा सभी आम लोग मतलब संघर्षशील लोग एक जैसे मानना होगा ,,प्रदर्शन में में की जगह हम का उपयोग करना होगा ,,,,,टारगेट बनाकर आरक्षण व्यवस्था सिर्फ आरक्षण व्यवस्था पर ही वार्ता होना चाहिए ,,होमवर्क ,,रिसर्च होना चाहिए ,,कवि सम्मेलन ,,,,इधर उधर की सियासी ,,गैर सियासी बात से वक़्त ही खराब होता है ,,मुद्दा भटकता है ,,,,,,,,,,इसलिए में की जगह हम के नारे के साथ इस मामले को एकजुट होकर कॉर्पोरेट आंदोलन की तरह नहीं सिर्फ गांधीवादी आंदोलन की तरह व्यवस्थित रूप से चलाते हुए अगला पड़ाव सांसद के घर के बाहर हो और जब तक सांसद लोकसभा अध्यक्ष के नाम आरक्षण व्यवस्था खत्म करने मामले में ,,प्रधानमंत्री ,,राष्ट्रपति ,,लोकसभा अध्यक्ष ,,,संसदीय कार्य मंत्री को आरक्षण मामले में बहस के साथ ,,मतदान से आरक्षण मामले का फैसला करने के मामले में शीघ्र आपात सत्र बुलाने के लिए पत्र लिखकर नहीं दे देते तब तक उनका घेराव् खत्म न किया जाए ,,ऐसा ही घेराव् देश के हर संसदीय क्षेत्र में अनारक्षित लोग करे तो शायद जल्दी ही इस लड़ाई में हमे कामयाबी मिल सकती है ,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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