न्यूयॉर्क. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को युनाइटेड
नेशन्स (यूएन) में सस्टेनेबल डेवलपमेंट समिट को संबोधित किया। उन्होंने
सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिए यूएन में सुधार की वकालत की। प्रधानमंत्री ने
यूएन को बेहद अहम मंच बताते हुए कहा कि आज के हालात में यूएन काउंसिल समेत
यूएन में भी सुधार जरूरी है, ताकि इसकी विश्वसनीयता बनी रहे। इसके अलावा
पीएम मोदी ने कहा कि सस्टेनेबल डेवलपमेंट चाहिए, तो गरीबी को मिटना होगा।
इसके लिए डेवलप्ड कंट्रीज को जिम्मेदारी उठानी होगी। इससे पहले उन्होंने
यूएन के महासचिव बान की मून से मुलाकात की। यूएन महासचिव ने भारत के
स्वच्छता अभियान की तारीफ की। पीएम मोदी ने इंडिया एंड द यूनाइटेड नेशंस पर
बान की मून को एक बुक भेंट की। समिट के दौरान 2030 तक दुनिया से गरीबी और
भुखमरी खत्म करने का संकल्प लिया गया। इसके लिए 17 गोल तय किए गए। इन गोल
तक पहुंचने के लिए 169 छोटे-छोटे टारगेट सेट किए गए।
ये हैं 17 गोल
यूएन के सस्टेनेबल डेवलपमेंट समिट के एजेंडा-2030 में कुल 17 लक्ष्य तय किए गए। इनमें गरीबी उन्मूलन, जीरो हंगर (भुखमरी), गुड हेल्थ एंड वेल बीइंग, क्वालिटी एजुकेशन, जेंडर क्वालिटी, क्लीन वाटर एंड सेनिटेशन, अफॉर्डेबल एंड क्लीन एनर्जी, डीसेंट वर्क एंड इकॉनोमिक ग्रोथ, इंडस्ट्री इनोवेशन एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर, रिड्यूस्ड इनइक्वलिटीज, सस्टेनेबल सिटीज एंड कम्युनिटीज, रिस्पॉन्सिबल कंजप्शन एंड प्रोडक्शन, क्लाइमेट एक्शन, लाइफ बिलो वाटर (पानी में जीवन), लाइफ ऑन लैंड (धरती पर जीवन), पीएस एंड जस्टिस स्ट्रॉन्ग इंस्टीट्यूशंस और पार्टनरशिप फॉर द गोल्स शामिल है।
यूएन के सस्टेनेबल डेवलपमेंट समिट के एजेंडा-2030 में कुल 17 लक्ष्य तय किए गए। इनमें गरीबी उन्मूलन, जीरो हंगर (भुखमरी), गुड हेल्थ एंड वेल बीइंग, क्वालिटी एजुकेशन, जेंडर क्वालिटी, क्लीन वाटर एंड सेनिटेशन, अफॉर्डेबल एंड क्लीन एनर्जी, डीसेंट वर्क एंड इकॉनोमिक ग्रोथ, इंडस्ट्री इनोवेशन एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर, रिड्यूस्ड इनइक्वलिटीज, सस्टेनेबल सिटीज एंड कम्युनिटीज, रिस्पॉन्सिबल कंजप्शन एंड प्रोडक्शन, क्लाइमेट एक्शन, लाइफ बिलो वाटर (पानी में जीवन), लाइफ ऑन लैंड (धरती पर जीवन), पीएस एंड जस्टिस स्ट्रॉन्ग इंस्टीट्यूशंस और पार्टनरशिप फॉर द गोल्स शामिल है।
'गरीबी हटाना हमारा नैतिक कर्तव्य'
गरीबी को सबसे बड़ी समस्या बताते हुए पीएम मोदी ने कहा, "दुनिया की
1.3 बिलियन आबादी गरीबी में जीने को मजबूर हैं। गरीबी मिटाना हम सब की
नैतिक जिम्मेदारी है। अंत्योदय हमारा मंत्र है। हम सबका सपना गरीबी मुक्त
विश्व है।" साथ ही कहा, "यूएन के एजेंडा 2030 में भी अंत्योदय की महक आती
है। उन्होंने कहा कि भारत गरीबी हटाने की दिशा में काम कर रहा है। भारत में
गरीबी मिटाने के साथ-साथ लोगों को पेंशन और सामाजिक सुरक्षा पर विशेष
ध्यान दिया जा रहा है। इस दौरान उन्होंने भारत के महान विचारक पंडित
दीनदयाल उपाध्याय का भी जिक्र करते हुए कहा कि उनके विचारों का केंद्र भी
अंत्योदय था।
क्लाइमेट चेंज नहीं, क्लाइमेट जस्टिस की करें बात
पीएम मोदी ने सस्टेनेबल डेवलपमेंट को सभी देशों के लिए राष्ट्रीय
उत्तरदायित्व का विषय बताया। उन्होंने कहा, "आज हम यूएन में इसलिए हैं,
क्योंकि हम सभी मानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय साझेदारी अनिवार्य रूप से हमारे
सभी प्रयासों के केंद्र में होनी चाहिए। फिर वो डेवलमेंट की बात हो या
क्लाइमेट चेंज की चुनौती।" मोदी ने कहा, " अगर हम क्लाइमेट चेंज की चिंता
करते हैं, तो कहीं न कहीं हमारे निजी सुख को सुरक्षित करने की बू आती है।
लेकिन अगर हम क्लाइमेट जस्टिस की बात करते हैं, तो गरीबों को प्राकृतिक
आपदाओं से सुरक्षित रखने का संवेदनशील संकल्प उभर कर आता है।" मोदी ने कहा
कि क्लाइमेट चेंज जैसी चुनौती से निपटने के लिए उन समाधानों पर जोर देने की
जरूरत है, जिनसे उद्देश्यों को प्राप्त करने में कामयाबी मिल सके। साथ ही
कहा कि इसके लिए वैश्विक जनभागीदारी का निर्माण करना होगा।
मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर पर फोकस
प्रधानमंत्री ने कहा, "हम मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को फिर से जिंदा कर
रहे हैं। सर्विस सेक्टर में सुधार कर रहे हैं।" उन्होंने कहा कि भारत की
विकास योजनाएं महत्वाकांक्षी और उद्देश्यपूर्ण हैं। इनमें अगले 7 वर्षों
में 175 गीगावाट रिन्युएबल एनर्जी कैपेसिटी का डेवलपमेंट, एनर्जी एफिशिएंसी
बढ़ाने, बड़े पैमाने पर प्लांटेशन, कोयले पर स्पेशल टैक्स, ट्रांसपोर्ट
सिस्टम में सुधार, शहरों और नदियों की सफाई, वेस्ट यूटिलाइजेशन से समृद्धि
की मुहिम आदि शामिल हैं।
धरती को हम मां कहते हैं: मोदी
पीएम मोदी ने महात्मा गांधी के एक स्टेटमेंट का जिक्र किया, जिसमें
उन्होंने कहा था, "हम उस भावी विश्व के लिए भी चिंता करें, जिसे हम नहीं
देख पाएंगे।" प्रधानमंत्री ने कहा, "हम ऐसे विश्व का निर्माण करेंग, जहां
हर कोई खुद को सुरक्षित महसूस करे। उसे समान अवसर मिले और सम्मान मिले।"
सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर भारत का पक्ष रखते हुए उन्होंने कहा, "हम उस
संस्कृति से आते हैं, जहां धरती को मां कहते हैं।" मोदी ने कहा कि धरती
हमारी मां और हम सभी इसके बेटे हैं। उन्होंने अपनी बात संस्कृत में 'सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयः सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित दुःखभाग्भवेत्' (सभी प्रसन्न रहें, सभी स्वस्थ रहें, सबका भला हो, किसी को भी कोई दुख ना रहे) कहकर समाप्त की।
इससे पहले न्यूयॉर्क में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ल्ड बैंक के
प्रेसिडेंट जिम योंग किम से भी मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच सस्टेनेबल
डेवलपमेंट, क्लीन एनर्जी और क्लाइमेट चेंज पर चर्चा हुई। वर्ल्ड बैंक के
प्रेसिडेंट जिम के साथ पीएम मोदी की पहली ऑफिशियल मीटिंग थी। विदेश
मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि यह दिन डेवलपमेंट के लिए
समर्पित है। इससे पहले पीएम मोदी ने गुरुवार को अमेरिकी कंपनीज के सीईओ से
मुलाकात की थी। साथ ही भारत में इन्वेस्टमेंट की संभावनाओं पर बातचीत की
थी। इस दौरान उन्होंने इन्वेस्टमेंट के लिए उपयुक्त माहौल देने का भरोसा
दिलाया।
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