इंदौर. इंदौर के पटाखा व्यापारियों ने शहर से लगे मोरोद माचल
गांव में नौ पटाखा गोदाम बना रखे हैं। बीच गांव में बने इन गोदामों में
बारूद का जखीरा है क्योंकि हर गोदाम में छत तक विस्फोटक सामग्री भरी हुई
है, जिससे किसी भी दिन पेटलावद की तरह बड़ा हादसा हो सकता है। न तो व्यापारी
इस पर ध्यान दे रहे हैं और न ही जिला प्रशासन को इसकी सुध है।
पटाखा गोदामों में भरे बारूद के जखीरे से ग्रामीण दहशत में
खंडवा रोड पर मोरोद माचल गांव में इंदौर के पटाखा व्यापारियों के नौ
पटाखा गोदामों से किसी भी दिन पेटलावद में हुए धमाके की तरह हादसा हो सकता
है। इससे यहां रहने वाले सैकड़ों ग्रामीणों को जान का खतरा है। व्यापारियों
ने शहर में दुकानें खोल रखी हैं और गांव में पटाखों के गोदाम बनाकर छत तक
पटाखों के रूप में बारूद का जखीरा भरा हुआ है। यहां पर मनमाने ढंग से पटाखे
भर रखे हैं और सुरक्षा का कोई इंतजाम भी नहीं किया गया है। न तो गोदाम के
आसपास फायर फाइटिंग इंस्ट्रूमेंट लगे हैं, न आग लगने पर पानी की व्यवस्था
है। जिस जगह गोदाम बनाए गए हैं, वह गांव के अंदर की संकरी सड़क है। गोदाम से
गांव के बच्चे स्कूल जाने के लिए गुजरते हैं। इसके अलावा गांव के कई मकान
भी बने हैं। इन्हें बारूद के गोदामों से भारी खतरा है।
अग्निकांड होने पर इस सड़क से फायर ब्रिगेड की गाड़ी या एम्बुलेंस को
निकलना भी मुश्किल है। मोरोद माचल में जिस वक्त ये गोदाम बनाए गए उस समय
यहां पर इतनी बसाहट नहीं थी, लेकिन धीरे-धीरे गांव की जनसंख्या बढ़ने से ये
गांवों के बीच में गए हैं। वर्तमान में यहां की जनसंख्या 10 हजार तक पहुंच
चुकी है। यहां के रहवासियों के मुताबिक सबसे ज्यादा खतरा गर्मी के मौसम
में और दीपावली पर होता है।
शिकायतें भी हुईं बेअसर
इस संबंध में गांव वालों ने पंचायत और जिला प्रशासन के अफसरों को भी
कई बार शिकायतें की, लेकिन नतीजा शून्य ही रहा। अफसर हर बार जांच कर चले
जाते हैं, कार्रवाई कभी भी नहीं हुई। इंदौर होलसेल फायर वर्क डीलर्स
एसोसिएशन के सचिव सुरेश फेरवानी का कहना है हमारे पास 1999 की जिला प्रशासन
की अनुमति है। वहीं एसडीएम राऊ संदीप सोनी का कहना है हम जांच कर रहे हैं,
इसके बाद कार्रवाई भी होगी।
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