नई दिल्ली. स्विट्जरलैंड सरकार ने कालाधन रखने वालों में एक
भारतीय कंपनी के नाम का खुलासा किया है। मध्य प्रदेश के इंदौर की इस कंपनी
का नाम नियो कॉर्प इंटरनेशनल है। नियो कॉर्प टेक्सटाइल और पैकेजिंग
प्रोडक्ट बनाती है। कंपनी के बारे में जानकारी देते हुए बताया गाय है कि
भारत सरकार ने इस कंपनी के बारे में सूचना मांगी थी।
क्या है नियो कॉर्प इंटरनेशनल?
इंदौर के पीथमपुर इंडस्ट्रियल एरिया में मौजूद इस कंपनी ने 1985 में
थैले बनाने से काम शुरू किया था। आज नियो कॉर्प टेक्सटाइल और पैकेजिंग
प्रोडक्ट बनाने का काम करती है। कंपनी का कारोबार अमेरिका, यूरोप से सहित
30 से ज्यादा देशों में फैला हुआ है। कंपनी के प्रमुख सुनील त्रिवेदी हैं,
जो मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के सदस्य भी हैं। कंपनी का सालाना टर्नओवर
एक हजार करोड़ रुपए से ज्यादा बताया गया है। नियो कॉर्प की 10 सहयोगी
कंपनियां भी हैं।
हाल ही में हुआ था कंपनी के फर्जीवाड़े का खुलासा?
नियो कॉर्प इंटरनेशनल के खिलाफ हाल ही फर्जी ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर
बैंकों से करोड़ों का लोन हासिल करने के मामले में इनकम टैक्स के छापे पड़े
थे। छापे के दौरान जब्त दस्तावेजों में नियो कॉर्प से जुड़ी आधा दर्जन
कंपनियों के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था। जांच में पाया गया था कि कंपनी
कागजों पर उत्पादन दिखाती रही थी। इसके अलावा कंपनी ने स्थानीय बैंकों से
लोन लेकर प्रॉपर्टी खरीदी। जून 2015 में हुई इस कार्रवाई के बाद नियो कॉर्प
के एमडी सुनील त्रिवेदी गायब बताए जा रहे हैं। हालांकि उनके बीच-बीच में
फोन के जरिए अकाउंटेंट, सीए और वकीलों को फोन पर बातचीत होने की जानकारी भी
सामने आई थी। कंपनी पर पड़े इन छापों के बाद बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में
सूचीबद्ध नियो कॉर्प इंटरनेशनल का शेयर 10 फीसदी टूट गया था।
भारत और स्विट्जरलैंड के बीच हुआ है समझौता
भारत सरकार ने स्विट्जरलैंड से काले धन की जांच में सहयोग के लिए
सूचनाएं साझा करने को लेकर समझौता किया है। यह सूचना इसी समझौते के तहत
सामने लाई गई है। इसके साथ ही स्विट्जरलैंड सरकार ने कर अपराधों की
जांच कर रहे दूसरे देशों को चोरी से हासिल सूचनाओं और आंकड़ों के आधार पर
भी भारत का सहयोग करने के लिए अपने कानून में संशोधन का प्रस्ताव किया है।
लेकिन इसके लिए शर्त है कि ऐेसे मामलों में ब्योरा प्रशासनिक चैनल या
सार्वजनिक सूत्रों के माध्यम से मिला होना चाहिए। स्विस सरकार इससे पहले भी
विदेशों में कालाधन रखने वाले भारतीयों के नाम का खुलासा करते हुए यश
बिड़ला समेत पांच लोगों के नाम जारी किए थे। इन नामों में शराब कारोबारी
पोंटी चड्ढा के दामाद गुरजीत सिंह कोचर, दिल्ली की कारोबारी रितिका शर्मा
का नाम शामिल था।
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