रायपुर. नाव में सवार होने से पहले मां ने अपने बेटे को पीठ पर
बांध लिया ताकि कहीं वह गिर न जाए। पर शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
उफनती नदी में हिचकोले खाती नाव का बैलेंस बिगड़ गया और मां-बेटे दोनों नदी
में गिर गए। नाव में साथ बैठे दूसरे सवार जब तक कुछ समझ पाते तब तक दोनों
लहरों में समा चुके थे। हादसा शनिवार देर शाम इंद्रावती नदी पर पड़ने वाले
सतवा घाट के पास हुआ था, जिसमें मां-बेटे समेत तीन गांव वाले नदी में डूब
गए। रविवार दिन भर गोताखोरों की टीम तलाश में जुटी रही पर किसी का कुछ पता
नहीं चल पाया। वहीं, तुमनार के नजदीक एक हादसे में एक अन्य व्यक्ति के
डूबने की खबर मिली है।
पति से मिलने जा रही थी महिला
हादसे के वक्त नाव में 8 लोग सवार थे, जिनमें से लछिंदर, नाविक
घस्सूराम, राजाराम नाग, शंकर और गुड्डूराम किसी तरह तैर कर सुरक्षित
निकलने में कामयाब रहे। बेलनार की रहने वाली महिला आसमती पति सुकड़ा राम,
उसका पांच साल का बेटा रामपाल और भुने नदी में डूब गए। आसमती का पति सुकड़ा
पुलिसकर्मी है, जिसकी पोस्टिंग नेलसनार में है। वह अपने पति से मिलने जा
रही थी तभी यह हादसा हुआ।
हाथ पकड़ा पर छिटक कर दूर चली गई आसमती
लछिंदर ने बताया कि पानी का बहाव तेज होने के चलते नाव डगमगा रही थी,
अचानक नाव का एक हिस्सा पानी में डूब गया। इसके बाद वहां चीख-पुकार मच गई।
नाव में सवार सभी 8 लोग इधर-उधर गिर पड़े और बहने लगे। उसने बताया कि उसने
आसमती और उसके बच्चे को बचाने के लिए उसका हाथ पकड़ा, इस पर आसमती ने खुद
तैरकर निकल जाने की बात कही। लेकिन वह लहर में फंसती जा रही थी। इसके बाद
लछिंदर उसके पास पहुंचा तो आसमती ने उसका हाथ पकड़ने की कोशिश की लेकिन लहर
की वजह से छिटक कर दूर चली गई। इसके बाद उसका कुछ पता नहीं चला।
दो घंटे पहले ही मरीज को सुरक्षित पार कराई थी नदी
लछिंदर ने बताया कि हादसे के दो-तीन घंटे पहले ही लकवा ग्रस्त एक मरीज
और उसके परिजन को सुरक्षित नदी पार करवाई थी। वे लोग नेसलनार के अस्पताल
जाने वाले थे।
खरीदारी कर लौट रहे थे ग्रामीण
अबूझमाड़ में बसे कई गांव बारिश के दिनों में आसपास के कस्बों से कट
जाते हैं। सड़क नहीं होने के चलते उन्हें रोजमर्रा के सामान की खरीदारी के
लिए नदी पार कर इस पार आना पड़ता है। बस्तर संभाग में तीन दिन की मूसलाधार
बारिश के बाद इंद्रावती नदी इस वक्त उफान पर है। कई स्थानों पर नदी का
जलस्तर बढ़ा हुआ है। शनिवार शाम ग्रामीण खरीदारी के बाद वापस जा रहे थे उसी
वक्त सतवा घाट के पास नाव का संतुलन बिगड़ गया, और ये घटना हो गई।
हर साल होते हैं हादसे
इंद्रावती को वैसे तो बस्तर की लाइफलाइन कहा जाता है लेकिन बाढ़ के दिनों में यह काल बन जाती है। नदी के दूसरी तरफ बीजापुर जिले के 8 गांव और उन पर निर्भर 69 गांव पड़ते हैं। इन गांवों के ग्रामीणों को इलाज, हाट-बाजार, स्कूल जाने के लिए ब्लॉक मुख्यालय भैरमगढ़ आना पड़ता है। नदी पर पुल नहीं होने चलते ग्रामीण जान जोखिम में डाल नाव से नदी पार करते हैं। हर साल ऐसे हादसे होते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि नमक, तेल तक के लिए भी नदी के इस पार आना पड़ता है।
इंद्रावती को वैसे तो बस्तर की लाइफलाइन कहा जाता है लेकिन बाढ़ के दिनों में यह काल बन जाती है। नदी के दूसरी तरफ बीजापुर जिले के 8 गांव और उन पर निर्भर 69 गांव पड़ते हैं। इन गांवों के ग्रामीणों को इलाज, हाट-बाजार, स्कूल जाने के लिए ब्लॉक मुख्यालय भैरमगढ़ आना पड़ता है। नदी पर पुल नहीं होने चलते ग्रामीण जान जोखिम में डाल नाव से नदी पार करते हैं। हर साल ऐसे हादसे होते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि नमक, तेल तक के लिए भी नदी के इस पार आना पड़ता है।
क्या कहते हैं अफसर?
नेलसनार के डुंगाघाट में हुए हादसे में नाव में 8 लोग सवार थे, जिनमें से 5 बच निकले, लेकिन 3 का अब तक कोई सुराग नहीं मिला है। किसी का भी शव अब तक बरामद नहीं हुआ है। नदी के निचले हिस्से में 50 किमी दूरी पर स्थित कुटरू व बेदरे तक राजस्व अमले को सतर्क कर दिया गया है, ताकि किसी का भी शव मिलने पर पता चल सके। छोटे तुमनार के नजदीक नेलगुड़ा में भी हादसा होने की जानकारी मिली है, लेकिन नदी उस पार के किसी भी ग्रामीण से संपर्क नहीं हो पाया है। उपलब्ध संसाधन से पूरी कोशिश की जा रही है। नदी में काफी बाढ़ होने से राहत व तलाशी अभियान में दिक्कत हो रही है।- सीडी वर्मा, एसडीएम, बीजापुर
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