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10 सितंबर 2015

हर साल 300 करोड़ रुपए ब्याज से कमा रहा आसाराम, 42 बोरों में मिले पेप


इस तरह बनते थे आसाराम के पोस्टर
इस तरह बनते थे आसाराम के पोस्टर
इंदौर. आसाराम भले ही जोधपुर जेल में बंद है, लेकिन उसका सैकड़ों करोड़ रुपया बाजार में लोन के रूप में चल रहा है। आयकर विभाग के देशव्यापी छापे में यह बात सामने आई है। इंदौर में 16 जगहों पर चल रही जांच में पता चला कि आसाराम के रुपए लोन के रूप में रियल एस्टेट, सराफा से लेकर कई धंधों में लगे हैं। इससे हर साल करीब 300 करोड़ रुपए ब्याज मिल रहा है।
छापे में मोहन लुधियानी व अन्य कारोबारियों से मिले दस्तावेजों में यह राशि लोन के रूप में कई लोगों को देने के सबूत मिले हैं। कई लोगों ने आयकर विभाग से पूछताछ में कबूल कर लिया है कि वह ब्याज पर रुपए चला रहे हैं और इससे उन्हें करोड़ों रुपए सालाना ब्याज मिल रहा है।
चाय, रियल एस्टेट व्यापारी मोहन लुधियानी आसाराम ट्रस्ट का पूरा कामकाज संभालता है। वह गुरुकुल स्कूल में भी डायरेक्टर है। सूत्रों के अनुसार इसके यहां भी लोन के रूप में करोड़ों रुपए इधर-उधर देने के दस्तावेज सामने आए हैं। जांच में श्रीराम बिल्डर के यहां जमीन में दो करोड़ रुपए से ज्यादा गड़े मिले। यह राशि एक पेटीनुमा गड्ढे में रखी हुई थी। जानकारी के अनुसार दूसरे दिन भी देर रात तक जांच जारी थी। तीसरे दिन भी जांच जारी रहने के संकेत मिले हैं।
यहां चल रही कार्रवाई
इंदौर में गुडरिक चाय निर्माता लुधियानी और लुधियानी से जुड़े बिल्डर अनिल अग्रवाल, शशि भूषण खंडेलवाल, विजय अग्रवाल, तेजिंदरसिंह घुम्मन, निर्मल अग्रवाल, विष्णु गोविंद राम शर्मा, केशव नाचानी के यहां कार्रवाई जारी है। इसके साथ ही घनश्यामदास एंड कंपनी, श्रुति स्नेक्स प्रालि, ओएसिस डेवलपर्स, श्रीराम बिल्डर्स, अपोलो रियल एस्टेट प्रालि, कोन्कोर्ड टी पैकिंग प्रालि, डिजिना रियल एस्टेट डेवलपर्स, जीएसएमटी रियल एस्टेट डेवलपर्स की भी जांच हो रही है। भोपाल में रविंद्र सिंह भाटेजा पर भी कार्रवाई जारी है। इंदौर-भोपाल के साथ ही आयकर विभाग सूरत, बड़ौदा, अहमदाबाद, मुंबई, पुणे, कोलकाता, जयपुर और दिल्ली में भी कार्रवाई कर रहा है।
42 बोरों में मिले दस्तावेजों ने खोली पोल
सूत्रों के अनुसार दो साल पहले आसाराम की गिरफ्तारी के समय आश्रम से पुलिस को 42 बोरे दस्तावेज मिले थे। इसमें किस-किस को कितना रुपया चलाने के लिए दिया है इसका जिक्र था। इसके साथ ही पूरे देश में फैली संपत्तियों की जानकारी थी। आयकर विभाग द्वारा इनकी जांच की जा रही थी। इसी तरह कुछ साल पहले इंदौर के केशव नाचानी के यहां आयकर छापे में काफी दस्तावेज मिले थे, जिसमें इस ब्लैक मनी के सबूत थे। इसी आधार पर सूरत की टीम ने दिल्ली आयकर विभाग के साथ मिलकर छापे की योजना बनाई।

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