पेशावर. पाकिस्तान के पेशावर में आर्मी स्कूल पर हमले के ठीक 9
महीने बाद तहरीक-ए-तालिबान ने फिर बड़ा हमला किया है। शुक्रवार सुबह
पेशावर के इंकलाब रोड पर एयरफोर्स कैम्प के अंदर कई तालिबान आतंकी घुस गए।
सुरक्षा बलों ने 13 आतंकी ढेर कर दिए। लेकिन आतंकियों ने कैम्प के पास
मस्जिद पर धावा बोल कर वहां नमाज पढ़ रहे 17 लोगों को मार दिया। सेना और
सुरक्षा बल के तीन लोग भी मारे गए। आठ सैनिक औ दो सीनियर आर्मी ऑफिसर्स
सहित 22 लोग घायल भी हुए।
कैसे हुआ हमला
आर्मी प्रवक्ता मेजर जनरल असीम बाजवा ने बताया कि आतंकी ग्रुप बनाकर
दो जगह से कैंप में घुसे, जहां सिक्युरिटी फोर्स से उनकी मुठभेड़ हुई।
विस्फोटक भरे जैकेट पहन कर और मोर्टार, एके-47 से लैस आतंकियों ने
सबसे पहले बड़ाबेर एयरबेस के गार्डरूम पर हमला बोला। जवाबी हमले में
सुरक्षा बलों ने 13 आतंकियों को मार गिराया। लेकिन आतंकियों ने भी पास की
मस्जिद में धावा बोल कर 17 लोगों की जान ले ली।
हमला करने कितने आतंकी आए?
इंटर सर्विसेस पब्लिक रिलेशन के डायरेक्टर जनरल मेजर जनरल असीम बाजवा
ने ट्वीट करके बताया कि आतंकियों ने सबसे पहले गार्ड रूम पर हमला किया।
क्विक रिएक्शन फोर्स (QRF) मौके पर पहुंच गई और एरिया को सील कर दिया।
इस्लामाबाद से आर्मी चीफ जनरल राहिल शरीफ भी पेशावर पहुंच गए।
चश्मदीद ने क्या कहा?
एयरफोर्स कैम्प के पास ही रहने वाले मुकम्मल शाह ने कहा, "हम अब तक
करीब 12 धमाकों की आवाज सुन चुके हैं। लगातार ब्लास्ट हो रहे हैं और
फायरिंग चल रही है। पेशावर पुलिस ने भी ब्लास्ट होने की पुष्टि की है।"
किसने ली जिम्मेदारी?
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के स्पोक्सपर्सन मोहम्मद खुरासानी ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। खुरासानी ने जर्नलिस्ट्स को ईमेल भेजकर यह दावा किया।
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के स्पोक्सपर्सन मोहम्मद खुरासानी ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। खुरासानी ने जर्नलिस्ट्स को ईमेल भेजकर यह दावा किया।
कहां है एयरफोर्स का यह कैम्प?
पाकिस्तानी एयरफोर्स का यह कैम्प इंकलाब रोड पर बड़ाबेर के पास है। यह सेमी ऑटोनोमस फ्रंटियर रीजन है जो पेशावर और कोहट के बीच स्थित है। यहां इसलिए तनाव रहता है, क्योंकि कबाइली इलाकों और बाकी रिहाइशी इलाकों के बीच बफर जोन को लेकर विवाद होते रहते हैं। बड़ाबेर एयरबेस फिलहाल मिलिट्री ऑपरेशन के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इस इलाके में सेना के कर्मचारियों और अफसरों की रिहाइश है।
पाकिस्तानी एयरफोर्स का यह कैम्प इंकलाब रोड पर बड़ाबेर के पास है। यह सेमी ऑटोनोमस फ्रंटियर रीजन है जो पेशावर और कोहट के बीच स्थित है। यहां इसलिए तनाव रहता है, क्योंकि कबाइली इलाकों और बाकी रिहाइशी इलाकों के बीच बफर जोन को लेकर विवाद होते रहते हैं। बड़ाबेर एयरबेस फिलहाल मिलिट्री ऑपरेशन के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इस इलाके में सेना के कर्मचारियों और अफसरों की रिहाइश है।
एयरफोर्स या एयरपोर्ट को पहले कब निशाना बनाया गया?
16 अगस्त, 2012 को कामरा स्थित पाकिस्तान एयरफोर्स बेस पर आतंकियों ने
रॉकेट, ग्रेनेड और ऑटोमैटिक वेपन्स से हमला कर दिया था। इस हमले की
जिम्मेदारी तहरीक-ए-तालिबान ने ली थी।
पिछले महीने हथियारों से लैस आतंकियों ने बलूचिस्तान प्रांत में
ऐरोड्रम पर हमला कर दिया था। इस हमले में दो इंजीनियर्स की मौत हो गई थी और
रडार सिस्टम तबाह हो गया था।
आतंकियों ने पिछले साल जून में कराची के जिन्ना इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर
हमला किया था, जिसमें 36 लोग मारे गए थे। इसमें 10 आतंकियों की भी मौत हो
गई थी।
इससे पहले कब हुआ था बड़ा हमला?
- पेशावर के आर्मी स्कूल पर अटैक के 9 महीने बाद यह हमला हुआ है। 16
दिसंबर, 2014 को यहां के आर्मी स्कूल पर हुए अटैक में स्कूल में पढ़ने आए
132 मासूमों की जान चली गई थी। कुल 145 मौतें हुई थीं। तहरीक-ए-तालिबान के 7
फिदायीन आतंकियों ने यह हमला किया था।
- इसी साल फरवरी में भारी हथियारों से लैस तालिबानी आतंकियों ने यहां एक शिया मस्जिद पर हमला कर दिया, जिसमें 21 लोग मारे गए थे।
क्या पाकिस्तानी आर्मी का यह अभियान है हमले की वजह?
पाकिस्तानी आर्मी उत्तरी वजीरिस्तान में 15 जून, 2014 से ऑपरेशन
जर्ब-ए-अज्ब चला रही है। पाकिस्तानी सरकार ने इसके लिए आर्मी को 26 अरब
रुपए की मदद दी है। इस वजह से 10 लाख लोगों को घर छोड़ने पड़े हैं। यह पूरा
कबाइली इलाका है। ये कबीले तालिबान के खिलाफ आर्मी की मदद कर रहे हैं। इस
अभियान से तालिबान को बड़ा नुकसान पहुंचा है। 15 महीने उसके 3000 से ज्यादा
आतंकी मारे गए हैं। आर्मी ने इस इलाके में ऐसा ही ऑपरेशन 2009 में भी चलाया
था। लेकिन कुछ वक्त बाद तहरीक-ए-तालिबान वहां फिर मजबूत हो गया। इसी
अभियान के खिलाफ दिसंबर में तहरीक-ए-तालिबान ने स्कूल पर हमला किया था।
पेशावर की हिफाजत करने में कितनी आ रही हैं मुश्किलें?
पाकिस्तान के लिए जर्ब-ए-अज्ब अभियान काफी महंगा साबित हो रहा है।
तालिबान के खतरे के कारण पाकिस्तान को सिर्फ पेशावर में स्कूलों की हिफाजत
के लिए 11 हजार सैनिकों की टुकड़ी तैयार करनी पड़ी है। पाकिस्तान के
फाइनेंस मिनिस्टर इशाक डार ने हाल ही में दावा किया था कि तालिबान के खिलाफ
अभियान की लागत 1.75 अरब डॉलर आएगी। 80 करोड़ डॉलर तो सिर्फ बेघर हुए
लोगों को बसाने पर खर्च हो जाएंगे। पाकिस्तान ने अमेरिका से मदद को 15
फीसदी बढ़ाने की गुजारिश की है। अमेरिका पिछले 12 साल में पाकिस्तान को
पहले ही 28 अरब डॉलर की मदद दे चुका है।
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