आपका-अख्तर खान

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20 अगस्त 2015

जाने क्या कह गया कानों में ढलता सूरज ,

जाने क्या कह गया कानों में ढलता सूरज ,
आसमां में चाँद - तारे मुस्कुराते नज़र आये ।,,,,,,जी हाँ दोस्तों कहने को यह चंद अलफ़ाज़ है लेकिन मतदाताओ का यह अंदाज़ राजस्थान नगरपालिका चुनाव में कांग्रेस के लिए ख़ुशी और भाजपा खासकर खुद मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा सिंधिया के लिए एक अफ़सोस भरा पैगाम है ,,,,कांग्रेस की चाहे जीत हुई हो ,,,कांग्रेस ने चाहे महारानी के गढ़ में जाकर महारानी का क़िला ध्वस्त कर जीत हासिल कर अपना परचम लहरा दिया हो ,,लेकिन उत्साहित होने के साथ साथ कांग्रेस को भी दूसरे स्थानो के परिणामो को लेकर चिंतन मंथन की आवश्यकता है ,,,,,,दोस्तों नगरपालिका चुनाव सीधे भाजपा लहर के बाद हुए ,,पहले पंचायत के चुनाव में कोटा संभाग के मुख्यालय ग्रामीण क्षेत्र के चुनाव जहाँ भाजपा और खासकर आर एस एस का गढ़ कहा जाता है ,,वहां पंचायत ,,ज़िलापरिषद चुनाव में कांग्रेस ज़िंदाबाद हुई ,,इसके पहले उप चुनाव में चार में से तीन सीटों पर कांग्रेस ज़िंदाबाद हो चुकी थी ,,बात समझने की है के विधानसभा और लोकसभा चुनाव में जनता ने गुमराह होकर वोट दिया और फिर अब इन चुनाव में जनता फिर से कांग्रेस की तरफ झुकाव होने की वजह से अपनी भूल सुधार कर रही है ,,,,,,,,,,भाजपा की मुख्यमंत्री लगातार कोटा संभाग की समस्याओं से विमुख है ,,कोटा संभाग का एक जिला झालावाड़ जहाँ से वोह विधायक होने की वजह से मुख्यमंत्री बनी है ,,झालावाड़ और बारा ज़िले मिलकर लोकसभा क्षेत्र बने है जहाँ से उनके पुत्र दुष्यंत सांसद है ,,लेकिन बारां ,,झालावाड़ के लोग श्रीमती वसुंधरा के कारनामो से खुश नहीं है बल्कि अब वोह कांग्रेस को ज़िंदाबाद करने के लिए मुख्यमंत्री को उनके खुद के गृह ज़िले में सभी लालच और दबाव के बाद भी कांग्रेस को वोट दे रहे है ,,मुख्यमंत्री के प्रभावित क्षेत्र धौलपुर के भी यही हालत रहे है ,,चमचे और चापलूस चाहे इस परिणाम को किसी भी नज़र से देखे लेकिन यक़ीनन यह भाजपा और खासकर मुख्यमंत्री वसुंधरा सिंधिया की सभी कार्ययोजनाओं के खिलाफ जनता का गुस्सा है और सीधे रूप में अगर कहा जाए तो यह एक मुख्यमंत्री ,,एक सांसद की असफलता की पराकाष्ठा है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,दूसरी तरफ हम कांग्रेस की बात करे ,,झालावाड़ ,,,बारां में कांग्रेस जिस तरह से ज़िंदाबाद हुई है उसके लिए कांग्रेस के कार्यकर्ता ,,चुनावी प्रबंधन और कांग्रेस के प्रभारी पंकज मेहता ,,नईमुद्दीन गुड्डू ,,बारां के प्रमोद जेन भाया शाबाशी के पात्र है लेकिन जहाँ कांग्रेस चुनाव हारी है ,,वहां कांग्रेस मज़बूत होकर भी ,,चुनावी कुप्रबंध और टिकिट वितरण में अनावश्यक हाईकमान के दिग्गजों के हस्तक्षेप ,,,आपसी गुटबाज़ी ,,मुख्य कार्यकर्ताओें की उपेक्षा ,,ओवरकॉन्फिडेंस सहित कई कारण चुनाव में हार की वजह रहे है ,,कांग्रेस जीत की तरफ है ,,जनता में कांग्रेस का फिर क्रेज है लेकिन कांग्रेस के कुछ लोग है जो आज भी गुटबाज़ी ,,निजी तोर पर कांग्रेस से खुद को बढ़ा समझने वाले लोग कांग्रेस की हर बार जीती हुई बाज़ी हार में बदल रहे है ,,,,कांग्रेस हाईकमान को राजस्थान में सबसे पहले वोटर्स और आम जनता की पसंद को समझना होगा ,,,,उनके मुद्दो में खुद को शामिल करना होगा ,,कांग्रेस के परम्परागत वोटर्स के क्षेत्रों में अपनी पसंद को थोपने से खुद को रोकना होगा ,,इसके लिए कांग्रेस को निष्पक्ष रूप से पत्रकारों ,,सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारीयों ,,,वकीलों की एक सर्वेक्षण टीम चुनावी क्षेत्रो में भेजकर हार के कारणों ,,टिकिट वितरण में धांधलियों ,,मनमानी ,,चुनाव कुप्रबंधन ,,,गुटबाज़ी ,,कांग्रेस द्वारा कांग्रेस को हराने के साज़िश कर्ताओ की रिपोर्ट लेकर चिंतन मंथन करना होगा ,,कांग्रेस को खुद के तोर तरीक़ो ,,पदाधिकारियों को जनता की पसंद और कार्यकर्ताओं की भावना के अनुरूप बनाना होगा तब कही कांग्रेस फिर ठोस और मज़बूत हो सकेगी ,,,कांग्रेस के शुद्धिकरण और सुधार का यह काम सिर्फ़ और सिर्फ कांग्रेस सुप्रीमो सचिन पायलेट ही कर सकते है जो उन्हें अब चिंतन मंथन कर भविष्य की रणनीति मज़बूत करने के लिए यह सब तो कठोर ह्रदय कर करना ही होगा ,,,,यह किसी एक कार्यकर्ता की आवाज़ नहीं राजस्थान भर के कांग्रेस जन की आवाज़ है और यह सब करके कांग्रेस को तो ज़िंदाबाद करना ही होगा ,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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