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20 अगस्त 2015

जन्म लेते ही तुलसीदासजी ने बोला था राम, पत्नी के कारण बने संत

जन्म लेते ही तुलसीदासजी ने बोला था राम, पत्नी के कारण बने संत
श्रावण महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गोस्वामी तुलसीदास की जयंती मनाई जाती है। इस बार उनकी जयंती 22 अगस्त, शनिवार को है। तुलसीदासजी ने ही श्रीरामचरितमानस की रचना की है। श्रीरामचरितमानस में भगवान श्रीराम के जीवन का अद्भुत और सुंदर वर्णन मिलता है। आज गोस्वामी तुलसीदासजी की जयंती के अवसर पर हम आपको उनके बारे में कुछ ऐसी बातें बातें रहा हैं जो बहुत ही कम लोग जानते हैं-

1. श्रीरामचरितमानस का लेखन गोस्वामी तुलसीदास ने किया था। इनका जन्म संवत् 1554 में हुआ था। जन्म लेने के बाद बालक तुलसीदास रोए नहीं बल्कि उनके मुख से राम का शब्द निकला। जन्म से ही उनके मुख में बत्तीस दांत थे। बाल्यवास्था में इनका नाम रामबोला था। काशी में शेषसनातनजी के पास रहकर तुलसीदासजी ने वेद-वेदांगों का अध्ययन किया।

2. संवत् 1583 में तुलसीदासजी का विवाह हुआ। वे अपनी पत्नी से बहुत प्रेम करते थे। एक बार जब उनकी पत्नी अपने मायके गईं तो पीछे-पीछे वे भी वहां पहुंच गए। पत्नी ने जब यह देखा तो उन्होंने तुलसीदासजी से कहा कि जितनी तुम्हारी मुझमें आसक्ति है, उससे आधी भी यदि भगवान में होती तो तुम्हारा कल्याण हो जाता। पत्नी की यह बात तुलसीदासजी को चुभ गई और उन्होंने गृहस्थ आश्रम त्याग दिया व साधुवेश धारण कर लिया।

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