जैन समाज की धार्मिक आस्थाओ के प्रतीक संथारा प्रथा के खिलाफ हाईकोर्ट की
रोक के बाद जेन समाज के हज़ारो लोगों ने आज मोन जुलुस निकालकर कलेक्ट्रेट के
बाहर प्रदर्शन किया ,,प्रदर्शन में जेन समाज के पुरुष ,,कलाई पट्टी बांधकर
थे जबकि महिलाये ,,बच्चे ,,दूध पीते बच्चे भी इस जुलुस में लाये गए थे
,,,मोन जुलुस के दौरान जेन समाज के लोगों ने रामपुरा सहित कुछ स्थानो पर
स्कूल भी बंद करवाये जबकि इस जुलुस में बुज़ुर्ग महिलाये और पुरुष भी शामिल
थे एक सत्यांवे साल की जेन महिला का जज़्बा देखने लायक था
,,श्रीमती चन्द्र प्रीती जेन नयापुरा तक वाहन से आई और वहां से अपने
रिश्तेदारो के साथ वृद्धावस्था बीमारी की हालत में भी व्हील चेयर पर
बैठकर आयीं ,,श्रीमती चन्द्र प्रीती से जब मेने उम्र के इस पड़ाव पर जुलुस
में आने के बारे में सवाल किया तो उनका कहना था के धर्म की आस्था का संघर्ष
है इसके लिए उम्र और बीमारी की कोई रोक नहीं है बल्कि इस संघर्ष में सब को
जी जान से लगना होगा ,,, कलेक्ट्रेट पर पहुंच कर जेन समाज के लोगों ने
सफेद कपड़े पर हताक्षर अभियान भी चलाया जबकि मोन जुलुस कलेक्ट्रेट पर आम
सभा के रूप में परिवर्तित हो गया जहाँ ,,राजनीति भी हुई ,,,जेन समाज के
लोगों को सम्बोधित करते हुए भवानी सिंह राजावत ने समाज की समाज की संथारा
प्रथा का समर्थन करने हुए एक सितम्बर के बाद खुद कल्केट्रेट के बाहर
प्रदर्शन की बात कही जबकि उन्होेन कहा के भारत देश में भीष्म पितामह इच्छा
मृत्यु के प्रतीक है जबकि श्री रामचन्द्र के काल में भी इच्छा मृत्यु थी
ऐसे में सरकार या कोई भी धार्मिक आस्थाओ को बांध नहीं सकते
,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)