राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस भंवरू खान को पुलिस अधिनियम को लागू
करने के मामले में न्यायालय की अवमानना के खौफ से पुलिस जवाबदेही समिति का
चेयरमेन तो बना दिया गया लेकिन अब तक उन्हें पिछली सरकार और नई भाजपा
सरकार ने कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई है ,,हालत यह है के पीडितो को इन्साफ
दिलाने के जस्टिस भंवरू खान के जज़्बे की वजह से भवँरु खान अब खुद के खर्च
पर ही राजस्थान भर में जनसुनवाई कर पीडितो को तत्काल इन्साफ दिलाने की
कोशिशो में जुटे है ,,,,,,,,जस्टिस भंवरू खान स्वभाव से ही न्यायप्रिय है
और त्वरति न्याय के सिद्धांत पर काम करते रहे है है ,,,शोषितो
,,उत्पीड़ितों ,गरीबों को उनका हक़ मिले इसके लिए इनका न्यायिक संघर्ष का एक
इतिहास रहा है ,,,,,,राजस्थान में पुलिस अधिनियम दो हज़ार छ बनाया गया ,,फिर
वर्ष दो हज़ार सात में पुलिस नियम बनाये गए ,,पहले वसुंधरा सरकार ,,फिर
गेहलोत सरकार ,,फिर वसुंधरा सरकार लेकिन पुरे पंद्रह साल के इस सफर में
राजस्थान में जनता को निष्पक्ष इंसाफ दिलाने के लिए पुलिस अधिनियम के
आवश्यक प्रावधानों के बाद भी पुलिस जवाब देही समिति गठन सहित जब कोई
कार्यवाही नहीं हुई तो ह्यूमन रिलीफ सोसाइटी की तरफ से महासचिव अख्तर खान
अकेला ने इस मामले में सरकार सहित न्यायालयों का दरवाज़ा खटखटाया ,,सुचना के
अधिकार अधिनियम के तहत जागृति कार्यक्रम चलाया ,,,नतीजन पूर्व अशोक गेहलोत
सरकर ने रस्मन पुलिस कल्याण आयोग ,,,पुलिस जवाब देही समीति का प्रतीकात्मक
गठन किया ,,,,समिति का गठन तो किया लेकिन कोई बजट कोई सुविधा नहीं ,,रहने
की सुविधा नहीं ,,सचिव नहीं ,,स्टाफ नही ,,,ऐसे में कैसे आम हो ,,कैसे जनता
और पीड़ित पुलिस पक्ष के कल्याण की बात हो ,,केवल दो वर्ष की नियुक्ति का
कार्यकाल और सरकार बदल गई ,,वसुंधरा सरकार आई लेकिन आम जनता के इंसाफ
,,शोषित और पीड़ित पुलिस कर्मियों के कल्याण के लिए कोई जज़्बा कोई सुनवाई
नहीं ,,कोई बजट नहीं ,,पुलिस नियामक आयोग नीं ,,पुलिस जवाब देही समिति तो
है लेकिन बजट नहीं देने से कोई एक्शन नहीं ,,पुलिस कल्याण आयोग तो है लेकिन
बजट के बगैर पुलिस के कल्याण की योजनाये अधूरी है ,,केवल झुनझुना बजाने के
अलावा कुछ नहीं ,,,,,,,,,,,,राजस्थान पुलिस अधिनियम की पालना नहीं जबकि
प्रकाश सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य में पुलिस और जनता के बीच संवाद
स्थापित करने ,,निरंकुश पुलिस पर जनता का अंकुश रखने ,,पीड़ित पुलिस
कर्मियों के कल्याण की सुनवाई को लेकर पुलिस अधिनियम के गठन के आदेश थे
,,अफ़सोस राजस्थान ने इस क़ानून को पुरे देश में सबसे पहले तो बनाया
,,विधानसभा में पारित भी करवाया लेकिन आज तक भी इस क़ानून को लागू नहीं कर
पाई है ,,सरकार को जनता की पीड़ा से कोई वास्ता नहीं केवल अफ़सरशाई और
नौकरशाही की गुलाब बनी सरकार पुलिस जवाब देही समिति ,,पुलिस नियामक आयोग
,,जिला और संभाग समितियों सहित पुलिस कल्याण आयोग के गठन को टालती रही
,,ह्यूमन रिलीफ सोसाइटी महासचिव की हैसियत से इस मामले में अख्तर खान
अकेला का संघर्ष जारी रहा ,,नतीजन पिछली सरकार ने दिखावटी तोर पर पुलिस
जवाबदेही समिति का गठन तो किया लेकिन राजयभर में सुनवाई के लिए कोई बजट
नहीं ,,,कोई भत्ता नहीं ,,कोई सुविधा नहीं ,,कोई स्टाफ नहीं ,,,,,संभाग
स्तर और जिला स्तर की समितियों का गठन नहीं ,,,जस्टिस भंवरू खान ने सरकार
की सुविधाओ का इन्तिज़ार किया लेकिन जब वक़्त कम देखा और काम ज़्यादा
,,शिकायते ज़्यादा ,,पीड़ितों की सिसकियाँ और आहे सुनी तो उनसे रहा न गया और
जस्टिस भंवरू खान खुद के खर्च पर जवाबदेही समिति के चेयरमेन की हैसियत से
जनता के हक़ की लड़ाई के लिए निकल पढ़े वोह चौराहो पर ,,,सड़कों पर ,,,ज़मीन पर
चौपाल लगाकर सुनवाई करते है और पीड़ित लोगों को तत्काल न्याय भी दिलवाने के
आदेश देकर उनके मुरझाये हुए चेहरों को खिला भी देते है ,,,जस्टिस भंवरू
खान से आज जब मेने कोटा संभाग क्षेत्र में भी दौरा कर जनसुनवाई का आग्रह
किया तो उन्होंने सरकार की बेरुखी का दर्द छुपाते हुए सिर्फ इतना कहा
,इंशा अल्लाह कोटा संभाग क्षेत्र में भी जनसुवाई कार्यक्रम होगा चाहे मेरे
अपने निजी खर्च पर ही क्यों न हो ,,,बस में उनका दर्द समझ गया ,,काश
राजस्थान की सरकार ,,,राजस्थान का मिडिया ,,राजस्थान का प्रतिपक्ष
,,राजस्थान के मानवाधिकार कार्यकर्ता पुलिस अधिनियम के विशिष्ठ प्रावधानों
के तहत गठित इस जवाब देही समिति की ज़रूरत इस राजस्थान के इंसाफ के लिए
समझे और पुलिस जवाब देही समिति को मज़बूती देने के लिए निष्पक्षता देने के
लिए संभाग और ज़िले स्तर पर गठित करवाकर आम जनता को इंसाफ दिलवाने के लिए
कोई क़दम उठाये तो बात बने ,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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