आपका-अख्तर खान

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29 अगस्त 2015

रो देता है अक्सर अकेले मे,

वो एक पुलिसवाला है
रो देता है अक्सर अकेले मे,
अपने अरमानों को मरते हुए देखकर,
हंसता है सबके सामने,
अपने दर्द को दिल में रखकर।
क्योंकि वो एक पुलिसवाला है......
आज फिर निकल गया ये रक्षाबंधन का त्यौहार,
रह गयी कलाई सूनी इतना बड़ा होते हुए परिवार,
हर समय काम का बोझ, न शनिवार, न रविवार।
फिर भी हर समय खुश दिखाने की कोशिश करता है।
क्योंकि वो एक पुलिसवाला है।।......
सोचता है कोई लगाए मेरे भी माथे पर टिका चंदन।
बहन बाँधे कलाई पर मेरी, प्यार का बंधन॥
हाथ रखकर सिर पर, दूं उसे रक्षा का वचन।
अबकी बार पक्का छुट्टी लेकर घर आऊंगा।
फिर मैं तुमसे रखड़ी बंधवाऊगा।
बस यही सोचकर अपने दिल को समझाता है।
क्योंकि वो एक पुलिसवाला है॥.....
मुझे बस दुनिया से यही कहना है,
लाखों में एक मेरी बहना है।
रखड़ी भी एक गहना है,
सूनी ना रह जाये कलाई, चौराहे पर खड़े पुलिस वाले की।
बाँध देना एक डोरी उसकी भी कलाई ,
जो सोचता है अकसर लोगों की भलाई ।
वो हर एक बहन की इज्जत का रखवाला है।
वो पुलिसवाला है.......
वो पुलिसवाला है ............

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