ज़िन्दगी एक संघर्ष है और संघर्ष में अगर होसला ,,,अनुशासन ,,सलाहियत शामिल
हो तो ज़िंदगी में कामयाबी ही कामयाबी है ,,जीत ही जीत है ,,खुशियां ही
खुशियाँ है ,,मुसीबतों से घबराओ मत ,,,,दुश्मन को ताक़तवर देखकर हार मत मानो
बस लड़ते रहो लड़ते रहो ,,आखिर में जीत आपके क़दम चूमेगी ,,,यही कुछ सीख देते
है कोटा के वकीलों के भीष्मपितामह पूर्व कोंसिल अध्यक्ष महेश गुप्ता
एडवोकेट अपने अधीनस्थ साथियों को ,,,,,,,,,,,,,जी हाँ दोस्तों में बात कर
रहा हूँ वरिष्ठ अभिभाषक महेश चंद गुप्ता की जो ना हारे है ,,न थके है
,,सिर्फ चलते रहना उनका काम है ,,,बच्चो में बच्चे ,,बढ़ो में बढ़े
,,बुज़ुर्गों में बुज़ुर्ग हर दिल क़ज़ीज़ महेश चंद गुप्ता कोटा अभिभाषक परिषद
के वरिष्ठ वकील होने के नाते सभी वकील साथियों में लोकप्रिय है और इसीलिए
वकीलों के आप भीष्मपितामह कहे जाने लगे है ,,,,महेश गुप्ता एडवोकेट का जन्म
रामगंजमण्डी में हुआ प्रारम्भिक शिक्षा कोटा ,,फिर झालावाड़ हुई
,,मध्यप्रदेश से इंटर पास कर आपने पहले कोटा से इलेक्ट्रिक में आई टी आई की
,,नौकरी की लेकिन पिता सहकारिता में अधिकारिता थे उनको यह नौकरी पसंद नहीं
थी इसलिए महेश गुप्ता ने पहले जयपुर में एल एल बी में दाखिला लिया ,,फिर
जोधपुर से एल एल बी की मुकम्मल पढ़ाई की ,,,,महेश गुप्ता ने पूर्व हाईकोर्ट
जज जस्टिस पानाचंद गुप्ता के साथ वकालत के गुट सीखे लेकिन अध्ययन और संघर्ष
इनके मिजाज़ में शामिल होने से वकालत में वकीलों के नेतृत्व मामले में
इन्होने खुद को आकाश कर लिया ,,,,,,,कोटा के वकीलों में किसी का भी दुःख
दर्द हो ,, मोत मय्यत हो महेश गुप्ता ऐसे वकील साथी की मदद के लिए हमेशा
तत्पर नज़र आते है ,कोटा के किसी भी वकील के निधन पर शोकसभा हो आप हर
शोकसभा में उपस्थित होते है ,,समय पर आकर उस वकील के जीवन पर खुलकर रौशनी
डालते है ,,,हाज़िर जवाबी ,,निर्भीकता ,,,नीडरता ,,हर दिल अज़ीज़ ,,सेवाभावी
,,खुशनुमा मिजाज़ ,,समर्पित सेवा भाव ,,,,,,क़ानून में मास्टरी ,,,साफगोई
,,संघर्षशीलता ,,,,,,,,,महेश गुप्ता एडवोकेट की पहचान है ,,,,,,,,,,,,महेश
गुप्ता राजस्थान बार कोंसिल के तीन बार नीर्वाचित सदस्य रह चुके है ,,,यह
बार कोंसिल राजस्थान के अध्यक्ष पद पर भी नीडरता से काम करने वाले पहले
अध्यक्ष माने जाते है ,,,,,,,,इनके कार्यकाल में वकीलों के लिए शैक्षणिक
सेमिनार आयोजित की गई ,,तो वकीलों के एकेडमिक कार्य के लिए इनका प्रमुख
योगदान रहा ,,,,,,,,,,,,कोटा के वकीलों का कोई भी संकट हो ,,दुःख हो ,,ख़ुशी
हो ,,,महेश गुप्ता हर घडी के साक्षी बनते है ,,,संकट काल में ,, संघर्ष
काल में महेश गुप्ता हमेशा वकीलों के मान ,,संम्मान ,,मर्यादा की लड़ाई में
अव्वल रहते है ,,चाहे एक वकील को हथकड़ी लगाकर अपमानित करने का मामला हो
,,चाहे आम जनता पर मनमानी कोर्टफीस थोपने की सरकारी हिमाक़त हो ,,,चाहे कोटा
में किसी जज या अधिकारी की वकीलों के साथ बद सलूकी हो ,,,,वकीलों के हक़ की
लड़ाई हो ,,,हाईकोर्ट बेंच की मांग हो ,,ऐ डी जे परीक्षा घोटाला काण्ड हो
,,,,,,,,,,,,पुलिस उत्पीड़न के खिलाफ संघर्ष हो ,,महेश गुप्ता ने हमेशा
स्थानीय नेतृत्व को होसला दिया है ,,साथ दिया है ,,हमेशा अपने सुझावों से
,,,,अपनी सक्रियता से ऐसे हर आंदोलन को मज़बूती के साथ ज़िम्मेदारी के साथ
जीत के नतीजे तक पहुंचाया है ,,,,,,,,,महेश गुप्ता एडवोकेट किसी अधिकारी
,,किसी नेता की गुलामी या चमचागिरी ,चापलूसी पसंद नहीं करते है वोह मुंह पर
वकीलों के हक़ की बात करते है इसलिए कई अधिकारीयों और नेताओं की महेश
गुप्ता आँख की किरकिरी भी बने है ,,,,,,,,हंसो ,,हँसाओ ,,दूसरों की मदद
करो ,,न झुको ,,, न झुकाओ ,,ना डरो ,,ना डराओ ,,,,,,,,,बस ना काहू से
दोस्ती ,,ना काहू से बेर के सिद्धांत पर सभी को साथ लेकर चलना महेश गुप्ता
अपना स्वभाव बना चुके है ,,,,वोह खुद से भी लड़ते है ,,बीमारी से भी लड़ते है
और जीतकर फिर से हमारे बीच में एक नौजवान की तरह ज़िंदाबाद रहते है ,,महेश
गुप्ता किसी सियासी पार्टी से वाबस्ता नहीं रहे ,,मात्र सेवा भाव उनका
सिद्धांत है ,,उनकी नेतृत्व क्षमता का उदाहरण देखिये के कई सालों पहले जब
मॉर्निंग वाक् का चलन कम हुआ करता था तब महेश गुप्ता एडवोकेट ने कोटा
उद्यान में आने वालों को एक जुट कर हंसना सिखाया ,,,एक साथ जोड़ा और
मॉर्निंग क्लब के नाम से एक क्लब गठित कर सभी लोगों को एक जुट कर दिया
,,इधर नयापुरा उद्यान में जब डीज़ल की पर्यटन ट्रेन से पर्यावरण के नुकसान
की चिंता हुई तो इसके लिए सीधा संघर्ष किया जब सरकार नहीं मानी तो राजस्थान
हाईकोर्ट में कार्यवाही कर डीज़ल इंजन की जगह पर्यावरण सुरक्षा की दृष्टि
से गैस का रेल इंजन लगवाकर ही ट्रेन चालु होने दी ,,इसके लिए उन्हें विरोध
का सामना भी करना पढ़ा लेकिन वोह ना डरे ,,न बहके ,,सिर्फ लड़े और जीते
,,,,,,,,,,,,,,,महेश गुप्ता एडवोकेट का कहना है के हिंदुस्तान में किसी भी
कोने में अगर वकील पर कोई संकट आये तो वोह वकील का बोर्ड देखे और स्थानीय
वकील के पास जाए उसकी समस्या का समाधान ज़रूर निकलेगा उसे मदद ज़रूर मिलेगी
,,उन्होंने एक क़िस्सा सुनाया शिमला हिल स्टेशन जब महेश गुप्ता और एक साथी
अपने परिवार के साथ शाम शिमला पहुंचे तो वहां कोई होटल खाली नहीं मिला
,,आखिर परेशान होकर थक हार कर जब एक वकील साहब का बोर्ड देखा उनका दरवाज़ा
खटखटाया तो वकील साहब ने दोनों परिवारो को घर में ही ठहराया ,,,खाना भी
आधीरात को खिलवाया और खुद वकील साहब बाहर रसोई के पास सोये लेकिन मेहमानो
को सम्मान के साथ सुविधाओ के साथ रहने की जगह दी ,,,,,,,,,,,,तो दोस्तों
महेश गुप्ता आने वाली युवा पीढ़ी ,,युवा वकीलों के लिए एक आदर्श है ,,,,मुखर
अधिवक्ता है ,,ज़िंदाबाद है ,,ऐसी शख्सियत को सेल्यूट ,,सलाम
,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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