महात्मागांधी राष्ट्रपिता शब्द से भी ऊपर है विश्व स्तर पर भारत की पहचान 
महात्मा गांधी के ही नाम से है और अमेरिका से लेकर विश्व के अधिकतम शासक 
शासन चलाने और जनता शासन के खिलाफ संघर्ष में गांधी विचारधारा का ही 
इस्तेमाल करती है ,,,फिर भी हमारे देश के कुछ लोग जिन्होंने कभी देश के 
आज़ादी के आंदोलन में साथ नहीं दिया सिर्फ अंग्रेज़ों की भक्ति दिखाई 
,,मुखबीरी की आज वोह लोग उनकी युवा पीढ़ी गांधी और उनकी विचारधारा को सोशल 
मिडिया के ज़रिये दूसरे प्रचारों के ज़रिये दूषित करने का प्रयास कर रही है 
जिसे कतई बर्दाश्त नहीं करना चाहिए ,,,उक्त उदगार प्रकट करते हुए आज यहां 
इंजीनियर  भवन विज्ञाननगर में आयोजित महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति कोटा 
शाखा द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बोते हुए विश्व स्तरीय गांधी विचारक 
पूर्व कुलपति कोटा विश्विद्यालय प्रोफ़ेसर डॉक्टर नरेश दाधीच ने खुले शब्दों
 में कहा के गांधी के सिर्फ वही लोग आलोचक है जिन्होंने देश के आज़ादी के 
आनदोलन में सिर्फ अंग्रेज़ो का साथ दिया है ,,,उन्होंने कहा के गांधी एक 
दर्शन है ,,एक विचार है जो केवल भारत में ही नहीं बल्कि विषय में अपनी 
पहचान बना चूका है और इस विचारधारा को विश्व के सभी देशो ने अंगीकार भी 
किया है ऐसे में गांधी की छवि धूमिल करने के प्रयासों में जुटे लोगों को 
अपने गिरेहबान में झांकना चाहिए ,,,उन्होंने कहा के में जब हॉलैंड के एक 
छोटे से क़स्बे में गांधी दर्शन पर व्याख्यान के लिए गया तो स्टेशन से 
टेक्सी से होटल के लिए रवाना हुआ ,,टेक्सी वाले का सीधा सवाल था आप कहा से 
में कहा भारत से ,,टेक्सी वाले  का फिर सवाल गांधी के देश से ,,,इस पर मेने
 सवाल किया ,,गांधी को तुम कैसे जानते हो क्या तुम भारत गए ,,टेक्सी 
ड्रायवर का जवाब था में हॉलैंड से बाहर नहीं गया लेकिन हॉलैंड की जनता 
अक्सर अपने अहिंसात्मक आंदोलन में  गांधी की तस्वीर लगाकर आंदोलन करती है 
और इसीलिए गांधी विश्वस्तर पर अपने हक़ के संघर्ष की पहचान है 
,,,,,,,,,,,डॉक्टर दाधीच ने कहा के द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वाइसराय 
से जब ब्रिटिश हुकूमत ने कहा के भारत के हर ज़िम्मेदार का  ब्रिटिश के पक्ष 
में समर्थन लो,,,वाइसराय ने कोशिश भी की सभी कोंग्रेसी लगभग पक्ष में थे 
लेकिन महात्मा गांधी का कहना था के अँगरेज़ अगर भारत की आज़ादी की शुरुआत 
करते है तो हम आपका साथ देंगे ,,वाइस राय ने ब्रिटिश हुकूमत से कहा के में 
पुरे भारत के लोगों से  अपनी बात मनवा सकता हूँ लेकिन एक शख्स करम चंद 
गांधी है जिसे नहीं मना सकता और सभी लोगों के मानने के बाद भी गांधी नहीं 
माने तो देश का कोई भी नहीं मानेगा ,,,दाधीच ने कहा के राष्ट्रपिता की 
उपाधि गांधी को उनके समर्थकों ने नहीं बल्कि उनके खिलाफ लोगों ने दी थी 
,,,खुद सुभाष चन्द्र बॉस जो गांधी की अहिंसा विचारधारा के खिलाफ थे 
उन्होंने गांधी को राष्ट्रपिता कहा और स्वीकार किया के भारत की आज़ादी की 
लड़ाई चाहे अलग अलग धड़ों में लड़ी जा रही हो लेकिन इस लड़ाई का नेतृत्व सिर्फ 
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का है ,,,,,,,,,,,,,,प्रोफेसर दाधीच ने कहा के 
गांधी जी जब भारत में दक्षिणी अफ्रीका से आये और उन्होंने राजनीती में आने 
की इच्छा जताई तो उनसे उनके गुरु ने एक साल देश का भ्रमण कर देश के लोगों 
और समस्याओं को समझने का सुझाव दिया ,,देश का भृमण कर महात्मा गांधी जब 
बनारस की कांग्रेस की बढ़ी  सभा में पहुंचे तो वहां एनी बेसेंट ,,,महाराजा 
सहित कई वरिष्ठ लोग थे ,,गांधी की भारत में पहली सियासी मजलिस थी ,,सभी 
लोगों ने अंग्रेजी में भाषण दिया ,,,आखिर में जब गांधी का नंबर आया तो 
उन्होंने विनम्रता से कहा के हम जिन लोगों की समस्याओं की बात कर रहे है 
उनकी भाषा में बात नहीं कर रहे ऐसे में हम उन लोगों के लिए कैसे संघर्ष 
करेंगे ,,उन्होंने कहा के हम गरीबों की बात करते है लेकिन हमारे महाराजा 
चार किलों सोना पहन कर बैठे है ,,इस पर मंच पर बैठे सभी लोगों ने ऐतराज़ 
जताया  ,,गांधी को बैठने के लिए कहा गया ऐसे में गांधी ने कहा के आप बढ़े 
लोग हो में बैठ जाऊँगा लेकिन जो  मुझे सुन रहे है पहले उनसे उनकी राय ले 
लेते है इस पर जो लोग गांधी को सुन रहे थे उन्होंने गांधी को पूरा सूना 
,,तभी से कांग्रेस  का विधान बना जिसमे खादी पहनना ,,,समाजवाद ,,सहित दस 
मूल सिद्धांत बनाये गए ,,,,,,,,,,दाधीच ने कहा के महात्मा गांधी जब दक्षिणी
 अफ्रीका एक केस के सिलसिले में गए तो उन्होंने विवाद में समझोता करवाया 
बाद में जब वोह आने लगे तब एक समारोह में उन्होंने सरकार द्वारा बनाये गए 
नियमों का हवाला दिया तो उन्हें दक्षिणी अफ्रीका वालों ने जबरन रोक लिया 
,,गांधी ने दो शर्त रखी एक तो सार्वजनिक हित का संघर्ष होने से वोह किसी से
 कोई फीस ,,महंनताना नहीं लेंगे ,,दूसरे उनके पत्नी बच्चे है इसलिए उनकी 
आवश्यक ज़रूरतों की ज़िम्मेदारी दक्षिणी अफ्रीका वालों को उठाना होगी ,,तब से
 गांधी ने दक्षिणी अफ्रीका वालों से कोई फीस नहीं ली ,मुक़दमे भी लड़े 
,,इंसाफ भी दिलवाया ,,जब गांधी भारत आने लगे तो दक्षिणी अफ्रीका वालों ने 
गांधी को सोने के ज़ेवर बहुतायत से दिए ,,गांधी और उनकी पत्नी के बीच रात भर
 झगड़ा होता रहा ,,गांधी कहते थे यह सोना हम नहीं लेंगे पत्नी कहती थी के 
बिना मांगे यह सोना मिला है बच्चो के काम आएगा इसलिए रख लो ,,आखिर सुबह हुई
 गांधी ने सारा सोना वापस लोटा कर एक  ट्रस्ट बना दिया जिससे दक्षिणी 
अफ्रीका में इंसाफ का संघर्ष होता रहा ,,नेल्सन मंडेला जो एक नक्सली 
गुरिल्ला युद्द लड़ने में पारंगत थे उन्हें जब जेल हुई और काल कोठरी में 
उन्हें गांधी का साहित्य दिया गया तो पुरे बीस साल नेल्सन मंडेला ने गांधी 
के विचार और पढ़ने में निकाल दिए और अहिंसा का रास्ता अपनाकर अपनी लड़ाई जीत 
ली ,,खुद अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा रोज़ सुबह अपने  कमरे में गांधी की 
तस्वीर रखते है प्रणाम करते है कहते है के मुझे रोज़ हमलों के कागज़ों पर 
हस्ताक्षर करना पढ़ते है ,,गांधी का स्मरण कर कुछ एक मामलों में में 
हस्ताक्षर टाल देता हूँ ,,आज़ादी के बाद एक अंग्रेजी अख़बार के संपादक ने 
जवाहरलाल नेहरू से पूंछा के   आप क़ाबिल है ,,,सरदार बल्लब भाई पटेल 
,,डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद क़ाबिल है फैसले ले सकते है जनता के निर्वाचित है
 फिर आप खुद फैसला लेने की जगह  गांधी के पास क्यों भेजते है इस पर नेहरू 
मुस्कुराये उन्होंने कहा के हमे पता है के हम फैसला लेने की क्षमता रखते है
 ,,सही फैसले होते है ,लेकिन हमारे फैसले जनता की निगाह में संदिग्ध होते 
है और वही फैसला गांधी करते है तो जनता उसे निर्विवाद तरीके से बिना किसी 
संदेह के सर्वसम्मति से स्वीकार कर लेती है क्योंकि उसमे सियासत 
,,मतलबपरस्ती नहीं होती ,,,,,,,,कार्यक्रम में डॉक्टर अविनाश ने बोलते हुए 
गांधी के आर्थिक दर्शन के बारे में समझाया ओर कहा के गांधी पूंजीपतियों का 
एक हिस्सा आम लोगों के लिए खर्च करवाने की मंशा रखते थे जिसे उस वक़्त के 
उद्योपतियों ने स्वीकार भी किया जो वर्तमान में नया क़ानून कॉर्पोरेट सेक्टर
 द्वारा अपनी आय का दो  प्रतीशत जनता के हित में खर्च करने का क़ानून बनाया 
है ,कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए पंकज मेहता ने कहा के गांधी दर्शन देश 
का ही नही विश्व का दर्शन है ,,आज नो अगस्त कांग्रेस का दिन है ,,अंग्रेज़ों
 भारत छोडो का दिन है जो गांधी दर्शन से ही सम्भव हुआ है ,,पंकज मेहता ने 
अफ़सोस जताय के कुछ शरारती तत्व गांधी की विचारधारा ,,गांधी के दर्शन और 
गांधी की छवि को  मिडिया के माध्यम से बिगड़ने का प्रयास कर रहे है जो चिंता
 का विषय है ,,,,,,,,,,,,,,कार्यक्रम का संचालन नरेंद्र विजयवर्गीय ने किया
 इसके पूर्व पंकज मेहता ने महमानों का   सूत की माला पहना कर स्वागत किया 
और गांधी के चित्र पर भी माला पहनाकर उनका स्मरण किया ,,,,,,,,,,,अख्तर खान
 अकेला कोटा राजस्थान

 
 

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