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10 अगस्त 2015

शिवलिंग पर खुद ही गिरता है पानी, नाग-नागिन का जोड़ा देता है भक्तों को दर्शन

शिवलिंग पर गिरता प्राकृतिक जल। इनसेट में नागराज कभी-कभी भक्तों को दर्शन देते हैं।
शिवलिंग पर गिरता प्राकृतिक जल। इनसेट में नागराज कभी-कभी भक्तों को दर्शन देते हैं।
इंदौर। इंदौर बाइपास से बैतूल मार्ग पर देवगुराडिय़ा पहाड़ी पर भगवान शिव का एक हजार साल से भी ज्यादा पुराना मंदिर है, जिसमें हर साल सावन माह में पहाड़ी जल से शिवजी का प्राकृतिक अभिषेक होता है। मंदिर में शिवलिंग के ऊपर की तरफ बने नंदी के मुख से सावन-भादो के महीने में प्रतिवर्ष प्राकृतिक जल निकलता है, जो सीधे शिवलिंग पर गिरता है और मंदिर के दरवाजे के बाहर बने अमृतकुंड में भर जाता है। ऐसा एक दो साल से नहीं, बल्कि जब से मंदिर बना है तब से हो रहा है।

मंदिर के पुजारी ओमप्रकाश पुरी बताते हैं कि सोलह पीढ़ियों से उन्हीं का परिवार मंदिर की पूजा कर रहा है। अब सत्रहवीं पीढ़ी यह काम संभालने के लिए तैयार है। वे बताते हैं कि यह मंदिर एक हजार साल से भी ज्यादा पुराना है। इस मंदिर को स्‍थानीय लोगों के बीच गरुड़ तीर्थ के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता यह है कि भगवान गरुड़ ने यहां कठिन तपस्या की थी, जिसके बाद यहां शिव प्रकट हुए थे और शिवलिंग के रूप में यहीं रह गए। होल्कर रियासत की देवी अहिल्या शिव भक्त थीं, उन्होंने 18वीं सदी में इस प्राचीन शिव मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।

मंदिर में पांच कुंड
माना जाता है कि देवगुराड़िया शिव मंदिर और शिवलिंग पूर्व समय में जमीन में डूब गया था और उस पर बाद में ऊपर से एक मंदिर बनवा दिया गया था। इस मंदिर पर हर साल शिवरात्रि के दौरान भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। मंदिर में पांच कुंड हैं, जिसमें दो कुंडों में लोग स्नान करते हैं। इनमें हमेशा पानी भरा रहता है। मान्यता है कि इनका पानी कभी नहीं सूखता है और पूरे गांव की प्यास इसी कुंड से बुझाती है।

मंदिर में रहता है नाग का जोड़ा

मंदिर में भगवान शिव के गण माना जाने वाला नाग का जोड़ा भी रहता है। कभी कुंड में तो कभी शिवालय में ये नाग-नागिन भक्तों को दर्शन देते हैं। मान्यता है कि जिस भक्त को इनके दर्शन होते हैं, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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