नई दिल्ली: पोर्न परोसने
के आरोप में 850 से ज्यादा साइट्स पर लगाए गए बैन के फैसले में केंद्र
सरकार ने कुछ बदलाव किए हैं। सरकार ने गैर पोर्न साइट्स से बैन हटाने का
फैसला किया है। दरअसल, सरकार की इस बैन के दायरे में कुछ डेटिंग, ह्यूमर और
टॉरंट साइट्स भी आ गई थीं। फ्रेंच मीडिया ने रिपोर्ट किया कि ब्लॉक की गई
साइट्स में अखबार Le Dauphine की वेबसाइट भी शामिल है। इनसे ही बैन हटाने
का फैसला किया गया है। हालांकि, ब्लू फिल्मों और चाइल्ड पोर्न परोसने वाली
साइट्स पर बंदिश लगी रहेगी। वहीं, अधिकारियों ने कहा कि बैन एक टेंपररी कदम
है। यह सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के इस मामले में फाइनल आदेश न आने तक जारी
रहेगा।
बिना होमवर्क किए ब्लॉक किए साइट्स
बीते हफ्ते सरकार ने इंटरनेट सर्विस प्रोवाइट्स को कुछ साइट्स की लिस्ट सौंपते हुए उन्हें ब्लॉक करने को कहा था। सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने इस मामले में बिना होमवर्क किए उन साइट्स की लिस्ट ब्लॉक करने के लिए दे दी, जिनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक वकील ने याचिका लगाई हुई थी। अब सरकार फिर से उन साइट्स की लिस्ट तैयार कर रही है, जिन पर बैन जारी रहेगा।
बीते हफ्ते सरकार ने इंटरनेट सर्विस प्रोवाइट्स को कुछ साइट्स की लिस्ट सौंपते हुए उन्हें ब्लॉक करने को कहा था। सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने इस मामले में बिना होमवर्क किए उन साइट्स की लिस्ट ब्लॉक करने के लिए दे दी, जिनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक वकील ने याचिका लगाई हुई थी। अब सरकार फिर से उन साइट्स की लिस्ट तैयार कर रही है, जिन पर बैन जारी रहेगा।
हुई हाईलेवल मीटिंग
टेलिकॉम मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद ने मंगलवार को एक हाई लेवल मीटिंग की। इसमें आईटी सेक्रेटरी आरएस शर्मा और एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद भी शामिल थे। रविशंकर प्रसाद के मुताबिक, मीटिंग में फैसला लिया गया कि इंटरनेट सर्विस प्रोवाइट्स से तुरंत कहा जाएगा कि वे उन साइट्स से बैन हटाएं जो पोर्नोग्राफिक और खास तौर पर चाइल्ड पोर्न नहीं परोसते। सरकार के बैन के फैसले पर प्रसाद ने कहा, ''सरकार ने तत्काल बैन का फैसला सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पूरा करने के लिए लिया था। इसमें कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता द्वारा मुहैया कराई गई कथित पोर्न साइट्स के खिलाफ टेलिकॉम डिपार्टमेंट कार्रवाई करे।'' प्रसाद ने कहा कि सरकार इंटरनेट पर फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन की हिमायती है।
टेलिकॉम मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद ने मंगलवार को एक हाई लेवल मीटिंग की। इसमें आईटी सेक्रेटरी आरएस शर्मा और एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद भी शामिल थे। रविशंकर प्रसाद के मुताबिक, मीटिंग में फैसला लिया गया कि इंटरनेट सर्विस प्रोवाइट्स से तुरंत कहा जाएगा कि वे उन साइट्स से बैन हटाएं जो पोर्नोग्राफिक और खास तौर पर चाइल्ड पोर्न नहीं परोसते। सरकार के बैन के फैसले पर प्रसाद ने कहा, ''सरकार ने तत्काल बैन का फैसला सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पूरा करने के लिए लिया था। इसमें कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता द्वारा मुहैया कराई गई कथित पोर्न साइट्स के खिलाफ टेलिकॉम डिपार्टमेंट कार्रवाई करे।'' प्रसाद ने कहा कि सरकार इंटरनेट पर फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन की हिमायती है।
क्या है मामला
भारत में 850 से ज्यादा पोर्न वेबसाइट्स ब्लॉक कर दी गईं। इन साइट्स को एक्सेस करने की कोशिश करने पर “Your requested URL has been blocked as per the directions received from Department of Telecommunications, Government of India. Please contact administrator for more information.” का मैसेज देखने को मिला। इसके बाद, सोशल मीडिया ने तीखी प्रतिक्रिया दी और सरकार के फैसले की आलोचना की।
भारत में 850 से ज्यादा पोर्न वेबसाइट्स ब्लॉक कर दी गईं। इन साइट्स को एक्सेस करने की कोशिश करने पर “Your requested URL has been blocked as per the directions received from Department of Telecommunications, Government of India. Please contact administrator for more information.” का मैसेज देखने को मिला। इसके बाद, सोशल मीडिया ने तीखी प्रतिक्रिया दी और सरकार के फैसले की आलोचना की।
क्या था सुप्रीम कोर्ट का कमेंट
पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने चाइल्ड पोर्नोग्रफी रोकने में गृह मंत्रालय के नाकाम रहने पर कमेंट किया था। टेलिकॉम डिपार्टमेंट के अधिकारियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के इस कमेंट के बाद जरूरी हो गया था कि एडल्ट कंटेंट रखने वाली साइटों पर लगाम लगाई जाए। सूत्रों ने कहा, ''यह ऑर्डर आईटी एक्ट के आर्टिकल 19(2) के तहत जारी हुआ है। इसके मुताबिक सरकार के पास शालीनता और नैतिकता बनाए रखने के लिए बैन लगाने का अधिकार है।'' हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक दूसरे कमेंट में पोर्न साइटों पर बैन लगाने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि कोई किसी को बंद कमरे में पोर्न देखने से कैसे रोक सकता है?
पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने चाइल्ड पोर्नोग्रफी रोकने में गृह मंत्रालय के नाकाम रहने पर कमेंट किया था। टेलिकॉम डिपार्टमेंट के अधिकारियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के इस कमेंट के बाद जरूरी हो गया था कि एडल्ट कंटेंट रखने वाली साइटों पर लगाम लगाई जाए। सूत्रों ने कहा, ''यह ऑर्डर आईटी एक्ट के आर्टिकल 19(2) के तहत जारी हुआ है। इसके मुताबिक सरकार के पास शालीनता और नैतिकता बनाए रखने के लिए बैन लगाने का अधिकार है।'' हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक दूसरे कमेंट में पोर्न साइटों पर बैन लगाने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि कोई किसी को बंद कमरे में पोर्न देखने से कैसे रोक सकता है?
इन पांच कारणों से पोर्न पर कंप्लीट बैन नामुमकिन
>साइबर एक्सपर्ट्स मानते हैं कि पोर्न साइट्स पर बैन इसलिए नामुमकिन है, क्योंकि इससे जुड़े सभी सर्वरों को ब्लॉक नहीं किया जा सकता।
>इंटरनेट पर पोर्न कंटेंट परोसने वाली लाखों वेबसाइट्स हैं।
सरकार ने अभी तक सिर्फ 850 साइट्स पर बैन लगाया है। ऐसे में जिसे पोर्न
कंटेंट चाहिए, वो गूगल से सर्च करके इसे हासिल कर सकता है।
>ब्लॉक साइट्स को प्रॉक्सी सर्वरों के जरिए एक्सेस करना
मुमकिन है। ऐसी कई साइट्स हैं, जो वीपीएन (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) के
जरिए इन साइट्स का एक्सेस देती हैं।
>वेबसाइट्स के कंटेंट फिल्टरिंग की सही व्यवस्था नहीं है।
यानी पोर्न वेबसाइट्स चाहें तो एक मिरर साइट क्रिएट करके या अपने नाम में
थोड़ा बहुत फेरबदल करके ये चीजें परोस सकती हैं। इसके अलावा, बैन तभी तक
अच्छे से लागू रह सकता है, जब यह कीवर्ड बेस्ट हो या कंटेंट पर पूरी तरह
नजर रखी जाए। यह प्रक्रिया बेहद महंगी है और इसे मेंटेन करना आसान नहीं है।
>वेबसाइट्स ब्लॉक करके पोर्न को नहीं रोका जा सकता। लोग
टॉरंट साइट्स के जरिए इन्हें डाउनलोड कर सकते हैं। इसके अलावा, मार्केट में
यह डीवीडी, सीडी के तौर पर भी मुहैया है।
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