आपका-अख्तर खान

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22 अगस्त 2015

गुज़रते लम्हों में

गुज़रते लम्हों में सदियाँ तलाश करता हूँ..
ये मेरी प्यास है नदियाँ तलाश करता हूँ.
यहाँ तो लोग गिनाते है खूबियां अपनी..
में अपने आप में खामियाँ तलाश करता हूँ….!!

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