दोस्तों पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कोटा प्रवास पर थे
,,सर्किट हाउस में उनके कई प्रशंसक अशोक गहलोत को कम्पनी दे रहे थे ,,अचानक
एक कोंग्रेसी मुस्लिम साथी आये उन्होंने अशोक गहलोत को पाँव छूकर अभिवादन
किया ,,अटपटा लगा ,,एक दुसरे वरिष्ठ कोंग्रेसी का सवाल था क्या मुस्लिम
समाज के लोग पैर छू सकते है ,,में चुप रहा लेकिन इन जनाब ने फिर कहा के
भुवनेश चतुर्वेदी आज याद आते है वोह किसी को पैर इसलिए नहीं छूने देते थे
के सिर्फ यह ढोंग करने वाले सियासी लोग है जबकि यह लोग उनके माता
पिता के भी पैर छूना मुनासिब नहीं समझते है ,,बात सही भी थी ,,,भुवनेश
चतुर्वेदी के इस व्यवहारिक मनोविज्ञान ने ,कई लोगों को चाहे नाराज़ किया हो
लेकिन सच यही है के सियासी लोगों के जो अपनी धार्मिक परम्पराओं के खिलाफ या
फिर धार्मिक परम्पराओं के अनुसार पैर छूते है उनके घरों पर उनके माता
,,पिता और बुज़ुर्ग सच में पैर छुवाने के लिए तरसते है ,,,,,,,,,,,,अख्तर
खान अकेला कोटा राजस्थान
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