कल मज़हब पूछकर जिसने बख्श दी थी जाँ मेरी।
आज फिरका पूछकर उसने ही ले ली जाँ मेरी....
मत करो रफादेन पर इतनी बहस मुसलमानों
नमाज़ तो उनकी भी हो जाती है
जिनके हाथ नही होते।।
तुम हाथ बाँधने और हाथ छोड़ने
पर बहस में लगे हो
और दुश्मन तुम्हारे हाथ काटने की
साजिश में लगे हैै
ज़िन्दगी के फरेब में हम ने हजारों सज्दे क़ज़ा कर डाले....
हमारे जन्नत के सरदार ने तो तीरों की बरसात में भी नमाज़ क़ज़ा नही की..
आज फिरका पूछकर उसने ही ले ली जाँ मेरी....
मत करो रफादेन पर इतनी बहस मुसलमानों
नमाज़ तो उनकी भी हो जाती है
जिनके हाथ नही होते।।
तुम हाथ बाँधने और हाथ छोड़ने
पर बहस में लगे हो
और दुश्मन तुम्हारे हाथ काटने की
साजिश में लगे हैै
ज़िन्दगी के फरेब में हम ने हजारों सज्दे क़ज़ा कर डाले....
हमारे जन्नत के सरदार ने तो तीरों की बरसात में भी नमाज़ क़ज़ा नही की..
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