पहली
बार किसी पोस्ट को पढ़कर आंसू आ गए ।,शख्सियत, ए 'लख्ते-जिगर, कहला न सका
।"जन्नत,, के धनी "पैर,, कभी सहला न सका ।.'दुध, पिलाया उसने छाती से
'निचोड़कर,मैं 'निकम्मा, कभी 1 ग्लास पानी पिला न सका ।.बुढापे का "सहारा,,
हूँ 'अहसास, दिला न सका ।पेट पर सुलाने वाली को 'मखमल, पर सुला न सका ।.वो
'भूखी, सो गई 'बहू, के 'डर, से एकबार मांगकर,मैं "सुकुन,, के 'दो, निवाले
उसे खिला न सका ।.नजरें उन 'बुढी, "आंखों,, से कभी मिला न सका ।वो 'दर्द,
सहती रही में खटिया पर तिलमिला न सका ।.जो हर "रमज़ान,, 'ममता, के रंग
पहनाती रही मुझे,उसे "ईद,, पर दो 'जोड़, कपडे सिला न सका ।."बिमार,, बिस्तर
से उसे 'शिफा, दिला न सका ।'खर्च, के डर से उसे बडे़ 'अस्पताल, ले जा न
सका ।."माँ" के बेटा कहकर 'दम, तौडने बाद से अब तक सोच रहा हूँ,'दवाई, इतनी
भी "महंगी,, न थी के मैं ला ना सका ।.
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