पुलिसवालों के शव बुधवार सुबह बीजापुर के कुटरू में मिले। सुबह छह बजे
के करीब ही इसकी जानकारी आम हो गई थी, लेकिन शवों तक पहुंचने में पुलिस को
करीब तीन घंटे लग गए। इस दौरान कुत्ते शवों के आसपास मंडराते दिखे।
मारे गए जवानों के नाम जयदेव यादव, मंगल सोढ़ी, राजू तेला और रामा
मज्जी हैं। लाशें मिलने के बाद पुलिस की स्पेशल एंटी नक्सल ऑपरेशन टीम
हत्यारों की तलाश में जुट गई है। छत्तीसगढ़ सरकार ने इसे नक्सलियों की
घिनौनी करतूत करार दिया है।
पर्चे फेंके
लाशों के पास फेंके गए पर्चे में लिखा गया है कि कॉन्स्टेबल बनने के
बाद चारों जवान गांववालों पर अत्याचार करते थे, बच्चियों से छेड़छाड़ करते थे
और नक्सली विरोधी अभियानों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते थे। पर्चे में
नक्सलियों ने चेतावनी दी है कि पुलिस बनकर ग्रामीणों पर अत्याचार करने
वालों को माफ नहीं किया जाएगा। नक्सलियों ने गांववालों से सलवा जुडूम और
ऑपरेशन ग्रीन हंट का विरोध करने की अपील की है।
क्या था मामला?
नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ के सतनापल्ली इलाके से बीते सोमवार चार पुलिसवालों को अगवा कर लिया था। ये जवान बीजापुर से कुटरू कस्बे तक जा रहे थे। दो जवान बस में सवार थे, जबकि दो मोटरसाइकिल पर थे। नक्सलियों ने उन्हें सकनापल्ली गांव के नजदीक घने जंगल वाले इलाके में रोक लिया। स्थानीय लोगों ने पुलिसवालों को बचाने की कोशिश भी की थी। लेकिन नक्सलियों ने उन्हें डरा-धमका कर भगा दिया।
नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ के सतनापल्ली इलाके से बीते सोमवार चार पुलिसवालों को अगवा कर लिया था। ये जवान बीजापुर से कुटरू कस्बे तक जा रहे थे। दो जवान बस में सवार थे, जबकि दो मोटरसाइकिल पर थे। नक्सलियों ने उन्हें सकनापल्ली गांव के नजदीक घने जंगल वाले इलाके में रोक लिया। स्थानीय लोगों ने पुलिसवालों को बचाने की कोशिश भी की थी। लेकिन नक्सलियों ने उन्हें डरा-धमका कर भगा दिया।
एसपीओ से कॉन्स्टेबल बने थे
मारे गए पुलिसवाले एसपीओ से सहायक कॉन्स्टेबल बने थे। एसपीओ का मतलब है स्पेशल पुलिस अफसर। इन्हें कोया कमांडो भी कहा जाता है। नक्सलियों से निपटने के लिए सरकार आदिवासियों में से युवकों को चुनकर एसपीओ बनाती है। सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2011 के अपने एक आदेश में छत्तीसगढ़ सरकार से एसपीओ की व्यवस्था खत्म करने को कहा था। बहरहाल, सरकार नया कानून ले आई और सारे एसपीओ को सहायक कॉन्स्टेबल बना दिया गया।
मारे गए पुलिसवाले एसपीओ से सहायक कॉन्स्टेबल बने थे। एसपीओ का मतलब है स्पेशल पुलिस अफसर। इन्हें कोया कमांडो भी कहा जाता है। नक्सलियों से निपटने के लिए सरकार आदिवासियों में से युवकों को चुनकर एसपीओ बनाती है। सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2011 के अपने एक आदेश में छत्तीसगढ़ सरकार से एसपीओ की व्यवस्था खत्म करने को कहा था। बहरहाल, सरकार नया कानून ले आई और सारे एसपीओ को सहायक कॉन्स्टेबल बना दिया गया।
नक्सलियों के टारेगेट पर होते हैं ऐसे कॉन्स्टेबल
एसपीओ से जो सहायक कॉन्स्टेबल बनाए गए हैं, वे हमेशा नक्सलियों के टारगेट पर रहते हैं। समय-समय पर यह मुद्दा उठता रहा है कि इन्हें पुलिस डिपार्टमेंट काफी कम सुरक्षा मुहैया कराता है।
एसपीओ से जो सहायक कॉन्स्टेबल बनाए गए हैं, वे हमेशा नक्सलियों के टारगेट पर रहते हैं। समय-समय पर यह मुद्दा उठता रहा है कि इन्हें पुलिस डिपार्टमेंट काफी कम सुरक्षा मुहैया कराता है।
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