आपका-अख्तर खान

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27 जून 2015

मुहब्बत करके

मुहब्बत करके फिर इससे किनारा हाे नहीं सकता.
ज़माना साथ, बिन तेरे गुज़ारा हाे नहीं सकता.
निभानी है कसम सारी, कसम से रूठना छाेड़ाे,
कहूँ मैं ताेड़ लाया चॉद तारा, हाे नहीं सकता.
बरी हाे जाय बाइज्जत, करे गर कत्ल भी ताे वाे,
न आये सिर मेरे इलजाम सारा हाे नहीं सकता. '
अगर दिल में धड़क, मन में बहक, तन में महक है ताे,
मुहब्बत के सिवा, काेई इशारा हाे नहीं सकता.
जफ़ाएं हाे नहीं सकतीं, वफा करना अगर फितरत,
जाे मेरा हाे नहीं पाया, तुम्हारा हाे नहीं सकता.
यहॉ के लाेग अलहद हैं, अज़ब है दर्द की दुनिया,
अगर दिल काेइ है हारा, ताे हारा हाे नहीं सकता.

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