आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

23 मई 2015

रुलाया नही करते

हस्ते हुऐ लोगो को रुलाया नही करते
हम अपना ज़ख्म दिखाया नही करते
एक बार हम जिसे निगाहो से गिरा दे
फिर उस को दिल में बसाया नही करते
उस सख्स से मिलकर मुझे एसस हूआ
जो पेड़ बड़े होते है साया नही करते
रखते है सदा उन्हें सीने से लगा कर
दुःखअपना किसी को सुनाया नही करते
यह खेल मोहब्बत का सोच लो देखो
खो देते है यहा सब कुछ पाया नही करते

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...