मुंबई. जम्मू-कश्मीर सरकार एक बार फिर विवादों में घिर गई है। अलगाववादी नेता मसरत आलम को जम्मू-कश्मीर
सरकार ने रिहा कर दिया है। हुर्रियत के कट्टरपंथी नेता आलम की 2010 में
कश्मीर घाटी में पत्थरबाजी की घटनाओं के बाद गिरफ्तारी की गई थी। 2010 में
करीब चार महीने तक पत्थरबाजी की घटनाएं चली थीं और उसमें करीब 100 लोगों की
मौत हुई थी। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने कहा है कि
जिन राजनीतिक कैदियों के खिलाफ गंभीर मामले नहीं हैं, उन्हें रिहा किया
जाएगा। पीडीपी की सहयोगी बीजेपी मसरत की रिहाई का विरोध कर रही है।
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी और पीडीपी की
अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने मसरत की रिहाई को सही ठहराने की कोशिश करते हुए
कहा, हील एंड टच नीति हिंसा खत्म करने के लिए शुरू की गई है। महबूबा मुफ्ती
ने कहा कि सरकार के दो एजेंडे हैं-समझौते व बातचीत के जरिए समस्याओं के हल
और विकास। महबूबा के मुताबिक ये दोनों ही एक-दूसरे पर निर्भर हैं।
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