आपका-अख्तर खान

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09 मार्च 2015

मेरी साँसे टूट रही थी

मेरी धड़कने कम थी
मेरी साँसे टूट रही थी
में मृत शय्या पर था
ऐसे में हवा चली
हवा में उड़कर तुम्हारी तस्वीर
हां तुम्हारी मासूम सी तस्वीर
मेरे सीने से आकर लिपट गयी
मेने जैसे इस मासूम चेहरे को देखा
यक़ीनन मेरी धड़कन ठीक हुई
मेरी साँसें चलने लगी
देखो तुम्हारी एक तस्वीर से
में बच गया में ज़िंदा हूँ
तुम मिल जाओ तो क्या हो
तुम मिल जाओ तो क्या हो
में क्या बताऊँ तुम खुद समझ जाओगे
बस इतना कहता हु
चले आओ ,,चले आओ ,,,अख्तर

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