मेरी धड़कने कम थी
मेरी साँसे टूट रही थी
में मृत शय्या पर था
ऐसे में हवा चली
हवा में उड़कर तुम्हारी तस्वीर
हां तुम्हारी मासूम सी तस्वीर
मेरे सीने से आकर लिपट गयी
मेने जैसे इस मासूम चेहरे को देखा
यक़ीनन मेरी धड़कन ठीक हुई
मेरी साँसें चलने लगी
देखो तुम्हारी एक तस्वीर से
में बच गया में ज़िंदा हूँ
तुम मिल जाओ तो क्या हो
तुम मिल जाओ तो क्या हो
में क्या बताऊँ तुम खुद समझ जाओगे
बस इतना कहता हु
चले आओ ,,चले आओ ,,,अख्तर
मेरी साँसे टूट रही थी
में मृत शय्या पर था
ऐसे में हवा चली
हवा में उड़कर तुम्हारी तस्वीर
हां तुम्हारी मासूम सी तस्वीर
मेरे सीने से आकर लिपट गयी
मेने जैसे इस मासूम चेहरे को देखा
यक़ीनन मेरी धड़कन ठीक हुई
मेरी साँसें चलने लगी
देखो तुम्हारी एक तस्वीर से
में बच गया में ज़िंदा हूँ
तुम मिल जाओ तो क्या हो
तुम मिल जाओ तो क्या हो
में क्या बताऊँ तुम खुद समझ जाओगे
बस इतना कहता हु
चले आओ ,,चले आओ ,,,अख्तर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)