आपका-अख्तर खान

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02 मार्च 2015

में उदास रहूँ

तुमसे अलग होकर
तुम्हे उदास देख कर
परेशान तो में भी हूँ
तुम्हारी ज़िद यही तो है
में उदास रहूँ
में तुमसे अलग तुमसे दूर रहूँ
बस यूँ ही इसीलिए
तुम्हारी ख़ुशी के खातिर तुम्हे
अलविदा अलविदा कह चला हूँ
तुम उदास हो मुझे पता नहीं
तुम खुदगर्ज़ हो मुझे पता नहीं
प्यार की परिभाषा एक मज़ाक
प्यार दूर रहकर दूर सिमटना
तुम्हारी परिभाषा ही मुझे पता नहीं
तुम्हारे बगैर कितने दिन कितने पल
जी पाउँगा में यूँ ही मुझे पता नहीं ,,,,,,,,,,
यह साँसे ,यह धकड़ने चलेंगी भी या नहीं
तुम्हारे बगैर मुझे पता नहीं ,,पता नहीं
बस यूँ ही तुम्हारी ख़ुशी के खातिर
तुम्हारे घमंडी प्यार के खातिर
तुमने मुझे ठुकराया है मुझे पता नहीं ,,,,,,

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