आपका-अख्तर खान

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08 सितंबर 2014

पति कमरे में

पति कमरे में बैठा शराब पी रहा था. यह
देखकर पत्नी गुस्से से तमतमा कर बोली -
“आपने तो कहा था कि बिना किसी reason शराब
को हाथ भी नहीं लगाएंगे फिर ये सब
क्या है ?”
पति – “reason है पगली … reason है …
.
.
अब देखो, दीवाली आ रही है … rocket
चलाने के लिए खाली बोतल चाहिए
होंगी कि नहीं … ???”

वरना फितरत का बुरा

हमारे हिन्दू मुस्लिम भाई ज़रा मिलकर सोचे ,,चिंतन करे ,,दिल पर हाथ रखे ,,निष्पक्षता से सोचे इन चंद लाइनो में फलसफा ढूंढे और फसादात ,,इल्ज़ामात खत्म कर ,,एक दूसरे से आओ गले मिलकर नफरत के इस हिंदुस्तान को प्यार का एक गुलशन हिन्दुस्तान बनाये ,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान ,,,
ग़लतियों से जुदा तू भी नही, मैं भी नही,
दोनो इंसान हैं, खुदा तू भी नही, मैं भी नही ... !
" तू मुझे ओर मैं तुझे इल्ज़ाम देते हैं मगर,
अपने अंदर झाँकता तू भी नही, मैं भी नही " ... !!
" ग़लत फ़हमियों ने कर दी दोनो मैं पैदा दूरियाँ,
वरना फितरत का बुरा तू भी नही, मैं भी नही...!

रुई का गद्दा बेच कर,

Pawan Dixit

रुई का गद्दा बेच कर,
मैंने इक दरी खरीद ली।
ख्वाहिशों को कुछ कम किया मैंने,
और ख़ुशी खरीद ली ।
.
सबने ख़रीदा सोना,
मैने इक सुई खरीद ली,
सपनो को बुनने जितनी,
डोरी ख़रीद ली ।
.
मेरी एक खवाहिश मुझसे,
मेरे दोस्त ने खरीद ली,
फिर उसकी हंसी से मैंने
अपनी कुछ और ख़ुशी खरीद ली ।
.
इस ज़माने से सौदा कर,
एक ज़िन्दगी खरीद ली,
दिनों को बेचा और,
शामें खरीद ली।
.
शौक-ए-ज़िन्दगी कमतर से,
और कुछ कम किये,
फ़िर सस्ते में ही,
सुकून-ए-ज़िंदगी खरीद ली !
(साभार मेरे मित्र अमित चौधरी से)

में सोचता हूँ

में सोचता हूँ पुरे देश के बलात्कारियों और महिला बच्चियों के साथ छेड़छाड़ करने वाले अपराधियों की फहरिस्त निकाल कर सहाय करू ताके देश को पता लगे के किस समाज के लोग इस तरह के महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के अपराधों में शामिल है ,,,,,,,,,,,,,,लेकिन फिर सोचता हूँ के छोडो एक दिन सभी को अक़्ल आएगी और समाज से समाज के झगड़े खत्म होकर सिर्फ दो समाज इस देश में होंगे एक अपराधियों का समाज और दुसरा निरपराध लोगों का समाज ,,,,ऐसा सपना साकार ना हो सके इसीलिए तो यह कुछ गिनती के लोग अपराधियों के खिलाफ लामबद्ध होने वाले समाज को हिन्दू मुस्लिम की नफरत में बदल कर अपने अपराधों को छुपाने की कोशिश करते है और सियासी दुकाने ,,चंदे की दुकाने चलाते है ,,राष्ट्रहित में ऐसे लोगों से सावधान ,,,,इनको दिए गए चंदे का हिसाब मांगे ,,नफरत की भाषा बोलते ही राष्ट्र हित में इनसे जवाब तलब करे ,,,तभी तो देश अपराधियों से खासकर सफेद पॉश लुटेरों से मुक्त हो सकेगा ,,,,,,,,

वे शायरों की कलम

वे शायरों की कलम बेज़ुबान कर देंगे
जो मुँह से बोलेगा उसका ‘निदान’ कर देंगे !

तुम्हारी ‘चुप’ को समर्थन का नाम दे देंगे,
बयान अपना, तुम्हारा बयान कर देंगे !

वे शेखचिल्ली की शैली में, एक ही पल में,
निरस्त अच्छा-भला ‘संविधान’ कर देंगे !

तुम्हें पिलायेंगे कुछ इस तरह धरम-घुट्टी
वे चार दिन में तुम्हें ‘बुद्धिमान’ कर देंगे !!

(जहीर कुरैशी)

'नरेंद्र मोदी पिछले जन्म में कट्टर मुस्लिम थे'



,,,,,,,,,,,,पंजाब केसरी से साभार ,,,,,,,,,,,,
लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी के नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले जन्म में कट्टर मुस्लिम थे। उनका नाम था सर सैय्यद अहमद खान। जी हां, वहीं सर सैय्यद अहमद जिन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना की थी।

पिछले जन्म के सर सैय्यद अहमद और इस जन्म के नरेंद्र मोदी की शक्त सूरत, दाढी और आंखें ही एक जैसी नहीं हैं बल्कि उनके जीवन की घटनाएं भी चौंकाने वाली हद तक एक जैसी हैं। यह दावा किसी सिरफिले ने नहीं किया है बल्कि अमरीका में सानफ्रांसिस्को स्थित इंस्टीट्यूट फॉर दी इंटीग्रेशन आफ साइंस, इन्ट्यूशन एण्ड रिसर्च (आइआइएसआइएस) ने किया है।

इस संस्था ने पूरी दुनिया में अब तक करीब 20 हजार पुरुषों, बच्चों और यहां तक पशुओं के पुनर्जन्म पर भी अनेक अमरीकी विश्वविद्यालयों की मदद से शोध अध्ययन किए हैं और अनेक पुस्तकें भी प्रकाशित की हैं।

मोदी इस जन्म में अभूतपूर्व ढंग से पूरे भारत को अपने पक्ष में करने में कामयाब हुए और अगर पूर्व जन्म शोधवेत्ताओं का दावा सही माना जाए तो मुसलमानों में एकता की अलख जगाकर और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना करके उन्होंने पिछले जन्म में भी कुछ ऐसा ही काम किया था।

पूनर्जन्म के मामलों पर शोध के दौरान एक धर्म में दूसरे, एक देश से दूसरे देश में और से पुरुष या पुरुष से बनने के हजारों मामले इन विषयों पर शोध करने वालों ने पाए हैं और सबसे ज्यादा हैरत की बात यह पाई कि कोई व्यक्ति पिछले जन्म में जिस स्तर की प्रसिद्धि हासिल किए था उसी स्तर की कामयाबी पा लेता था।

आइआइएसआइएस ने एक शोध में पिछले जन्म में नरेंद्र मोदी क्या थे। इस पर काम करने के लिए विश्वविख्यात पुनर्जन्म वैज्ञानिक केविन रियर्सन की सेवाएं ली। केविन ने मिस्र के अहतुन रे नामक माध्यम की सहायता से मालूम किया कि पिछले जन्म में नरेंद्र मोदी ने सर सैय्यद अहमद खान के रूप में दुनिया भर के मुसलमानों की एकता, शैक्षिक प्रगति और अधिकारों के लिए काफी काम किया। वह तब भी दाढी रखते थे और उनका स्वरूप आज जैसा ही हुआ करता था।

उल्लेखनीय है कि सर सैय्यद अहमद खान ने ही यह अभियान चलाया था कि मुसलमानों को आधुनिक तालीम दी जानी चाहिए और लड़कियों को भी पढ़ाना चाहिए। उन्होंने ही बाद में यह विचार दिया कि मुसलमानों का भला एक पृथक राष्ट्र के गठन के बाद ही मुमकिन है। यही विचार अंतत: पाकिस्तान के गठन का कारण बना।

आइआइएसआइएस अनेक नामचीन शोध वैज्ञानिकों और परा-मनोविश्लेषकों की मदद से विज्ञान, पूर्वाभास और पुनर्जन्म समेत अनेक विषयों पर पिछले 30 साल से काम कर रही है और पूरी दुनिया में इसके लाखों समर्थक हैं। यह जानकर हैरत नहीं होनी चाहिए कि हर देश, धर्म और काल खंड में मृत्यु के बाद की दुनिया, पूर्वजन्म और पुनर्जन्म को मानने वाले करोड़ों लोग मौजूद हैं।

आइआइएसआइएस.नेट की अपनी वेबसाईट आइआइएसआइएस.नेट पर पुनर्जन्म, पूर्वाभास और इससे जुड़े अनेक रोचक रहस्यों पर सप्रमाण बेशुमार जानकारी उपलब्ध है। दुनिया भर के इन विषयों के जानकार लेखक और विशेषज्ञ इससे जुडे हैं।

सैकड़ों अन्य कामयाब लोगों के बारे में किये गए शोध अध्ययनों में ऐसा ही धर्मातरण पाया गया है। सिर्फ एक बात सामान्य रही है कि कुदरत ने किसी को कुछ भी बना कर इस दुनिया में वापस भेजा मगर उसकी पिछले जन्म की काबलियत नहीं छीनी।

पुनर्जन्म पर शोध के बाद अमरीकी मनोवैज्ञानिक और वर्जीनिया विश्वविद्यालय के विख्यात प्रोफेसर डा. इयान स्टीवेंसन ने लगभग 3000 पुनर्जन्मों की पुष्टि की।
उनके इन अध्ययनों पर भी पुस्तकें छपीं। पुनर्जन्म के बारे में स्थापित और विश्व स्तर पर मान्य सिद्धांतों के मुताबिक पुन: जन्म लेने वालों में पूर्वजन्म की यादें, पूर्वजन्म की आदतें और दिलचस्पियां, शरीर पर पूर्व जन्म जैसे निशान. खानपान की रुचियां और सबसे बढ़कर पूर्वजन्म जैसा ही चेहरा मोहरा हुआ करता है।

आइआइएसआइएस के डा. वाल्टर सेमकिव ने भी दुनिया भर के मशहूर लोगों की पूर्व जन्म पर काम किया है। उनके मुताबिक भारतीय फिल्मों के महानायक अमिताभ बच्चन पूर्व जन्म में भी बेहद कामयाब अभिनेता ही थे। तब वे शेक्सपियर नाटकों के अभिनेता एडविन बूथ थे। उनके उस जन्म में भी नाक नक्श और आखें पिछले जन्म में भी वर्तमान अमिताभ बच्चन जैसे ही थे। उनका एकमात्र उपलब्ध फोटो युवा अमिताभ जैसा ही लगता है।

डा. वालटर सेमकिव की पुस्तक में हिन्दुस्तान की अनेक हस्तियों के पूर्व जन्म पर शोध नतीजे दिए गए हैं। उनके मुताबिक भारत के राष्ट्रपति रहे मिसाइल मैन डा. अब्दुल कलाम पूर्व जन्म में भारत के मशहूर सेनानी टीपू सुलतान थे। उस रूप में भी वह अपने मौजूदा स्वरूप की खासियत अपनी खास हेयर स्टाइल जैसी पगड़ी ही पहना करते थे। पूर्व जन्म में भी टीपू एक तरह से मिसाइल मैन ही थे। युद्धों में पहली बार टीपू ने ही राकेटों का इस्तेमाल किया था।

पूरे संसार में हर देश और धर्मो को मानने वालों में पूर्वजन्म और पुनर्जन्म के मामले पाए जाते हैं। तिब्बतियों में तो दलाई लामा की तलाश ही इन्हीं सिद्धांतों के आधार पर की जाती रही है।

आइआइएसआइएस के संस्थापक तथा पेशे से एक चिकित्सक डा.वाल्टर सेमकिव, एमडी शिक्षा प्राप्त हैं और दुनिया के सबसे विख्यात पुनर्जन्म विशेषज्ञ प्रोफेसर डा. इयान स्टीवेंसन के शिष्य हैं।

डा. वाल्टर सेमकिव ने लगभग 4000 लोगों से सम्बंधित पुनर्जन्म के आंकडों का अध्ययन किया है और इस विषय पर अनेक किताबें लिखीं। उनकी पुस्तक ,बोर्न अगेन, की अब तक 40 लाख प्रतियां अनेक भाषाओं में बिक चुकी हैं।

आइआइएसआइएस के अनेक शोध वैज्ञानिक यह मानते हैं कि पिछले जन्म के मुसलमानों की भलाई के लिए जद्दोजहद करने वाले सर सैय्यद अहमद खान भले ही नरेन्द्र मोदी के रूप में जन्म लें या देश के लिए सर्वस्व बलिदान करने वाले टीपू सुलतान डा. एपीजे अब्दुल कलाम के रूप में मगर कुदरत द्वारा उनके जीवन दर्शन और लक्ष्य पूर्व निर्धारित ही हैं।

पूर्वजन्म पुनर्जन्म पर काम करने वाले वैज्ञानिकों की धारणा है कि धर्म और देश इंसानों के बनाए हैं और कुदरत इनको कतई नहीं मानती। इन्हीं शोध अध्ययनों के मुताबिक मशहूर पिछले जन्म में टीपू सुलतान के पिता सुलतान हैदर अली की मिलेट्री साज सामान और राकेटों में बहुत दिलचस्पी थी। उनके नाम नक्श, शैली और जीवन रुचियां भारत के अन्तरिक्ष वैज्ञानिक डा. विक्रम साराभाई से काफी
मिलती थी।

डा. साराभाई ने ही आरम्भ में पिछले जन्म के टीपू और इस जन्म में एक रक्षा वैज्ञानिक के रूप में जन्मे डा. कलाम की काबलियत को खूब बढ़ावा दिया। पुनर्जन्म शोध अध्ययनों में परा मनोवैज्ञानिकों ने पाया है कि अतिशय प्रतिभावान और कामयाब लोगों की पूर्वजन्म की क्षमताओं, कामयाबियों और जीवन स्तर में पुनर्जन्म में कमी नहीं आती।

पुनर्जन्म पर काम करने वाले वैज्ञानिक इसे भाग के कार्मिक सिद्धांत के जरिए समझाते हैं जिसके अनुसार पूर्व जन्म के कर्मो (प्रारब्ध) को वर्तमान कर्मो के गुणांक के रूप में हासिल किया जाता है। इसके अनुसार किसी भी जन्म में किया गया कर्म कभी भी नष्ट नहीं होता।

आइआइएसआइएस अध्ययनों के मुताबिक पिछले जन्म में लाल किले से अंग्रेजों द्वारा बंदी बनाकर निर्वासित किए गए बहादुर शाह जफर ने ही भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में जवाहर लाल नेहरू के रूप में उसी लाल किले पर तिरंगा फहराने की ख्वाहिश पूरी की जहां से पिछले जन्म में उनको अपमानित करके निकाला गया था। जवाहर लाल नेहरू और बहादुर शाह जफर दोनों की ही शकल सूरत बहुत मिलती थी।

आइआइएसआइएस ने अनेक विश्वस्तरीय राजनेताओं, उद्योगपतियों और फिल्म, साहित्य संगीत तथा खेल की दुनिया की हस्तियों के बारे में इसी प्रकार की दिलचस्प पूर्वजन्म सम्बन्धी खोजें की हैं।

कहीं भी यह नहीं पाया गया कि कोई भी विख्यात व्यक्ति इस जन्म में अपनी पिछले जन्म की भूमिकाओं से कोई अलग सोच रखता था। नरेंद्र मोदी यदि वाकई ही पिछले जन्म में सर सैय्यद अहमद खान थे तो क्या इस जन्म में मुसलमानों की तालीम और खुशहाली को बढ़ावा देने की कोई नयी कोशिश करेंगें। ये तो वक्त ही बताएगा।

आहत भावनाएं


_____________________

मैंने कहा धर्म मनुष्य के लिए है मनुष्य धर्म के लिए नहीं हैं
उनकी भवनाएँ आहत हो गयीं

मैंने कहा सभी धर्म एक जैसे अच्छे – बुरे हैं
वे बहुत नाराज़ हुए

जब मैंने कहा ईश्वर में आस्था नहीं रखने वाले भी खुशहाल हैं और नैतिक भी
उन्होंने मान लिया मैं पथ-भ्रष्ट हो गया हूँ

स्वर्ग – नर्क कल्पना है
जन्म से पहले और मृत्यु के बाद कुछ भी नही है
और सभी धार्मिक किताबें मनुष्य रचित हैं

शाप जैसी कोई चीज होती वे मुझे भष्म कर चुके होते.

धर्म स्त्रियों के साथ न्यायसंगत व्यवहार नहीं करते
और अपने लोगों में भी भेद बनाएं रखते हैं
मठ, किले हैं जिसमें राजा की तरह रहता है धर्माधिकारी
अपने अनुयायियों पर कड़ी नज़र रखते हुए

मेरा ऐसा कहते ही
वे गुस्से से कांपने लगे
और मेरे चरित्र हनन के लिए भेज दिए गए दसों दिशाओं में हरकारे

मैंने कह ही दिया धर्म नहीं होते
तो शायद बेहतर होती दुनिया

उन्होंने मेरे खिलाफ धर्मयुद्ध छेड़ दिया.

___________________________________arun dev

अनंत चतुर्दशी की पौराणिक कथा




एक बार महाराज युधिष्ठिर ने राजसूय यज्ञ किया। उस समय यज्ञ मंडप का निर्माण सुंदर तो था ही, अद्भुत भी था वह यज्ञ मंडप इतना मनोरम था कि जल व थल की भिन्नता प्रतीत ही नहीं होती थी। जल में स्थल तथा स्थल में जल की भांति प्रतीत होती थी। बहुत सावधानी करने पर भी बहुत से व्यक्ति उस अद्भुत मंडप में धोखा खा चुके थे।

एक बार कहीं से टहलते-टहलते दुर्योधन भी उस यज्ञ-मंडप में आ गया और एक तालाब को स्थल समझ उसमें गिर गया। द्रौपदी ने यह देखकर 'अंधों की संतान अंधी' कह कर उनका उपहास किया। इससे दुर्योधन चिढ़ गया।

यह बात उसके हृदय में बाण समान लगी। उसके मन में द्वेष उत्पन्न हो गया और उसने पांडवों से बदला लेने की ठान ली। उसके मस्तिष्क में उस अपमान का बदला लेने के लिए विचार उपजने लगे। उसने बदला लेने के लिए पांडवों को द्यूत-क्रीड़ा में हरा कर उस अपमान का बदला लेने की सोची। उसने पांडवों को जुए में पराजित कर दिया।

पराजित होने पर प्रतिज्ञानुसार पांडवों को बारह वर्ष के लिए वनवास भोगना पड़ा। वन में रहते हुए पांडव अनेक कष्ट सहते रहे। एक दिन भगवान कृष्ण जब मिलने आए, तब युधिष्ठिर ने उनसे अपना दुख कहा और दुख दूर करने का उपाय पूछा। तब श्रीकृष्ण ने कहा- 'हे युधिष्ठिर! तुम विधिपूर्वक अनंत भगवान का व्रत करो, इससे तुम्हारा सारा संकट दूर हो जाएगा और तुम्हारा खोया राज्य पुन: प्राप्त हो जाएगा।'

इस संदर्भ में श्रीकृष्ण ने उन्हें एक कथा सुनाई -

प्राचीन काल में सुमंत नाम का एक नेक तपस्वी ब्राह्मण था। उसकी पत्नी का नाम दीक्षा था। उसकी एक परम सुंदरी धर्मपरायण तथा ज्योतिर्मयी कन्या थी। जिसका नाम सुशीला था। सुशीला जब बड़ी हुई तो उसकी माता दीक्षा की मृत्यु हो गई।

पत्नी के मरने के बाद सुमंत ने कर्कशा नामक स्त्री से दूसरा विवाह कर लिया। सुशीला का विवाह ब्राह्मण सुमंत ने कौंडिन्य ऋषि के साथ कर दिया। विदाई में कुछ देने की बात पर कर्कशा ने दामाद को कुछ ईंटें और पत्थरों के टुकड़े बांध कर दे दिए।

कौंडिन्य ऋषि दुखी हो अपनी पत्नी को लेकर अपने आश्रम की ओर चल दिए। परंतु रास्ते में ही रात हो गई। वे नदी तट पर संध्या करने लगे। सुशीला ने देखा- वहां पर बहुत-सी स्त्रियां सुंदर वस्त्र धारण कर किसी देवता की पूजा पर रही थीं। सुशीला के पूछने पर उन्होंने विधिपूर्वक अनंत व्रत की महत्ता बताई। सुशीला ने वहीं उस व्रत का अनुष्ठान किया और चौदह गांठों वाला डोरा हाथ में बांध कर ऋषि कौंडिन्य के पास आ गई।


कौंडिन्य ने सुशीला से डोरे के बारे में पूछा तो उसने सारी बात बता दी। उन्होंने डोरे को तोड़ कर अग्नि में डाल दिया, इससे भगवान अनंत जी का अपमान हुआ। परिणामत: ऋषि कौंडिन्य दुखी रहने लगे। उनकी सारी सम्पत्ति नष्ट हो गई। इस दरिद्रता का उन्होंने अपनी पत्नी से कारण पूछा तो सुशीला ने अनंत भगवान का डोरा जलाने की बात कहीं।

पश्चाताप करते हुए ऋषि कौंडिन्य अनंत डोरे की प्राप्ति के लिए वन में चले गए। वन में कई दिनों तक भटकते-भटकते निराश होकर एक दिन भूमि पर गिर पड़े। तब अनंत भगवान प्रकट होकर बोले- 'हे कौंडिन्य! तुमने मेरा तिरस्कार किया था, उसी से तुम्हें इतना कष्ट भोगना पड़ा। तुम दुखी हुए। अब तुमने पश्चाताप किया है। मैं तुमसे प्रसन्न हूं। अब तुम घर जाकर विधिपूर्वक अनंत व्रत करो। चौदह वर्षपर्यंत व्रत करने से तुम्हारा दुख दूर हो जाएगा। तुम धन-धान्य से संपन्न हो जाओगे। कौंडिन्य ने वैसा ही किया और उन्हें सारे क्लेशों से मुक्ति मिल गई।'

श्रीकृष्ण की आज्ञा से युधिष्ठिर ने भी अनंत भगवान का व्रत किया जिसके प्रभाव से पांडव महाभारत के युद्ध में विजयी हुए तथा चिरकाल तक राज्य करते रहे।

मेरे ज़हन से

मेरे ज़हन से उसका हर ज़ुर्म
अपने आप मिट जाता है,....
जब मुस्कुरा के वो
पूँछता है "नाराज़ हो क्या ??"

क़ुरआन का सन्देश

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