आपका-अख्तर खान

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08 सितंबर 2014

वरना फितरत का बुरा

हमारे हिन्दू मुस्लिम भाई ज़रा मिलकर सोचे ,,चिंतन करे ,,दिल पर हाथ रखे ,,निष्पक्षता से सोचे इन चंद लाइनो में फलसफा ढूंढे और फसादात ,,इल्ज़ामात खत्म कर ,,एक दूसरे से आओ गले मिलकर नफरत के इस हिंदुस्तान को प्यार का एक गुलशन हिन्दुस्तान बनाये ,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान ,,,
ग़लतियों से जुदा तू भी नही, मैं भी नही,
दोनो इंसान हैं, खुदा तू भी नही, मैं भी नही ... !
" तू मुझे ओर मैं तुझे इल्ज़ाम देते हैं मगर,
अपने अंदर झाँकता तू भी नही, मैं भी नही " ... !!
" ग़लत फ़हमियों ने कर दी दोनो मैं पैदा दूरियाँ,
वरना फितरत का बुरा तू भी नही, मैं भी नही...!

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