आपका-अख्तर खान

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18 फ़रवरी 2014

,,फैसला आपके हाथ में है जो लोग घर जलाते है ,,दिल जलाते है दुकाने जलाते है रोज़गार जलाते है नफरत फैलाते है आपको वोह लोग चाहिए या फिर वोह लोग जो ज़ख्मों पर मरहम लगाते है ,,लुटे पिटे लोगों का पुनर्वास करते है फैसला आपके हाथ फैसला आपके हाथ ,,,,,,,,,,,,,,,

दोस्तों आगामी  लोकसभा चुनाव  सर पर है ,,हमारे देश के मतदाता और जनता के समक्ष देश में एक ऐसी सरकार चुनने की चुनौती है जो देश के युवाओं  रोज़गार ,  महिलाओं को सम्मान ,,,देश की सीमाओं को सुरक्षा ,,देश   का विकास ,,,अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश को आत्मनिर्भरता दे सके ,हमे ऐसी सरकार की ज़रूरत है जो सटोरियों ,,,कालाबाज़ारियों से दूर हो जो धर्मनिरपेक्ष हो ,, जातियों ,,सभी धर्मों को साथ लेकर चलने वालीए हो ,,,,,,,,,जी हाँ दोस्तों इस लोकतंत्र के माई बाप हम लोग है हम मतदाता है हमे  करना है के आगामी सरकार केसी हो ,,,,,,,,,,,आज देश में बुरे और बहुत बुरे में से एक चुनने का वक़त है ,,,देश में एक तरफ वोह लोग है जो गांधी के हत्यारे रहे ,,,जिन्होंने शुरू से आखिर तक यानि आज तक सिर्फ पाखंड किया गांधी की हत्या को जायज़ ठहराया ,,,दंगे फसादात फैलाये नफरत का  साम्राज्य स्थापित क्या ,,देश तोड़ने ,,देश के लोगों के दिल तोड़ने और देश में धर्मनिरपेक्ष ढांचे को तोड़ने की साज़िशे की ,,,,,,,,सभी जानते है के यह वोह लोग है जिन्होंने मस्जिद तोड़ी ,,क़त्ले आम किये ,,,खुलेआम बम विस्फोट किये ,,देश का इतिहास गवाह है के हमेशा इन लोगों ने झूंठ बोला अराजकता फैलाई और सरकारे हांसिल करने के बाद अपने वायदों से भी मुकर गए ,,यह वोह लोग है जो कॉमन सिविल कोड ,,कश्मीर में तीन सो सत्तर हटाने की अफवाह ,राम मंदिर वहीँ बनाने के नाम पर वोट मांगते है प्रधाननमंत्री बनते है और फिर मुख्य मुद्दों को दरकिनार कर आतंकवादियों को हवाई जहाज़ में बिठाकर कंधार छोड़ कर आते है ,,,,आज देश में अराजकता के हालात फैलाये जा रहे ,,अराजक लोगों के सिरमोर बने व्यक्ती को परधानमंत्री का उम्मीदवार बनाया जा रहा है वही स्टाइल वही तरीक़ा पहले राम नाम पर वोट और नोट की मांग की अब मूर्ती के नाम पर वोट ,,नोट और लोहे की मांग कर रहे है ,,,आपने सभी देखा है कभी चाय बेच कर लोगों को बरगलाया जा रहा है कभी  विवाहित होकर भी एक अबला को जीवन भर छोड़े रखने के बाद खुद को अविवाहित बताकर विवाहिता का अपमान क्या जा रहा है ,,,,,इन लोगों ने आज तक देश के लिए ,,देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए ,,,महंगाई घटाने के लिए आर्थीक तंगी से देश को बचाने के लिए ,,युवाओं को रोज़गार देने के लिए कोई सकारात्मक सुझाव सरकार को ना तो संसद के बाहर और ना ही संसद के अंदर दिए है ,,,कल्पना करो जिसने कभी लोकसभा का दरवाज़ा ना देखा हो जो खुद को परधानमंत्री का सो कोल्ड दावेदार घोषित करने के बाद भी आजतक मुख्यमंत्री की कुर्सी का मोह भंग नहीं कर पा रहा हो सत्ता का मज़ा चखने में जिसके हाथों में दोनों लड्डू हो वोह देश का भला क्या कर सकेंगे ,,,दोस्तों आज देश को देश के मतदाताओं को देश की जनता को हमे और आपको ऐसे लोगों की सरकार की ज़रूरत है जो अफ़ज़ल गुरु ,,क़साब को एक ही झटके में फांसी पर लटका कर देश में आतंकवाद फैलाने वालों को मुंह तोड़ जवाब दे और जब आतंकवाद माफ़ी का माला निजी तोर पर महानता साबित करने का आये तो फिर जो सोनिया गांधी जिन पर रिमोट से सरकार चलाने का आरोप है उनके पति के हत्यारों की फांसी की सज़ा रोक दी जाए ,,जिसे यह लोग शहज़ादा कहते है उसके पिता के हत्यारों की फांसी रोकी जाए और वोह खुद कुछ ना कहे ,,,एक बहु के रूप में जो महिला देश की महिलाओं का सर गर्व से ऊंचा करती हो ,,,,,,,एक बेटा अपने संस्कारों से जो देश के युवाओं के साथ हो जिसके पास युवाओं को देने के लिए रोज़गार ,,तरककी और आत्मविश्वास दिखाने के लिए सपने साकर करने का सच हो ,,,,,,,,,जो लोग देश को एकता में पिरोये रखने के लिए परधानमंत्री का पद क़ुर्बान करने की क्षमता और जज़बा रखते हो ,,जो लोग क़दम बा क़दम सवराज देना चाहत हो जिन्होंने लोकपाल दिया हो ,,,जिन्होंने भ्रष्टाचारियों बलात्कारियों को जेल भेजा हो ,,,जिन्होंने देश पर हमला करने वाले पाकिस्तान को दो बार उसकी सरहदों में घुसकर मज़ा चखाया हो इतना ही नहीं जो देश भारत की एकता अखंडता के लिए खतरा बनना चाहता था उसने भारत के कश्मीर को अपना अभिन्न अंग बनाकर दुश्मन देश से बंगलादेश को आज़ाद कराकर दुश्मन को ललकारा हो ऐसी ताक़त ऐसी शख्सियत आज एक तरफ है और दूसरी तरफ कहीं मूर्तियों तो कहीं पार्कों पर देश का पैसा बर्बाद करने वाले लोग है ,,,,, क्षेत्रीय पार्टियां जिन्हे छोटे छोटे राज्य जिस सरकार जिस विचारधारा ने दिए हो ,,स्कूल से कॉलेज और छात्र जीवन से ही सियासत का पाठ जिसने पढ़ाए हो ,,युवाओ सीधा सियासत से जोड़कर ,,उन्हें अट्ठारह साल में लोकतंत्र में भागीदारी जिसने दी हो उसे हम केसे और क्यूँ भुलाये ,,आज हमारे देश में समस्याए है ,,आज हमारे देश में बेरोज़गारी है ,,आज हमारे देश में भुखमरी है लेकिन दूसरी तरफ वोह संवेदन शीलता भी है जहा रोज़गार की गारंटी हो ,,,जहाँ न्यूनतम मज़दूरी तय हो ,,जहां महानरेगा हो ,,,जहां मज़दूरों को शोषण से मुक्ति का क़ानून हो ,,शिक्षा की गारंटी का क़ानून हो ,,गरीब को रोटी  की गारंटी हो ,,,,जीने के लिए क्या चाहिए रोज़गार ,,,रोटी ,,कपड़ा और मकान यह सब किसने दिया ,,,,,दलितों और आदिवासियों को सम्मान किसने दिया धर्म और जाती की सियासत पर लगाम कस कर धर्मनिरपेक्ष सियासत का परचम इसने लहराया ,,,फैसला आपके हाथ है आपको देश चाहिए या फिर देश में अराजकता ,,देश की सुख शान्ति चाहिए या फिर देश में ना इंसाफी के विवाद ,,,देश में विकास चाहिए या फिर देश के विकास को रोकना है ,देश के आतंकवादियों को फांसी चाहिए या फिर देश के आंतकवादियों को तोह्फे के रूप में विदेश में छोड़ कर आनेवालों की सरकार ,,,,,फैसला आपके हाथ में है जो लोग घर जलाते है ,,दिल जलाते है दुकाने जलाते है रोज़गार जलाते है नफरत फैलाते है आपको वोह लोग चाहिए या फिर वोह लोग जो ज़ख्मों पर मरहम लगाते है ,,लुटे पिटे लोगों का पुनर्वास करते है फैसला आपके हाथ फैसला आपके हाथ ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सजा-ए-मौत का सच: 1455 को मिली, केवल एक पर तामील



नई दिल्ली. राजीव गांधी के तीन हत्यारों की फांसी की सज़ा को उम्रकैद में तब्दील किए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से देश में फांसी की सज़ा को लेकर बहस तेज होने के आसार हैं। फैसला आने के बाद पूर्व आईपीएस किरण बेदी ने कहा भी कि जिन लोगों ने इतनी लंबी सजा झेल ली है, उन्‍हें फांसी दिया जाना अमानवीय है। उनका कहना है कि सबसे बड़े लोकतंत्र में मौत की सजा पर हमेशा सवाल उठते रहे हैं। फांसी की सज़ा को लेकर बहस को पंजाब पुलिस के पूर्व डीजी केपीएस गिल ने आगे बढ़ाया है। गिल ने 1993 में हुए बम विस्फोट के दोषी देविंदर पाल सिंह भुल्लर की फांसी की सज़ा पर टिप्पणी करते हुए कहा, 'भुल्लर की पत्नी का अपने पति की मानसिक सेहत ठीक न होने को बुनियाद बनाकर फांसी की सज़ा को उम्र कैद की सज़ा में तब्दील करने की मांग कर रही हैं। क्या सभी आतंकवादियों को मानसिक समस्या नहीं होती है?'  वर्ष 2001-11 के बीच 10 सालों में भारतीय अदालतों में 1,455 लोगों को मौत की सज़ा सुनाई गई। औसतन हर वर्ष 132.27 लोगों को यह सज़ा मिली। लेकिन इनमें से ज्यादातर सजाएं बाद में चलकर उम्रकैद में तब्दील कर दी गईं। इन 10 वर्षों में आतंकवाद से जुड़े मामलों को छोड़ दिया जाए तो सिर्फ धनंजय चटर्जी को फांसी की सज़ा दी गई। धनंजय को अगस्त, 2004 में 14 साल की लड़की के साथ बलात्कार करने के मामले में दोषी पाए जाने पर फांसी दी गई थी।  
 
राजनीति की वजह से लंबित रही दया याचिका? 
 
देश के पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस के 'प्रथम परिवार' माने जाने वाले नेहरू-गांधी परिवार के नेता राजीव गांधी की 1991 में आत्मघाती हमले में जान जाना देश आज भी भूल नहीं पाया है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि राजीव गांधी के हत्यारों को मौत की सज़ा से बच जाने के लिए कौन जिम्मेदार है? क्या इसके लिए सियासत जिम्मेदार है या इसके लिए लापरवाही दोषी है? देश में पिछले 9-10 सालों से उसी कांग्रेस पार्टी की सरकार है, जिसके नेता राजीव गांधी थे। कांग्रेस संगठन में आज के दौर में सबसे ताकवतर नेता राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी हैं। ऐसे में राजीव गांधी के हत्यारों की दया याचिका इतने सालों से लंबित कैसे रह गई? यह सवाल बना हुआ है। क्या इसके पीछे तमिल राजनीति वजह थी या कोई और सियासी कारण? चूंकि, यह तर्क भी कई लोगों के गले नहीं उतरता कि सोनिया गांधी ने राजीव के हत्यारों को माफ कर दिया है, इसलिए उनकी मौत की सज़ा का उम्रकैद में तब्दील होना अचरज भरा नहीं है। क्योंकि अगर यही तर्क है तो देश में लंबे समय से लंबित पड़ी अन्य दया याचिका डालने वाले कैदियों की भी जान बख्शी जानी चाहिए। 
 
 
पिछले महीने भी 15 दोषियों की सजा उम्रकैद में बदली 
 
पिछले महीने भी सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में हत्या के 15 दोषियों की मौत की सज़ा देने में देर होने को वजह मानते हुए उनकी सज़ा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया था। आतंकवाद से जुड़े मामलों को छोड़ दिया जाए तो भारत में फांसी की सज़ा लगभग खत्म होने की कगार पर है। कम से कम आकंड़े तो यही बताते हैं। मानवाधिकार कार्यकर्ता लंबे समय से फांसी की सज़ा को खत्म किए जाने की मांग कर रहे हैं। हालांकि, कानूनी तौर पर भारत में अब भी फांसी की सज़ा बरकरार है, लेकिन बहुत कम मामलों में यह सज़ा सुनाई जा रही है, और उससे भी कहीं कम मामलों में इस पर अंतिम तौर पर अमल किया जा रहा है। 
 
किन-किन अपराधों में हो सकती है फांसी की सज़ा
 
हत्या, गैंग के साथ डकैती और हत्या, बच्चों या मानसिक रूप से अस्थिर लोगों को आत्महत्या के लिए उकसाना, सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना और सशस्त्र सेना के किसी सदस्य की तरफ से बगावत को उकसाने जैसे मामलों में फांसी की सज़ा का प्रावधान भारतीय कानून में है। 
 
क्या है कानून? 
 
क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (सीपीसी) में 1973 में जुड़ी धारा 354 (3) ने जज के लिए यह जरूरी बना दिया कि वह फांसी की सज़ा सुनाते समय इसके लिए विशेष कारण बताए। 1980 में बचन सिंह केस में सुनवाई के दौरान मौत की सज़ा के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर' (जघन्यतम या दुर्लभतम) सिद्धांत को सही ठहराया। इसका मतलब था कि 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर' मामलों में ही मौत की सज़ा सुनाई जाएगी। तब से लेकर आज तक गंभीर से गंभीर अपराध के एवज में उम्रकैद सामान्य रूप से दी जाने वाली सज़ा बन गई और फांसी की सज़ा गिने चुने मामलो में दी जाने लगी। 
 
कहां है पेंच?
 
'रेयरेस्ट ऑफ द रेयर' मामले क्या हैं, इन्हें लेकर स्पष्ट प्रावधान न होने और जज के विवेक पर काफी कुछ निर्भर रहने की वजह से देश की कई अदालतें सजा-ए-मौत की सज़ा सुना देती हैं, लेकिन ऐसी सज़ा कभी हकीकत नहीं बन पाती।

अप्रैल-मई में हो सकते हैं लोकसभा चुनाव, छह चरणों सम्पन्न होगी चुनावी प्रक्रिया


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अप्रैल-मई में हो सकते हैं लोकसभा चुनाव, छह चरणों सम्पन्न होगी चुनावी प्रक्रिया
नई दिल्ली। चुनाव आयोग आगामी लोकसभा चुनाव छह चरणों में अप्रैल-मई में कराने की तैयारी कर रहा है। चुनाव कार्यक्रम की घोषणा मार्च के पहले हफ्ते में हो सकती है। लोकसभा चुनाव के साथ आंध्र प्रदेश, ओडिसा और सिक्किम में विधानसभा चुनाव भी कराए जाएंगे। एक अंग्रेजी अखबार के अनुसार चुनाव प्रक्रिया 15 मई तक पूरी होने की संभावना है। वर्तमान लोकसभा का कार्यकाल 31 मई को समाप्त हो रहा है तब तक नई सरकार का गठन हो जाएगा।

गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार चुनावों की घोषणा 3 मार्च के पहले-पहले हो सकती है। वहीं, चुनाव आयोग से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चुनावों की घोषणा 6 से 10 मार्च के बीच हो सकती है। चुनावों की घोषणा होते ही आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी।
रिकार्ड 81 करोड़ 40 लाख मतदाता
चुनावों के दौरान करीब एक लाख 20 हजार जवानों को सुरक्षा में लगाया जाएगा। इस बार के चुनावों में कुल 81 करोड़ 40 लाख मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे, जो 2009 में हुए पिछले लोकसभा चुनावों से 9 करोड़ 70 लाख अधिक है।
जल्द हो सकती है चुनाव खर्च की सीमा बढ़ाने की घोषणा
चुनाव आयोग इस बार चुनाव खर्च बढ़ाने पर भी विचार कर रहा है। इस बार लोकसभा चुनावों में प्रत्याशियों द्वारा खर्च की जाने वाली राशि 40 लाख से बढ़ाकर 70 लाख किए जाने की संभावना है। विधानसभा चुनावों में खर्च की जाने वाली राशि की सीमा 16 लाख से बढ़ाकर 28 लाख किए जाने की संभावना है। कानून मंत्रालय जल्द ही खर्च की नई सीमा की घोषणा कर सकता है।

भारी हंगामे के बीच लाइव टीवी प्रसारण रोक कर लोकसभा में पास किया गया तेलंगाना बिल

नई दिल्ली. आंध्र के विभाजन से जुड़ा तेलंगाना बिल लोकसभा में भारी विरोध व हंगामे के बीच पास हो चुका है। इसी के साथ तेलंगाना को देश का 29वां राज्य बनाने का सफर एक पड़ाव पार कर गया है। बिल को भारी हंगामे के बीच पास किया गया। इससे पहले लोकसभा टीवी पर सीधा प्रसारण रोक दिया गया था। लोकसभा अध्‍यक्ष मीरा कुमार के इस फैसले पर गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा, 'ऐसी चीजें होती रहती हैं।' लेकिन, जदयू ने कहा कि राज्‍य बंटवारे पर सदन में ऐसा नजारा कभी नहीं दिखा। 
हालांकि सरकार की ओर से सफाई गई कि तकनीकी समस्या के कारण लोकसभा की कार्रवाई का प्रसारण नहीं किया गया। 
 
बिल पास होने के बाद सदन की कार्यवाही बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी गई। खबर है कि किसी  भी संशोधन बिल या तेलंगाना बिल पर मतविभाजन नहीं कराया गया। सभी बिल ध्वनिमत से ही पारित किए गए। 
 
कोई सुनने को तैयार नहीं था: जेडीयू
 
बता दें कि जेडीयू ने संशोधन बिल की वोटिंग के दौरान ही सदन का वाकआउट कर दिया था। बाहर आते ही जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि राज्य के बंटवारे पर ऐसा नजारा कभी नहीं देखा। इसके साथ की कहा कि बंद दरवाजों के भीतर कोई सुनने को तैयार नहीं था, इसलिए पार्टी ने सदन का वॉकआउट कर दिया। माना जा रहा है कि आंध्र के मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी कल अपना इस्तीफा दे सकते हैं।
 
कांग्रेस ने व्हिप जारी की थी
 
गौरतलब है कि कांग्रेस ने अपने सभी सांसदों को लोकसभा में मौजूद रहने का व्हिप जारी किया था। भाजपा ने भी सैद्धांतिक रूप से बिल को अपना समर्थन दे दिया है। 
 
LIVE प्रसारण पर लगाई रोक
 
इससे पहले सस्पेंडेड सांसदों की घुसपैठ को नाकाम करने के लिए लोकसभा के न केवल सभी दरवाजों को बंद कर दिया गया, बल्कि सदन की कार्यवाही के प्रसारण पर भी रोक लगा दी गई। दरअसल, आज दोपहर संसद के सेंट्रल हॉल में संदिग्ध सामान के साथ एक सांसद ने घुसपैठ की कोशिश की थी।जिसके बाद सुरक्षा बल ने अलर्ट जारी किया गया। हालांकि अभी तक ये स्पष्ट नहीं हुआ है कि वह सांसद किस पार्टी का है।
 
पहले भी रोका जा चुका है सदन की कार्यवाही का प्रसारण
यह पहला मौका नहीं जब सरकार ने सदन की कार्यवाही के प्रसारण से जनता को दूर कर दिया हो। आखिरी बार सदन की कार्यवाही का प्रसारण 2002 में भी गोधरा कांड के बाद रोका गया था। उस वक्त बीजेपी नेता प्रमोद महाजन सूचना और प्रसारण मंत्री थे। 
 
भाजपा की मांगे मानी
 
बिल को सदन में रखने से पहले सरकार ने भाजपा की सीमांध्र के लिए विशेष पैकेज की मांग को भी स्वीकार कर लिया। साथ ही संशोधित बिल लाने की बात भी मान ली। इससे पहले वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख जगनमोहन रेड्डी ने बिल को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी से चर्चा की थी।
 
शिवसेना ने नहीं दिया बीजेपी का साथ 
तेलंगाना विधेयक पर शिवसेना ने भाजपा का साथ नहीं दिया। वहीं वाम मोर्चे में माकपा ने जहां इसका विरोध किया, वहीं भाकपा ने इसका समर्थन किया। जद यू के सदस्यों ने सदन में व्यवस्था के बिना विधेयक को पारित कराने के विरोध में सदन से वाकआउट किया।
 
टीएमसी ने लगाए नारे
तेलंगाना मुद्दे पर भाजपा द्वारा सरकार का समर्थन किए जाने का विरोध करते हुए तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने लगातार नारे लगाए। ये सदस्य नारे लगा रहे थे 'आज का दिन काला है, भाजपा-कांग्रेस जोड़ा है, राहुल-मोदी जोड़ा है.. सोनिया-सुषमा जोड़ा है।'
 
अब आगे क्या?
1. लोकसभा में बिल पास हो चुका है।
2. बिल को अब राज्यसभा में भेजा जाएगा।
3. राज्यसभा में बिल पास कराना कांग्रेस के लिए मुश्किल है।
4. कांग्रेस के सहयोगी भी बिल के विरोध में हैं।
5. राज्यसभा से बिल पास हुआ तो राष्ट्रपति के पास जाएगा।
6. बिल विरोधी कोर्ट की शरण लेने की तैयारी में हैं।
7. ऐसे में ये बिल की राह में रोड़ा बन सकता है।

क़ुरान का सन्देश

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