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06 मई 2014

मरने के कितने दिनों बाद आत्मा पहुंचती है यमलोक, क्या होता है रास्ते में?



उज्जैन। मृत्यु एक ऐसा सच है जिसे कोई भी झुठला नहीं सकता। हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद स्वर्ग-नरक की मान्यता है। पुराणों के अनुसार जो मनुष्य अच्छे कर्म करता है, उसके प्राण हरने देवदूत आते हैं और उसे स्वर्ग ले जाते हैं, जबकि जो मनुष्य जीवन भर बुरे कामों में लगा रहता है, उसके प्राण हरने यमदूत आते हैं और उसे नरक ले जाते हैं, लेकिन उसके पहले उस जीवात्मा को यमलोक ले जाया जाता है, जहां यमराज उसके पापों के आधार पर उसे सजा देते हैं।

मृत्यु के बाद जीवात्मा यमलोक तक किस प्रकार जाती है। इसका विस्तृत वर्णन गरुड़ पुराण में है। गरुड़ पुराण में यह भी बताया गया है कि किस प्रकार मनुष्य के प्राण निकलते हैं और किस तरह वह प्राण पिंडदान प्राप्त कर प्रेत का रूप लेते हैं। जानिए यमदूत किस प्रकार किसी मनुष्य के प्राण निकालते हैं और उसे किस प्रकार यातना देते हुए यमलोक तक ले जाते हैं-

- गरुड़ पुराण के अनुसार जिस मनुष्य की मृत्यु होने वाली होती है, वह बोलने की इच्छा होने पर भी बोल नहीं पाता है। अंत समय में उसमें दिव्यदृष्टि उत्पन्न होती है और वह संपूर्ण संसार को एकरूप समझने लगता है। उसकी सभी इंद्रियां नष्ट हो जाती हैं और वह जड़ अवस्था में हो जाता है, यानी हिलने-डुलने में असमर्थ हो जाता है। इसके बाद उसके मुंह से झाग निकलने लगते हैं और लार टपकने लगती है। पापी पुरुष के प्राण नीचे के मार्ग से निकलते हैं। उस समय दो यमदूत आते हैं। वे बड़ी भयानक क्रोधवाली आंखों वाले होते हैं। उनके हाथ में पाशदंड रहता है। वे अपने दांतों से कट-कट करते हैं। यमदूतों के कौए जैसे काले बाल होते हैं। उनका मुंह बहुत भयानक होता है, नाखून ही उनके शस्त्र होते हैं। यमराज के दूतों को देखकर प्राणी भयभीत होकर मल-मूत्र त्याग करने लग जाता है। उस समय शरीर से अंगूष्ठमात्र (अंगूठे के बराबर) जीव हा हा शब्द करता हुआ निकलता है, जिसे यमदूत पकड़ लेते हैं।यमराज के दूत उस शरीर को पकड़कर पाश गले में बांधकर उसी क्षण यमलोक ले जाते हैं, जैसे- राजा के सैनिक अपराध करने वाले को पकड़ कर ले जाते हैं। उस पापी जीवात्मा को रास्ते में थकने पर भी यमराज के दूत भयभीत करते हैं और उसे नरक में मिलने वाले दुखों के बारे में बार-बार बताते हैं। यमदूतों की ऐसी भयानक बातें सुनकर पापात्मा जोर-जोर से रोने लगती है, किंतु यमदूत उस पर बिल्कुल भी दया नहीं करते हैं।

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