भाजपा के कर्नल सोनाराम और कांग्रेस के हरीश चौधरी सहित 11 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। विधानसभा चुनाव में इस लोकसभा सीट में आने वाले आठ विधानसभाओं में से सात में भाजपा और एक पर कांग्रेस विधायक चुने गए थे। इसी के चलते भाजपा आश्वस्त है। वहीं जसवंत सिंह के बागी होने के कारण भाजपा मतों में बंटवारे के तर्क के साथ कांग्रेस अपनी स्थिति को मजबूत मान रही हैं। दूसरी तरफ जसवंत सिंह भाजपा और कांग्रेस दोनों से जाट प्रत्याशी होने से अपने समाज के मतों के कारण आश्वस्त नजर आते हैं। जसवंत सिंह की स्थिति उनकी सभाओं में आने वाली भीड़ ही बयां कर देती है, जिनको बुलावे या मैनेज करने की जरूरत नहीं बताई जाती।
भाजपा ने झोंकी पूरी ताकत
वसुंधरा राजे ने प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाते हुए इस सीट को हासिल करने के लिए पूरी ताकत लगा दी है। वे स्वयं यहां तीन बार दौरा कर चुकी है। नामांकन के दिन सभा को संबोधित किया, दूसरी बार जसवंत सिंह के मूल गांव जसोल में जाकर पांचों प्रमुख मंदिरों में पूजा अर्चना की और लोगों से मिलीं। तीसरी बार जैसलमेर में सभा को संबोधित किया। इतना ही नहीं, सभी जातियों को प्रभावित करने के लिए इन जातियों के विधायकों और अन्य नेताओं के लगातार दौरे करवाए जा रहे हैं।
मोदी लहर का असर
भाजपा के तेज प्रचार के कारण यहां नरेंद्र मोदी की लहर बन रही है। इसका प्रमाण है कि विधानसभा की आठ में से सात सीटें भाजपा ने जीती। लोकसभा चुनाव में यह फैक्टर कितना काम करेगा, उसी पर परिणाम निर्भर करेगा।
कुल मतदाता- 16,78,686
पुरुष- 8,95,834
महिला- 7,82,852
इस बार प्रत्याशी - 11
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