सतीश यशोमद
लहरों को - रोको मत
बहने दो -
वो जो कहना चाहती हैं -
उन्हें कहने दो .
बांध - नदियों को
निश्छल बहने से -रोकते हैं .
ये बरसाती परनाले -आखिर क्यों
तुम्हे बार बार टोकते हैं .
तू सागर है - नदी नहीं
जिसे बाँध ले - ऐसा कोई
तटबंद नहीं जो -उमड़ते
तुफानो के रास्ते रोक ले.
रुका मत रह - तट पर
तुफानो के मिजाज -चाहे
कितने सवाली हैं-
तेरे हाथ पतवार- है
धाराओं के हाथ तो - आज भी
खाली हैं .
चल -निकल चल उस राह
जिसके नाम से लोग -आज
भय खाते हैं
नाम तो उनके ही होते हैं -
जो उस रस्ते पर -
अपने नाम के -मील के
पत्थर अपने हाथों से लगाते हैं .-
और सपने देखते ही नहीं
उन्हें सच भी बनाते हैं .
लहरों को - रोको मत
बहने दो -
वो जो कहना चाहती हैं -
उन्हें कहने दो .
बांध - नदियों को
निश्छल बहने से -रोकते हैं .
ये बरसाती परनाले -आखिर क्यों
तुम्हे बार बार टोकते हैं .
तू सागर है - नदी नहीं
जिसे बाँध ले - ऐसा कोई
तटबंद नहीं जो -उमड़ते
तुफानो के रास्ते रोक ले.
रुका मत रह - तट पर
तुफानो के मिजाज -चाहे
कितने सवाली हैं-
तेरे हाथ पतवार- है
धाराओं के हाथ तो - आज भी
खाली हैं .
चल -निकल चल उस राह
जिसके नाम से लोग -आज
भय खाते हैं
नाम तो उनके ही होते हैं -
जो उस रस्ते पर -
अपने नाम के -मील के
पत्थर अपने हाथों से लगाते हैं .-
और सपने देखते ही नहीं
उन्हें सच भी बनाते हैं .
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