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08 अप्रैल 2014

आदिवासी तरीके: कैसी भी हो पथरी बिना ऑपरेशन ही टूट कर बाहर हो जाएगी




उज्जैन। किडनी, मूत्राशय, मूत्र नलिका आदि में पथरी का होना या बनना कोई नया या अनजाना रोग नहीं है। विभिन्न रसायनों से बने छोटे-छोटे कणों (क्रिस्टल्स) का जमाव पथरी का निर्माण करते हैं। पथरी मुख्यत: कैल्शियम फॅास्फेट, कैल्शियम ऑक्सोलेट, यूरिक एसिड और अमोनियम फॅास्फेट जैसे रसायनों के क्रिस्टल्स जमने के कारण होती हैं।

ज्यादातर कठोर पानी और ज्यादा मिनरल्स से बने खाद्य पदार्थों के सेवन से पथरी होती है। पीठ के पिछले हिस्से से  पेट तक तेजी से दर्द होना, जी मिचलना या उल्टियां होना, पेशाब में खून का जाना, जिसे हिमेटूरिया कहा जाता है। पेशाब में संक्रमण, पेशाब करते वक्त जलन होना, बार-बार पेशाब होना आदि पथरी के प्रमुख लक्षण हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ भारत में 70 लाख लोग इस समस्या से ग्रसित हैं। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात को स्टोन बेल्ट के नाम से जाना जाता है। आधुनिक मशीनों और महंगी दवाओं से पथरी के इलाज का दावा जरूर किया जाता है, लेकिन महंगे खर्च के बावजूद इसका सटीक इलाज नहीं हो पाना दुर्भाग्यपूर्ण है। 

आदिवासियों के सैकड़ों साल पुराने परंपरागत जड़ी बूटियों के ज्ञान के आधार पर दवाओं को निश्चित ही तैयार किया जा सकता है। कुछ इसी तरह के प्रयासों के चलते इन्ही सब अजूबी जड़ी-बूटियों को लेकर स्टोनोफ जैसे प्रोड्क्ट्स का बाजार में आना एक अच्छा संकेत है। चलिए आज जानते हैं कुछ देसी नुस्खों के बारे में जिनका इस्तेमाल कर पथरी की समस्या पर काबू पाया जा सकता है।
 
- अंगूर, पुनर्नवा (पूरा पौधा) और अमलतास की फलियों के गूदे की समान मात्रा (6 ग्राम प्रत्येक) लेकर पीस लें।  इस मिश्रण को 250 मिली पानी में 30 मिनिट तक उबालें। इसे छानकर रोगी को कम से कम दिन में दो बार पिलाएं। पथरी के दर्द में इससे बहुत जल्दी आराम मिलता है।
 
पारंपरिक हर्बल ज्ञान के जरिए पथरी के इलाज की संभावनाओं के संदर्भ में रोचक जानकारियों का जिक्र कर रहें हैं। डॉ. दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रा. लि. अहमदाबाद)। डॉ. आचार्य पिछले 15 सालों से अधिक समय से भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों, जैसे पातालकोट (मध्यप्रदेश), डांग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को एकत्रित कर उन्हें आधुनिक विज्ञान की मदद से प्रमाणित करने का कार्य कर रहे हैं।
- सौंफ की चाय को पथरी के इलाज में
एक कारगर उपाय है। सौंफ की चाय बनाने के लिए आधा चम्मच सौंफ पीस लें। दो कप पानी में पांच मिनिट तक उबाल लें। जब यह गुनगुना रह जाए तो इसे पी लें। ऐसा रोज दो से तीन बार लें तो पेट दर्द और किडनी दर्द में राहत मिलती है। 

- पेशाब करते समय जलन या कम पेशाब होने की शिकायत हो तो आंवले से बेहतर उपचार कोई और नहीं है। आंवले का रस, शक्कर और घी का मिश्रण इस समस्या में कारगर होता है।

- आंवले के रस में इलायची के दानों को पीसकर मिलाएं। इसे हल्का गर्म करके पिएं। उल्टियां, चक्कर या पेट दर्द जैसी समस्याओं में यह राहत देता है। साथ ही, पथरी को भी निकाल फेंकने में सक्षम होता है।

- तुलसी की पत्तियों का चूर्ण और हरड़ का चूर्ण मिलाकर खाने से दर्द में काफी आराम मिलता है। इस चूर्ण में नींबू का रस और शहद मिलाकर लेने से पथरी खत्म हो जाती है।

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