वाराणसी. आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल और उनके माता-पिता को विरोध की वजह से वाराणसी में अपना ठिकाना बदलना पड़ा है। शुक्रवार को उन्हें संकट मोचन मंदिर का गेस्ट हाउस छोड़ना पड़ा। केजरीवाल अपने माता-पिता के साथ यहां 15 अप्रैल से रह रहे थे। सूत्रों का कहना है कि श्रद्धालुओं के विरोध के चलते केजरीवाल को यह कदम उठाना पड़ा। लोगों ने मंदिर में राजनीतिक गतिविधियों के संचालन पर आपत्ति जताई थी। हालांकि मंदिर के पुजारी बिशंभर मिश्रा ने विरोध जैसी किसी वजह से इनकार किया है।
गौरतलब है कि केजरीवाल, उनकी माता गीता देवी औऱ पिता गोबिंद केजरीवाल
बनारस के प्रसिद्ध संकट मोचन मंदिर में यहां के मुख्य पुजारी बिशंभर मिश्रा
के अतिथि के तौर पर गेस्ट हाउस में ठहरे हुए थे।
बीएचयू के इलाके दुर्गा खंड में शिफ्ट हुए केजरीवाल
'आप' सूत्रों का कहना है कि मंदिर से निकलने के बाद केजरीवाल और उनके माता-पिता अब बीएचयू के इलाके दुर्गा खंड में शिफ्ट हो गए हैं। मोदी के खिलाफ चुनावी मैदान
में उतरे केजरीवाल को लगातार विरोध का सामना कर पड़ा रहा है। केजरीवाल की
जनसभाओं में भी कई बार हंगामा हो चुका है। केजरीवाल और उनके परिवार का
बनारस आने पर गर्मजोशी से स्वागत किया गया था, लेकिन अब मंदिर परिसर छोड़ना
एक तरह से उनकी छवि को गिराने की कोशिश जैसा है।
कौन हैं विशंभर मिश्रा
बिशंभर मिश्रा संकट मोचन मंदिर के मुख्य पुजारी हैं। उनके पिता वीर
बहादुर मिश्रा भी इस मंदिर के मुख्य पुजारी थे। वह हाइड्रोलिक्स इंजीनियर
भी थे। गंगा की सफाई के लिए चलाए गए खास अभियान में उनके योगदान के बाद
'टाइम' मैगजीन ने 1999 में उन्हें 'हीरोज ऑफ प्लानेट' में से एक बताया था।
केजरीवाल की मदद के लिए बनारस के लिए निकले आशुतोष
आम आदमी पार्टी के नेता आशुतोष भी केजरीवाल की मदद करने के लिए
वाराणसी के लिए निकल गए हैं। आशुतोष भी 'आम आदमी के स्टाइल' में ट्रेन से
वाराणसी जा रहे हैं। आशुतोष ने ट्वीट कर कहा कि वह अपने घर बनारस पहुंचने
के लिए काफी उत्सुक हैं। गौरतलब है कि बनारस आशुतोष की जन्मभूमि है। वहीं,
केजरीवाल ने शनिवार को सुबह पार्कों और अन्य सार्वजनिक जगहों पर लोगों से
मिलकर वोट मांगे।
बनारस में क्या है AAP का प्लान
बनारस में केजरीवाल बड़ी रैलियों के बजाय खुद जनसंपर्क कर लोगों से
वोट मांग रहे हैं। केजरीवाल के अलावा संजय सिंह, मनीष सिसौदिया समेत पार्टी
के कई अन्य नेता भी केजरीवाल के लिए समर्थन जुटा रहे हैं। आशुषोष भी जल्दी
ही बनारस की गलियों में पार्टी के लिए समर्थन जुटाने के लिए घूंमेंगे।
आनंद कुमार पहले ही बनारस के शैक्षणिक संस्थानों और चौपालों पर प्रचार कर
रहे हैं। आनंद और आशुतोष की बनारस के बौद्धिक वर्ग में पैठ बताई जाती है।
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