बीड़. जावर क्षेत्र के ग्राम मांडला के जंगल में एक बाबा दो
साल से एक पैर पर खड़े होकर तपस्या कर रहे हैं। उनका कहना है कि भगवान राम
ने 14 साल तक एक-एक दिन जंगलों में कष्ट भोगा। एक दिन अचानक मन में आया कि
जब भगवान कष्ट भोग सकते हैं तो मैं क्यों नहीं। मैने भी 14 साल तक एक पैर
पर खड़े रहने का संकल्प लिया है। इस दौरान अन्न का पूरी तरह त्याग दिया है।
बाबा रामकुंवर त्यागी विदिशा जिले के खुशालपुरा गांव के रहने वाले
हैं। वे 2010 में सिंगाजी दर्शन करने जा रहे थे। मांडला के जंगल से गुजरते
समय उन्हें लगा यहां कुछ विशेष है तो यहीं डेरा डाल लिया। बाबा ने बताया एक
दिन स्वप्न में हनुमानजी ने कहा मैं जमीन में दबा हूं, बाहर निकालो। बाबा
ने एक-दो दिन बाद पास ही खुदाई की तो सच में एक प्रतिमा निकली। ग्रामीणों
के सहयोग से प्रतिमा की स्थापना कराई। अब यहां आश्रम बन गया है। जिसका नाम
खेरदा आश्रम रखा गया। बाबा ने बताया 2012 से एक पैर पर खड़े रहने का संकल्प
लिया है। 14 साल पूरे होने के बाद ही घर लौटूंगा।
बाबा ने अन्न का पूरी तरह त्याग कर दिया है। ग्रामीणों द्वारा लाया
गया दूध, दही, छाछ या मिश्री का ही सेवन करते हैं। शौच व नहाने के लिए एक
पैर से ही चलकर जाते हैं। खड़े-खड़े ही नींद भी ले लेते हैं। अब आश्रम में
आसपास के गांवों के लोग भी बाबा की सेवा करने आने लगे हैं। नर्मदा
परिक्रमावासी भी यहां रात्रि विश्राम के लिए रुक जाते हैं।
गुरु भी आश्रम पहुंचे
रामकुंवर त्यागी बाबा के गुरु दामोदर महाराज भी खेरदा आश्रम पहुंच गए
हैं। गुरु ने बताया चेले ने जब से एक पैर पर खड़ा रहना शुरू किया है मैं भी
उसकी सहायता के लिए आ गया हूं। त्यागी ने दो साल से अन्न का दाना ग्रहण
नहीं किया है।
मध्यप्रदेश के राधेश्याम उर्फ श्यामा बाबा पिछले 13 सालों से अपने
दाहिने हाथ को उठाकर रखे हुए हैं। इस दौरान उन्होंने अपने हाथ को एक पल के
लिए भी नीचे नहीं किया है। जूना अखाड़े से जुड़े श्यामा बाबा का यह हठयोग
उनकी अनूठी साधना का एक हिस्सा है। उन्होंने यह साधना विश्व कल्याण की
कामना के लिए कुम्भ मेले में शुरू किया था।
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