वन्दे मातरम
कहते नहीं हम ,,
वन्देमातरम
करके दिखाते है ,,
खुदा के नाम का सजदा
इसी ज़मीन पर करते है हम
मरते है इसी मिटटी के लिये
मरकर भी
इसी मिटटी मे
मिल जाते है हम ,,,
हम वोह नहीं
जो कहते कुछ ओर है
करते कुछ ओर
राख बनकर नदी मे
बहकर पाकिस्तान चले जाते है
हम वन्दे मातरम्
कहते भी है
करके भी करके भी दिखाते है ,,,,,,
अपने खुदा के नाम के लिये
इसी पाक ज़मीन पर हम
अपना सर रोज़ दिन मे पांच बार झुकाते है ,,
हम फ़क़त वन्देमातरम
कहते नहीं करके भी दिखाते है ,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर
कहते नहीं हम ,,
वन्देमातरम
करके दिखाते है ,,
खुदा के नाम का सजदा
इसी ज़मीन पर करते है हम
मरते है इसी मिटटी के लिये
मरकर भी
इसी मिटटी मे
मिल जाते है हम ,,,
हम वोह नहीं
जो कहते कुछ ओर है
करते कुछ ओर
राख बनकर नदी मे
बहकर पाकिस्तान चले जाते है
हम वन्दे मातरम्
कहते भी है
करके भी करके भी दिखाते है ,,,,,,
अपने खुदा के नाम के लिये
इसी पाक ज़मीन पर हम
अपना सर रोज़ दिन मे पांच बार झुकाते है ,,
हम फ़क़त वन्देमातरम
कहते नहीं करके भी दिखाते है ,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर
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