नई दिल्ली.संघ को ये लग रहा है कि मंदिर मुद्दे से कुछ नहीं
मिलने वाला, ऐसे में उसने यू टर्न ले लिया है। चुनाव के वक्त पर संघ ने नए
आवरण में खुद को पेश करने की कवायद शुरु की है। संघ जान गया है कि अब राम
मंदिर मुद्दा कारगर नहीं रहा। राम मंदिर तो दिल्ली तक पहुंचने का बहाना था।
चलो देर से ही सही आरएसएस को समझ में तो आया। ऐसे कुछ विचार जनता ने
भास्कर डिबेट के दौरान रखे। संघ ने मुखपत्र पंचजन्य में आए सर्वे के माध्यम
से कहा है कि अब देश मंदिर नहीं विकास चाहता है। इस पर दैनिक भास्कर
.कॉम ने अपने फेसबुक
पेज पर डिबेट कराई। दैनिक भास्कर .कॉम ने सवाल किया था- देश भर में मंदिर
के नाम पर माहौल गरमाने के बाद अब संघ का मुखपत्र सर्वे के माध्यम से कह
रहा है कि अब देश मंदिर नहीं विकास चाहता है। ऐसा क्यों? बहस में लगभग 200
लोगों ने हिस्सा लिया।
ज्यादातर लोगों का मानना है विकास बड़ा मुद्दा है-
भास्कर डिबेट में शामिल हुए ज्यादातर लोगों का मानना है जिनकी संख्या
(40 फीसदी) के आसपास है कि अब माहौल बदला है तो मुद्दे भी बदलने चाहिए और
विकास की बात करना गलत नहीं है। वहीं बहस में शामिल इतने ही लोग यह मानते
हैं कि बीजेपी और संघ इस बार फिर नए मुद्दे को सामने लाकर सिर्फ सत्ता तक
पहुंचना चाहते हैं। जबकि 20 फीसदी के आसपास लोग ऐसे थे जिन्होने धर्म को
कोई मुद्दा न मानते हुए इसे सियासत करने वालों की गंदी सोच और भगवान को
गंदी राजनीति से जोड़नी की कोशिश करार दिया है।
चुनिंदा कमेंट
सतबीर कासवान -विकास की बात करें तो गलत,मंदिर की बात करें तो गलत ,आखिर आप लोग चाहते क्या हैं।
सोनू कुमार- भगवान भी दुखी होते होंगे हिंदूओं का हाल देखकर क्योंकि
हमने उनको भी गंदी राजनीति का हिस्सा बना दिया। मुझे तो शर्म आती है कि एक
हिंदू दूसरे हिंदू का दर्द नहीं समझ सका। हमारा दिल ही सबसे बड़ा मंदिर
है। भगवान के लिए सबसे सही जगह भी हमारा दिल ही है। मंदिर मस्जिद की
दीवारों को गिराया जा सकता है और फिर से खड़ा किया जा सकता है। लेकिन यदि
एक बार धर्म के नाम पर विश्वास की दीवार गिर गई तो दोस्तो उसे कभी खड़ा
नहीं किया जा सकता।
अभिषेक कौशिक-मंदिर हमारी श्रद्धा से जुडा है पर उसे बनाने से भी बेरोजगारी और करप्शन में कमी आऐगी क्या ।
अनिल शर्मा- श्रद्धा क्या है हर हर मोदी बोलना कितना अंधविश्वास है मूर्ति और पत्थर की पूजा के बाद अब हिंदू मोदी पूजा करेगा क्या
चांद चांद-संघ जान चुका है कि सत्ता में आने के लिए मंदिर मस्जिद के
नाम पर सत्ता हासिल नही होगी इसलिए अब विकास के नाम पर बेबकूफ बना रहा है।
दिनेश शर्मा- 5 साल में विकास की बात करना बेमानी हे ,संघ , बीजेपी
दोनों गरीब जनता के वोट से सत्ता हासिल कर इतिहास बनाना चाहती है। विकास
किसका होगा ये वक्त बताएगा राष्ट्रीय ,और अंतराष्ट्रीय मुद्दे भारतीय गणराज
में बहुत हैं जिसे सुलझाना नामुकिन है।
समय बलवान होता है। ये अच्छी बात है कि इस चुनाव में विकास अहम मुद्दा है। -शिव तिवारी
सही वक्त पर सही सोच सामने आई है। -अमृता सिंह मलिक
संघ जान गया है कि अब राम मुद्दा कारगर नहीं रहा। -सादिक शेख
सतीश बैरागी- मन्दिर मस्जिद धर्म की पहचान नही है क्योकि इंसान ने
अपने आपको संगठित करके ही पहचान बनाई है ना तो धर्म भाषा या पहनावे का या
किसी केन्द्र का मुहताज है । धर्म की परिभाषा कोई परमात्मा का भक्त ही
जानता है जब हर दिल में भगवान है तो फिर पत्थर की दिवार क्यों तोङी जा रही
हैं।
यूपीए के 10 साल के शासन में महंगाई, भ्रष्टाचार ने आम लोगों को मार
डाला, ऐसे में विकास पर फोकस तो करना ही पड़ेगा। विकास के बाद राम मंदिर पर
फोकस किया जाएगा। -गिरिश थापरे
वक्त के साथ लोगों की सोच और बातों में बदलाव आता ही है। आज आपकी सोच
कुछ और है, कल कुछ और होगा। इसी तरह राजनीति में भी बदलाव आते रहते हैं।
-रितेश नागोत्रा
-कुशल एस चौहान- संघ भाजपा के लिए एक नर्सरी टीचर की भूमिका मे अवश्य
है, लेकिन वो खुद ही कनफ्यूज है। संघ को ये लग रहा है कि मंदिर मुद्दे से
कुछ नहीं मिलने वाला, ऐसे में उसने यू टर्न ले लिया है। क्या गुजरात में
केवल पिछले 10-12 सालों में ही विकास हुआ? वहां चार दशक पुराने अमुल जैसे
दिग्गज देशी उद्योगों के विकास में मोदी की क्या भूमिका हो सकती है? जनाब
यदि कुछेक क्षेत्रों मे विकास हुआ है तो इसका श्रेय किसी मोदी के बजाय वहां
के उद्यमी समाज और दशकों पुरानी सहकारिता को जाता है।
पप्पू आलम-मंदिर-मस्जिद बना कर कुछ हासिल नहीं होगा। विकास, रोजगार और
भ्रष्टाचार से छुटकारा आज हर हिंदू, मुस्लिम और सभी जाति धर्म के आदमी की
जरूरत है। दुनिया मंगल ग्रह पर पहुंच रही है और हम लोग मंदिर-मस्जिद में
अटके हुए हैं।
नौकरियां मिलेंगी, विकास होगा तो देश आगे बढ़ेगा। मंदिर तो श्रद्धा स्थान है। -उदय जोशी
बाबरी मस्जिद और राम जन्मभूमि का मामला भाजपा ने अपने शासन काल में क्यों नहीं निपटाया -राजीब कुमार
विकास एक किनारा विहिन समुंदर जैसा मुद्दा है। -सत्या गुप्ता
मीडिया बस संघ और मोदी की कोई भी छोटी सी बात पता होते ही आग की तरह
फैला देती है, लेकिन ये नहीं सोचती कि ऐसा कहा क्यों? ऐसा इसलिए कहा गया कि
जब विकास होगा तभी मंदिर बनाने का नंबर आएगा। -अभिषेक पांडेय
हमें अब देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाना है -मुकेश शर्मा
लोगों को धर्म की परिभाषा समझ आने लगी है। -स्वप्निल मुरार्कर
मंदिर के नाम पर लिया गया अरबों का चंदा कहां गया, जरा देश को बताओ -मनीष साहू
वर्तमान में भारत विकास चाहता है, ये बात आरएसएस के सर्वे में सामने
आई है। इसका ये मतलब नहीं है कि राम जन्मभूमि से जुड़े मुद्दे को आरएसएस और
बीजेपी ने छोड़ दिया है। -जयशंकर चौबे
अब जनता को आरएसएस और बीजेपी ज्यादा दिन तक राम के नाम पर मूर्ख नहीं बना सकती। -संजीव कुमार यादव
बीजेपी अब पागल हो गई है। पहले राम, अब विकास। दोनों झूठे वादे हैं। -राज कुमार कबीर
भूखे भजन न होए गोपाला। जब आर्थिक समृद्धि आएगी तो मन्दिर तो कभी भी
बना सकते हैं। हमारे सनातन संस्कृति मे समृद्धि की जय जय किया गया है।
-हरिश जी हरिश
मंदिर भी बनवाएं, क्योंकि वो हमारी आस्था का प्रतीक है और देश का विकास भी बहुत जरूरी है। -हिमांशु माथुर
बात तो सही है। लेकिन, आप मंदिर के साथ-साथ मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च भी बनवा दीजिए, इसमें कौन सी शर्म की बात है। -मान मिश्रा
राम मंदिर तो दिल्ली तक पहुंचने का बहाना था। चलो देर से ही सही आरएसएस को समझ में तो आया। -लव कुमार शर्मा
कुर्सी के लिए ये कुछ भी कर सकते हैं। भगवान राम को ये राम-राम कह
दिए, जीतने के बाद ये पब्लिक को भी राम-राम कह देंगे। -सुनील झा
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