कोटा। आमतौर पर किसी भी परिवार में नई जिंदगी के आगमन पर जश्न
मनाया जाता है। परिवार के लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहता। वहीं मौत
अपने साथ मातम लेकर आती है, लेकिन इसी दुनिया में ऐसे भी लोग हैं जो परिवार
में मौत पर जश्न मनाते हैं। राजस्थान का ये समुदाय परिवार में किसी की मौत
पर खुशिया मनाता है।
लोग नए कपड़े पहनते हैं, अच्छे पकवान बनाए जाते हैं, शराब का भी दौर
चलता है। इसके उलट जब परिवार में किसी बच्चे का जन्म होता है तो परिवार में
मातम छा जाता है। इस अनोखे समुदाय में जन्म पर भले मातम छा जाता है इसके
बाद भी लड़की के जन्म को तरजीह दी जाती है। इसके पीछे भी एक खास कारण है।
पूरे राजस्थान में सड़कों के किनारे अस्थायी तम्बू लगा कर रहने वाले
सतिया समुदाय के अधिकतर लोग निरक्षर हैं। इस समुदाय के पुरुष शराब की अपनी
लत के लिए कुख्यात हैं। इस जनजाति की सबसे अनूठी बात यह है कि यहां किसी
व्यक्ति की मौत के बाद होने वाले अंतिम संस्कार को काफी धूमधाम से उत्सव की
तरह मनाया जाता है।
समुदाय के एक सदस्य ने बताया कि ऐसे मौकों पर हम नए कपड़े पहनते हैं
और मिठाइयां, मेवे और शराब खरीदते हैं। समुदाय के एक अन्य सदस्य ने बताया
कि मौत उनके लिए एक महान पल होता है क्योंकि इससे आत्मा शरीर की कैद से
आजाद हो जाती है।
जहां तक बात महिलाओं की है तो माना जाता है कि समुदाय की महिलाएं देह
व्यापार में लिप्त होती हैं। यही वो कारण जिसके चलते इस समुदाय में
लड़कियों को ज्यादा तरजीह दी जाती।
देह व्यापार करने के कारण महिलाएं ही परिवार में कमाई करने वाली
महत्वपूर्ण सदस्य होती हैं। पुरुष शराब की लत के चलते महिलाओं पर आश्रित
रहते हैं।
इस जनजाति पर काफी शोध करने पर पता चला कि सतिया जीवन को भगवान का एक
अभिशाप मानते हैं। मौत इस अभिषाप से मुक्ति दिलाती है इसलिए ये जश्न का
अवसर होता है। वहीं ईश्वर के अभिशाप के चलते हमें मनुष्य योनी में जन्म
लेना पड़ता है।
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