कोटा। एमबीएस में ऑथरेपेडिक ऑपरेशन के मरीजों की संख्या इतनी
ज्यादा बढ़ गई है कि डॉक्टरों को दो ऑपरेशनों के बीच आधा घंटा तो छोड़िए 10
मिनट का भी गैप नहीं मिल पा रहा है। इलाज का इंतजार कर रहे मरीजों का दर्द
देख कई बार तो सर्जन मेडिकल गाइड लाइन की भी परवाह नहीं करते। इन सब
परेशानियों की वजह है ऑपरेशन थिएटरों की कमी। एक इमरजेंसी ओटी भी है, लेकिन
उसमें अन्य सभी विभागों के ऑपरेशन होते हैं। ऐसे में कई बार तो गंभीर मरीज
को भी घंटों इंतजार करना पड़ जाता है।
ऑथरेपेडिक विभाग के ऑपरेशन थिएटर संभाग के सबसे व्यस्ततम ओटी बन चुके
हैं। इमरजेंसी ओटी में भी सबसे ज्यादा ऑपरेशन ऑथरेपेडिक विभाग के ही होते
हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो एक वर्ष में विभाग के डॉक्टरों ने 3600 से
अधिक ऑपरेशन किए हैं। इसके बावजूद रोगी 15 दिन तक वेटिंग में हैं। यहां रोज
15 सर्जरी तक हो जाती हैं, जबकि एक दिन में मात्र 4 से 5 घंटे ही ऑपरेशन
होते हैं।
एमबीएस के आथरेपेडिक विभाग की दो यूनिट हैं। 60 बैड मिले हुए हैं।
केवल दो मेन ओटी व एक इमरजेंसी ओटी है। मेन ओटी में प्रतिदिन औसतन 7-8
ऑपरेशन होते हैं। लगभग इतने ही ऑपरेशन इमरजेंसी ओटी में किए जाते हैं।
जितने रोगियों के ऑपरेशन होते हैं, इतने ही रोगी आथरेपेडिक विभाग में पहुंच
जाते हैं।
4 ओटी तो होने ही चाहिए
॥ऑथरेपेडिक विभाग में प्रतिदिन औसतन 15-16 ऑपरेशन होते हैं, जबकि दो
ही मेन ओटी मिले हुए हैं। रोगियों की संख्या के अनुसार 4 मेन ओटी व अलग से
एक इमरजेंसी ओटी होने चाहिए। ओटी कम होने से रोगियों की वेटिंग 7-8 दिन तक
पहुंच जाती है।
-डॉ. शिव भगवान शर्मा, विभागाध्यक्ष ऑथरेपेडिक विभाग
20 दिन से ऑपरेशन का इंतजार
दीगोद तहसील के सारोला निवासी श्याम सुंदर (40) के पैर में पिछले
दिनों दुर्घटना में फ्रेक्चर हो गया था। एक ऑपरेशन हो चुका है, लेकिन एक और
ऑपरेशन होना है। वे ऑपरेशन के लिए 16 मई से भर्ती हैं। रोज ऑपरेशन की डेट
बदल जाती है, लेकिन आज तक ऑपरेशन नहीं हो सका।
8 दिन पहले हुए थे भर्ती
घाटोली निवासी दयाराम (62) के गिर जाने से जांघ की हड्डी में फ्रेक्चर
हो गया। वे एमबीएस में 8 दिन पहले भर्ती हुए थे। वे दर्द से कराहते रहते
हैं। उन्हें जब भी दर्द होता है नर्सिग स्टाफ दवा दे देते हैं। कुछ समय
आराम मिल जाता है, लेकिन उसके दर्द का फिलहाल स्थाई समाधान नहीं हो सका है।
ज्वाइंट रिप्लेसमेंट की 50 वेटिंग
एमबीएस में ज्वाइंट रिप्लेसमेंट के लिए भी रोगियों की लंबी कतार हो
चुकी है। अब भी लगभग 50 ज्वाइंट रिप्लेसमेंट के रोगी वेटिंग में हैं। आए
दिन रोगी डॉक्टरों के चक्कर लगाते रहते हैं, उनसे गुहार करते रहते हैं,
लेकिन काम के बोझ के कारण डॉक्टर समय नहीं दे पाते हैं। इस कारण रोगियों की
वेटिंग बढ़ती जा रही है।
रात को काम पर लौटे रेजीडेंट
जोधपुर के रेजीडेंट डॉक्टरों के साथ हुई मारपीट के विरोध में बुधवार
को कोटा मेडिकल कॉलेज के रेजीडेंट डॉक्टर सामूहिक अवकाश पर रहे, लेकिन रात
को काम पर लौट आए। रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष निशांत ने बताया
कि रेजीडेंट्स ने दिनभर काम नहीं किया। शाम को जोधपुर के रेजीडेंट डॉक्टरों
की प्रशासन से वार्ता सफल होने के बाद कोटा के रेजीडेंट भी रात 9 बजे काम
पर लौट आए।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)