चलो कुछ ढूँढ़ते हैं -
सच की सपने .
पराये की अपने .
ना जाने क्या चाहता है
मन उद्विग्न अशांत
आज ना जाने क्यों .
ना पूरा भरा हूँ -
ना आधा खाली हूँ
फिर भी ना जाने
आज क्यों सवाली हूँ .
चलो कुछ ढूँढ़ते हैं -
सच की सपने .
पराये की अपने .
ना जाने क्या चाहता है
मन उद्विग्न अशांत
आज ना जाने क्यों .
ना पूरा भरा हूँ -
ना आधा खाली हूँ
फिर भी ना जाने
आज क्यों सवाली हूँ .
सच की सपने .
पराये की अपने .
ना जाने क्या चाहता है
मन उद्विग्न अशांत
आज ना जाने क्यों .
ना पूरा भरा हूँ -
ना आधा खाली हूँ
फिर भी ना जाने
आज क्यों सवाली हूँ .
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