महिला आयोग की अध्यक्ष लाडकुमारी जैन ने बताया कि आईजी अमृत कलश ने तो यहां मेरे सामने ही पीडि़ता के मुलजिम की पहचान को लेकर संदेह जताया। आईजी ने खुद की तरफ उंगली उठाकर मुझे कहा कि क्या पीडि़ता मेरे को मुलजिम बता देगी तो मैं दोषी हो जाऊंगा क्या ? लाडकुमारी जैन ने कहा कि आईजी स्तर के अधिकारी को ऐसी बात नहीं कहनी चाहिए। उनका व्यवहार ठीक नहीं था। सुप्रीम कोर्ट की भी गाइड लाइन है कि ऐसे संवेदनशील प्रकरण में बर्डन ऑफ प्रूफ जिम्मेदारी मुलजिम की होती है, न की पीडि़ता की।
उन्होंने कहा कि आईजी सबूतों को लेकर भी बार- बार सवाल खड़ा कर रहे थे। बिना जांच के ही पीडि़ता का पुलिस ट्रायल किया जाना गलत है। इसी व्यवहार की वजह से आखिरकार मुझे आईजी को डांट पिलानी पड़ी। जैन ने कहा कि पीडि़ता की मां ने आरोप लगाया कि कोटा में आईजी से दो बार मिली, लेकिन उसकी बात नहीं सुनी गई।
जैन के मुताबिक इसी वजह से आईजी कोटा को तलब किया गया था, वरना दस्तावेज तो वहां का सिपाही भी लेकर आ जाता। उन्होंने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट में जो अंतर सामने आया उसको लेकर चिकित्सा विभाग के प्रमुख सचिव को आयोग ने रिपोर्ट भेजी है। साथ ही जांच के लिए कुछ सबूत एफएसएल भी भेजे गए हैं।
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