आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

04 मई 2013

आज विरह के चार दोहे राजस्थानी मे-

आज विरह के चार दोहे राजस्थानी मे-
====================
आजा अब तो साहिबा,लागे दूखण नैण,
कान बावरे हो लिये,मीठे सुणे न बैण,

कतनी मन की मैं सुणू,या जाणै ना कोय,
बिन सिळवट की सेज पे,भोळा नैणा रोय,

रात को उपर डागळे,चन्दो मिलियो आय,
सासू पूछे राज तो,कह दी सुपणो आय,

नस नस तणगी तार सी,जरा लोच ना खाय,
भीजे बिन ना मोड़ ले,तड़क तड़क मर जाय,
-गोविन्द हाँकला

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...