आपका-अख्तर खान

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04 मई 2013

आज फिर वो याद आया देर तक

आज फिर वो याद आया देर तक
भूल जो मुझको न पाया देर तक

दिल मेरा उसने जलाया देर तक
संगदिल फिर मुस्कुराया देर तक

सारे रिश्ते यूँ बिखरने से लगे
कोई अपना रह न पाया देर तक

जब तलक़ बेटी न घर लौटी मिरी
खौफ़ से दिल थरथराया देर तक

मेरी माँ भूखी है कितनी देर से
मेरे बिन उसने न खाया देर तक

मैं भी तेरे बिन नहीं थी चैन से
दूर तू भी रह न पाया देर तक

रौशनी जब हद्द से बाहर आ गयी
उसने तन मन धन जलाया देर तक

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