आपका-अख्तर खान

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01 मई 2013

थू है ऐसे स्वाभिमान पर ऐसे अभिमान पर जो दुशमनों को जमीन न चटा सके .


अगर मेरा भारत कथित  भारत महान नहीं होकर केवल भारत होता ..य्हना के लोग भारतीय होते ..यहाँ के लोग हिन्दू मुसलमान ..सिक्ख इसाई नहीं होते केवल हिन्दुस्तानी और भारतीय होते यहाँ अमेरिका के गुलाम कभी सरकारी नोकर रहे मनमोहन सिंह की जगह हमारे जेसे पागल प्रधानमत्री होते ..सियासी पार्टियां कुर्सी के लियें नहीं देश के लिए लड़ रहे होते ...हमारे देश में  से लड़ने का खुद का होसला होता ..हमे इसके लियें अमेरिका की इजाज़त की जरूरत नहीं होती
 तो दोस्तों यकीन मानिए आज पाकिस्तान पकिस्तान  नहीं रहा होता पाकिस्तान भारत के नक्शे में शामिल होता और हमारे सरबजीत जेसे ना जाने कितने लाडले ज़िंदा रहकर हमारे साथ होते ..हमारे कई निद्र्दोश लोग बेमोत आतंकी मोत मरने से बच जाते कश्मीर हमारे देश की सीमाओं के साथ बलात्कार नहीं कर रहा होता ..चीन हमारी इज्ज़त को तार तार नहीं कर रहा होता और हम चीन की सीमाओं में होते ओर चीन हमसे उसकी सीमाओं की जमीन देने की भीख मांग रहा होता लेकिन दोस्तों जिन हाथों में परमाणु का रिमोट है देश का स्वाभिमान है वोह हाथ अमेरिका के आगे बेबस पाकिस्तान और आतंकियों सहित चीनियों के सामने बेबस और नतमस्तक है मुझे शर्म आती है ऐसे लोकतंत्र पे जहां ऐसा प्रधानमन्त्री होता है जिसे जनता का एक व्यक्ति भी वोट देकर नहीं जिताता और अनचाहा व्यक्ति देश की सुरक्षा अस्मिता खुशाहली के भविष्य का फेसला करता है थू है ऐसे स्वाभिमान पर ऐसे अभिमान पर जो दुशमनों को जमीन न चटा  सके .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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