आपका-अख्तर खान

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02 मई 2013

जब कभी तुम्हारी

जब कभी तुम्हारी
आँखों में,
सावन के बादल डोलेंगे,
मैं भी उस बादल में छुपकर,
उन आँखों में
बस जाउंगी......
या फिर
नैनों के कोरों से,
गिरकर,छूकर
तेरे कपोल,
तेरे अधरों के
कोनों पर
दो पल रूककर,
तेरी ऊँगली की
पोरों पर,
सो जाउंगी.....

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