स्वतंत्रता सेनानी बीएम बांठिया नहीं रहे
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कोटा
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स्वतंत्रता सेनानी एवं वरिष्ठ पत्रकार बीएम बांठिया का शुक्रवार रात
निधन हो गया। रामपुरा में रहने वाले 89 वर्षीय बांठिया कुछ दिनों से गंभीर
बीमार थे और बसंत विहार स्थित पारीक हॉस्पिटल में भर्ती थे। गुरुवार सुबह
ही उन्हें घर लाया गया था। जहां शुक्रवार रात 8.53 बजे उन्होंने अंतिम सांस
ली। उनका अंतिम संस्कार शनिवार सुबह 10.30 बजे रामपुरा में शवदाहघाट की
गली मुक्तिधाम पर होगा। वे अविवाहित थे और भतीजा संदीप बांठिया उनकी देखभाल करता था। कार्यवाहक कलेक्टर राकेश जायसवाल के मुताबिक शनिवार को बांठिया का राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार किया जाएगा। कलेक्ट्रेट पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। बांठिया के भाई कानमल बांठिया ने बताया कि बीएम बांठिया का जन्म 5 अक्टूबर 1924 को कोटा में कल्याणमल बांठिया के यहां हुआ था। छात्र जीवन से ही स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े रहे और प्रजामंडल के साथ रैलियों, प्रभातफेरियों, जुलूसों में सक्रियता से हिस्सा लिया। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से एमकॉम और एलएलबी की डिग्री हासिल की। कोटा से मैट्रिक तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे वर्धा चले गए थे। वहां भी कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उनका वर्धा से 7-8 किलोमीटर दूर सेवाग्राम जहां गांधीजी निवास करते थे, वहां आना-जाना रहा। इस दौरान दो बार उन्हें गांधीजी से मिलने का अवसर मिला। साथ ही जमनालाल बजाज, श्रीकृष्णदास जाजू, किशोरलाल मशरूवाला, दादा धर्माधिकारी और राधाकृष्ण बजाज जैसी हस्तियों के संपर्क में रहे। अगस्त 1942 के मुंबई कांग्रेस अधिवेशन से पहले दो बार कांग्रेस की सभाएं हुई तो उनमें उन्होंने वॉलंटियर की हैसियत से काम किया था। वे कोटा में इंडियन एक्सप्रेस, हिंदुस्तान टाइम्स और पीटीआई के कोटा से संवाददाता रहे। आपातकाल के विरोध में 1975 में उन्होंने प्रचार सामग्री प्रकाशित करने का प्रयास किया था। वे सही बात को बेबाक तरीके से कहते थे। राजनीतिक सामाजिक क्षेत्र के लोग उनसे मशविरा लेते थे। महापौर डॉ. रत्ना जैन और पति अशोक जैन जो पूर्व में उनके पड़ोसी थे, वे बीएम बांठिया के निधन की खबर सुनते ही रात को उनके रामपुरा निवास पर पहुंच गए। नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल जो पाली में हैं, उन्होंने भी सूचना मिलते ही शोक संवेदना व्यक्त की है। कांग्रेस महासचिव पंकज मेहता ने बांठिया के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। |
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
03 मई 2013
स्वतंत्रता सेनानी बीएम बांठिया नहीं रहे
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