उस दामन में
लाख सितारे बसते थे !
तकता था
आकाश
अकेले जो कल शब ...
हमने तो
इक रोज़
उसे समझाया था !
दौर-ए जमाना बदल गया है
हम-तुम बेशक ना बदले ...
अब बाँटी गर खुशियाँ, इक दिन
इन्हे नज़र लग जाएगी !
-------------------------- भरत
उस दामन में
लाख सितारे बसते थे !
तकता था
आकाश
अकेले जो कल शब ...
हमने तो
इक रोज़
उसे समझाया था !
दौर-ए जमाना बदल गया है
हम-तुम बेशक ना बदले ...
अब बाँटी गर खुशियाँ, इक दिन
इन्हे नज़र लग जाएगी !
-------------------------- भरत
लाख सितारे बसते थे !
तकता था
आकाश
अकेले जो कल शब ...
हमने तो
इक रोज़
उसे समझाया था !
दौर-ए जमाना बदल गया है
हम-तुम बेशक ना बदले ...
अब बाँटी गर खुशियाँ, इक दिन
इन्हे नज़र लग जाएगी !
-------------------------- भरत
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)