आपका-अख्तर खान

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05 मई 2013

उस दामन में

उस दामन में
लाख सितारे बसते थे !
तकता था
आकाश
अकेले जो कल शब ...
हमने तो
इक रोज़
उसे समझाया था !
दौर-ए जमाना बदल गया है
हम-तुम बेशक ना बदले ...
अब बाँटी गर खुशियाँ, इक दिन
इन्हे नज़र लग जाएगी !
-------------------------- भरत

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