जयपुर ।सवाई मानसिंह अस्पताल के जनरल एवं लेप्रोस्कोपिक सर्जन
डॉ. जीवन कांकरिया ने ऑपरेशन से सबसे बड़ा गाल ब्लेडर निकालकर गिनीज वल्र्ड
रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया है। शास्त्री नगर जयपुर निवासी 23 वर्षीय
मेनका का दूरबीन से ऑपरेशन के जरिए 29 नवंबर, 2012 को 25.8 सेमी का गाल
ब्लेडर (पित्ताशय) निकाला गया था। उनका दावा है कि इससे पहले विश्व रिकॉर्ड
इस्लामाबाद (पाकिस्तान) के डॉ. मोहम्मद नईम ताज के नाम था। उन्होंने 14
जून, 2011 25 सेंटीमीटर लंबे पित्ताशय का ऑपरेशन किया था। डॉ.कांकरिया ने
बताया कि मरीज की जांच में पाया कि उसके पित्ताशय में पथरियों के कई टुकड़े
तथा सूजन थी।
दस लाख में से एक : महिला का पित्ताशय सामान्य से करीबन तीन गुना अधिक बड़ा था और उसमें पथरियों के 20 से 25 टुकड़े मिले थे। साधारणतया गाल ब्लेडर पूर्ण रूप से दाईं और होता है, लेकिन इसमें पित्ताशय बाईं ओर से शुरू होकर कुण्डलीनुमा बनकर दाईं पित्त वाहिनी से जुड़ा हुआ था, जो दस लाख में से एक के पाया जाता है। मरीज की कम उम्र के कारण तीन माह बाद विवाह होने के कारण कॉस्मेटिक का पूरा ध्यान रखते हुए 1.2 सेमी सूक्ष्म चीरे से गाल ब्लेडर को निकाला गया।
ऐसे दर्ज हुआ नाम : 30 नवंबर, 2012 को ही गिनीज वल्र्ड रिकॉर्ड में क्लेम के लिए आवेदन किया। इसके बाद में चार सदस्यों की टीम व मैनेजमेंट सर्वेयर ने मरीज, डॉक्टर एवं वेबसाइट से जानकारी ली। हर तरह से जांच व रिकॉर्ड से संतुष्ट होने के बाद 30 अप्रैल, 2013 को स्वीकृति मिली। जो सवाई मानसिंह अस्पताल के इतिहास में एक नई उपलब्धि है।
दस लाख में से एक : महिला का पित्ताशय सामान्य से करीबन तीन गुना अधिक बड़ा था और उसमें पथरियों के 20 से 25 टुकड़े मिले थे। साधारणतया गाल ब्लेडर पूर्ण रूप से दाईं और होता है, लेकिन इसमें पित्ताशय बाईं ओर से शुरू होकर कुण्डलीनुमा बनकर दाईं पित्त वाहिनी से जुड़ा हुआ था, जो दस लाख में से एक के पाया जाता है। मरीज की कम उम्र के कारण तीन माह बाद विवाह होने के कारण कॉस्मेटिक का पूरा ध्यान रखते हुए 1.2 सेमी सूक्ष्म चीरे से गाल ब्लेडर को निकाला गया।
ऐसे दर्ज हुआ नाम : 30 नवंबर, 2012 को ही गिनीज वल्र्ड रिकॉर्ड में क्लेम के लिए आवेदन किया। इसके बाद में चार सदस्यों की टीम व मैनेजमेंट सर्वेयर ने मरीज, डॉक्टर एवं वेबसाइट से जानकारी ली। हर तरह से जांच व रिकॉर्ड से संतुष्ट होने के बाद 30 अप्रैल, 2013 को स्वीकृति मिली। जो सवाई मानसिंह अस्पताल के इतिहास में एक नई उपलब्धि है।
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