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05 मई 2013

सरबजीत सिंह का क़त्ल पाकिस्तानी जेल में कर दिया गया –

सरबजीत सिंह का क़त्ल पाकिस्तानी जेल में कर दिया गया –इससे आजकल फ़ेसबुक पर एक बार फिर अफ़ज़ल गुरु के बहाने भारत को बेरहम देश बताने की कोशिश कुछ “बुद्धिजीवी” लोग कर रहे हैं। बानगी देखिए:

========== किसी और के शब्द================
याद है आपको अफज़ल गुरु को जेल में टांग दिया गया था ,उसके गले में सीमेंट से पुती हुई कड़क रस्सी बांधी गयी थी ताकि उसके जिस्म के झटके को रस्सी बर्दाश्त कर सके ,इतना याद है तो ये भी याद होगा की सत्ता ने अफज़ल को उसके बच्चे ,बीवी और बाकी घर के लोगों से नहीं मिलने दिया था ,एक बात तो आप सब भूल गए होंगे की अफज़ल की ह्त्या के बाद उसके शरीर को कश्मीर ,उसके घर नहीं भेजा गया बल्कि जेल के भीतर ही दफ़न कर दिया गया !

सरबजीत को अंतिम समय में उसके परिवार से मिलने का मौक़ा दिया गया ,ये अलग बात है की वो नही मिल सका पर उसकी बहन ,बेटी और बीवी ज़रूर उसे देख पाए ,सरबजीत की मौत के बाद उसके शव को पाकिस्तान ने भारत को लौटा दिया ! कट्टरपंथी ,पुरातनपंथी ,नापाक किस्म का मुल्क पाकिस्तान ,अपने यहाँ जासूसी और बम धमाके के आरोपी की लाश दुश्मन मुल्क को लौटा देता है और आप अपने ही देश के नागरिक की लाश उसके घर वालों को नहीं सौंपते !
========== किसी और के शब्द समाप्त===========

किसी के लिखे ये शब्द बस यूं ही फ़ेसबुक पर सामने आ गए। तो हम भी इसके जवाब में तीन बातें कह आए:

पहली बात: अपने देश में पचास बुराईयाँ हैं और इन पर ज़रूर चर्चा होनी चाहिए। इन चर्चाओं में देश को बुरा कहने से बचना चाहिए क्योंकि देश कभी बुरा या अच्छा नहीं होता -अच्छे या बुरे देशवाले होते हैं। आप कॉन्ग्रेस, भाजपा, लेफ़्टिस्ट, माया, मुलायम, आम आदमी... जिसे चाहे लताड़ सकते हैं लेकिन भारतवर्ष को बुरा कहने से पहले यह अवश्य सोचिए कि आज कम्प्यूटर के कीबोर्ड पर उंगलियाँ चला सकने की ताकत आपको इसी देश की मिट्टी से मिली है। बुद्धिजीविता का बेहूदा प्रदर्शन करने का चाव और स्वयं को जल्द-से-जल्द अग्रणी "बुद्धिजीवियों" में शुमार कराने की बेचैनी अपनी जगह है -लेकिन देश को बुरा बताने से पहले आपको यह जान लेना चाहिए कि आपकी (या किसी की भी) इतनी हैसियत नहीं है कि वह भारतवर्ष पर कीचड़ उछाल सके।

दूसरी बात: यदि आपको पाकिस्तान इतना ही रहमदिल देश लग रहा है तो कृपया मुझे समझाईये कि क्यों वहाँ से आए दहशतगर्दों ने 2008 में मुम्बई में 164 लोगों को बेरहमी से मार डाला (आपको याद है या भूल चुके?)... भारत ने तो कभी इस तरह अपने दहशतगर्दों की "टीम" कराची नहीं भेजी और न ही 164 पाकिस्तानियों को कत्ल किया। 2008 की घटना तो केवल उदाहरण के लिए है -इस तरह की असंख्य वारदातों में भारतीयों को पाकिस्तानी आतंकवादियों ने मौत के घाट उतारा है।

तीसरी बात: जब अपना मुल्क इतना गलीज़ और पड़ोसी मुल्क मानवाधिकारों का केन्द्र लगने लगे -तो समझिए कि पलायन के लिए उचित समय है और पलायन कर लेना चाहिए।

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