हमारा प्राचीन संस्कृति वाला महान देश "बड़े लोगों" का कुछ नहीं बिगाड़ सकता- लोग दंगे करवाते हैं और आज़ाद हो जाते हैं.
हमारा देश "गरीबों और कमजोरों" के लिए कुछ नहीं कर सकता- सरबजीत की मौत हो गयी. कोई कुछ कर पाया?
याद है- इसी देश ने एक मंत्री की पुत्री के अपहरण के बदले कई आतंकवादियों
को छोड़ दिया था. क्या सरकार सच में कुछ नहीं कर सकती थी? कब तक दोनों देशों
की नफ़रत की राजनीति में गरीब लोग बलि का बकरा बनते रहेंगे?
मैं
राजनीति शास्त्र की विद्यार्थी रही हूँ. मुझे पता है कि अंतर्राष्ट्रीय
राजनीति बहुत जटिल होती है, लेकिन मुझे यह भी मालूम है कि कमजोरों और सबलों
के लिए नीतियाँ अलग-अलग होती हैं. चाहे देश के अन्दर की राजनीति हो या
अंतर्राष्ट्रीय राजनीति.
हमारा देश "गरीबों और कमजोरों" के लिए कुछ नहीं कर सकता- सरबजीत की मौत हो गयी. कोई कुछ कर पाया?
याद है- इसी देश ने एक मंत्री की पुत्री के अपहरण के बदले कई आतंकवादियों को छोड़ दिया था. क्या सरकार सच में कुछ नहीं कर सकती थी? कब तक दोनों देशों की नफ़रत की राजनीति में गरीब लोग बलि का बकरा बनते रहेंगे?
मैं राजनीति शास्त्र की विद्यार्थी रही हूँ. मुझे पता है कि अंतर्राष्ट्रीय राजनीति बहुत जटिल होती है, लेकिन मुझे यह भी मालूम है कि कमजोरों और सबलों के लिए नीतियाँ अलग-अलग होती हैं. चाहे देश के अन्दर की राजनीति हो या अंतर्राष्ट्रीय राजनीति.
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